- हनुमान जी की आरती के लेखक तुलसीदास जी हैं। यह आरती हनुमानजी की महिमा, गुणगान और महत्व प्रकट करती है। हर दिन हनुमान जी के मंदिर में सुबह और शाम को पुजारी द्वारा आरती की जाती है। इस आरती में हनुमान जी के भक्त जुड़ते है और घंट और ढोल की ध्वनि के साथ आरती की जाती है। इस आरती में हनुमानजी के गुणों, महिमा, राम भक्ति और उनकी शक्ति की भावना प्रगट होती है।
- हनुमान जी की आरती की कब रचना हुई यह स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं किया गया है। परंतु यह आरती पुराने समय से चली आ रही है तो हनुमान जी के भक्तों द्वारा हर दिन की जाती है। हालांकि यह माना जा रहा है की यह आरती की रचना संत तुलसीदास गोस्वामी के द्वारा की गयी है। तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस जैसी कई महाकाव्यों की रचना की है और हनुमान जी के बारे में उनके ग्रंथों में विस्तृत वर्णन भी दिया है। हनुमान जी की आरती हिंदी में अगर आप इसे बड़े उच्चारण के साथ गाते है तो हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है।
Hanuman Aarti Lyrics in Hindi
- हनुमान जी की आरती लिखित में हनुमानजी की प्रशंसा की जाती है, इस आरती की कुछ प्रारंभिक पंक्तियाँ जैसे आरती कीजै हनुमान लला की लिरिक्स आप नीचे पढ़ सकते हो। आप यहाँ यह हनुमान आरती(હનુમાનજીની આરતી) गुजराती में पढ़ सकते हो।
Hanuman ji ki aarti – हनुमानजी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की आरती कीजै हनुमान लला की
जाके बल से गिरिवर कांपे रोग दोष जाके निकट न झांके
अंजनि पुत्र महा बलदाई सन्तन के प्रभु सदा सहाई
आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की आरती कीजै हनुमान लला की
दे बीरा रघुनाथ पठाए लंका जायी सिया सुधि लाए लंका सो कोट समुद्र सीखाई जात पवनसुत बार न लाई
आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की आरती कीजै हनुमान लला की
लंका जारि असुर संहारे सियारामजी के काज सवारे
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे आनि संजीवन प्राण उबारे
आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की आरती कीजै हनुमान लला की
पैठि पाताल तोरि जम कारे अहिरावण की भुजा उखारे
बाएं भुजा असुरदल मारे दाहिने भुजा संत जन तारे
आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की आरती कीजै हनुमान लला की
सुर नर मुनि आरती उतारें जय जय जय हनुमान उचारें
कंचन थार कपूर लौ छाई आरती करत अंजनी माई
आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की आरती कीजै हनुमान लला की
जो हनुमानजी की आरती गावे बसि बैकुण्ठ परम पद पावे
लंक बिध्वंश किन्ही रघुराई तुलसी दस स्वामी आरती गाई
आरती कीजै हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की आरती कीजै हनुमान लला की…
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