हनुमान अष्टक (Sankat Mochan Hanuman Ashtak Lyrics) एक मुख्य आराधना पाठ है जो हनुमानजी के लिए गया जाता है। यह अष्टक विभिन्न चौपाईयों से बना हुआ है जो हनुमानजी के गुण, उनकी महिमा और आराध्यता को प्रदर्शित करती है। Sankat Mochan Hanuman Ashtak pdf का पाठ करने से हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों को भक्ति, शक्ति और सुख का अहसास महसूस होता है। हर दिन भक्तों द्वारा Hanuman Ashtak लिरिक्स हिंदी में पढ़ते है जो हनुमान चालीसा के बाद पढ़ा जा सकता है। यह सोंग हरिहरन (Hariharan) द्वारा भी गाया गया है। प्रतिदिन हनुमाजी के भक्तो द्वारा यह सोंग सुनते है। यह भागदौड़ भरी जीवन में सब के पास समय की कमी है ऐसे में एक सवाल मन में आता है की, “हनुमान अष्टक का पाठ कब करना चाहिए?”
हनुमान अष्टक – Hanuman Ashtak Lyrics
हनुमान अष्टक पाठ के प्रत्येक श्लोक विस्तृत में आप यहाँ पर पढ़ सकते हो:
प्रथम श्लोक:- हम गुरुजनों के चरणों का समर्पण करते हैं और बताते हैं कि हनुमानजी के चरणों की पूजा करने से अनेक फल प्राप्त होते हैं।
द्वितीय श्लोक:- हम हनुमानजी के बुद्धिमान, शक्तिशाली और ज्ञानी रूप का वर्णन करते हैं और उनसे बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
तृतीय श्लोक:- हम बताते हैं कि हनुमानजी का नाम लेने से सभी भय, भ्रम और मोह नष्ट हो जाते हैं और हम उनकी कृपा से आत्मविश्वास प्राप्त करते हैं।
चतुर्थ श्लोक:- हम हनुमानजी की आराधना करते हैं और उनसे अनन्य भक्ति, सुख और मंगल की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
पंचम श्लोक:- हम हनुमानजी की महिमा, वीरता और प्रभुत्व का वर्णन करते हैं और उनकी कृपा से हमें शरण और सुरक्षा प्राप्त होती है।
षष्ठ श्लोक:- हम हनुमानजी के प्रति हमारी विशेष भक्ति और समर्पण का वर्णन करते हैं और उनसे मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सप्तम श्लोक:- हम हनुमानजी के धर्म, ज्ञान और वीरता की प्रशंसा करते हैं और उनसे मुक्ति, शांति और सम्पूर्ण धर्म की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
अष्टम श्लोक:- हम हनुमानजी से अपने कर्तव्य की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं और उनकी कृपा से हमारी समस्त कष्टों का नाश होता है।
Sankat Mochan Hanuman Ashtak
बाल समय रवि भक्षि लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों
ताहि सो त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो
देवन आनि करी विनती तब,
छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारो
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो, को – १
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो
चौंकि महामुनि शाप दियो तब ,
चाहिए कौन बिचार बिचारो
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के शोक निवारो, – को – २
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीश यह बैन उचारो
जीवत ना बचिहौ हम सो जु ,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब ,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो,- को – ३
रावण त्रास दई सिय को तब ,
राक्षसि सो कही सोक निवारो
ताहि समय हनुमान महाप्रभु ,
जाए महा रजनीचर मारो
चाहत सीय असोक सों आगिसु ,
दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो, -को – ४
बान लग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सुत रावन मारो
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो
आनि संजीवन हाथ दई तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो, – को – ५
रावन युद्ध अजान कियो तब,
नाग कि फांस सबै सिर डारो
श्री रघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो,- को – ६
बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो
देवहिं पूजि भली विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो
जाये सहाए भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो,- को – ७
काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसो नहिं जात है टारो
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु ,
जो कछु संकट होए हमारो,- को – ८
II दोहा II
लाल देह लाली लसे ,
अरु धरि लाल लंगूर I
बज्र देह दानव दलन ,
जय जय जय कपि सूर II
Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi & PDF
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PDF Name | Hanuman Ashtak Lyrics |
PDF Size | 626 KB |
No. Of Pages | 6 |
Language | Hindi |
Category | Religion & Spirituality |
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