शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। शनि चालीसा का पाठ करके हम शनि देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। उनकी कृपा से मनुष्य के जीवन में स्थिरता, संयम, और समृद्धि आती है। इस लेख में हम शनि चालीसा, शनि चालीसा आरती, और शनि चालीसा के संलग्न जानकारी हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ेंगे।
शनि चालीसा अर्थ सहित

शनि चालीसा एक भक्तिपूर्ण प्रार्थना है जो भगवान शनिदेव को समर्पित है। यह चालीसा चालीस चौपाइयों का समूह है जो भगवान शनि की प्रशंसा करता है और उनकी कृपा की प्राप्ति होती है। प्रत्येक राशि में शनि की साढ़ेसाती आती है। शनिदेव की चाल धीरे होने के कारण एक राशि में वह साढ़े सात वर्ष तक रहते है, इसीलिए उन्हें शनि की साढ़ेसाती से जाना जाता है। इसे पढ़ने से शनि की दशा और शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव को कम किया जा सकता है। यह चालीसा न केवल भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करती है, बल्कि उनके जीवन में चल रही समस्याओं को भी कम करने में सहायक होती है।
शनि चालीसा का महत्व
शनि चालीसा आरती सहित पढ़ने के फायदे कुछ इस तरह से है:
(१) शनि दोष निवारण: शनि की साढ़े साती के दौरान आप शनि चालीसा का नियमित पाठ करते है, यह चालीसा दोष के निवारण में सहायक होती है।
(२) कर्म और न्याय: भगवान शनि देव कर्म के देवता है। ‘जैसी करनी वैसी भरनी” इसका मतलब यह है, जैसे कर्म आप करेंगे, वैसा फल आप प्राप्त करेंगे। इसीलिए हर व्यक्ति को भगवान शनिदेव अच्छे कर्म करने और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते है।
(३) शांति और समृद्धि: व्यक्ति के कर्म बहुत ही अच्छे है, तब भगवान शनिदेव जीवन में शांति, सुख और समृद्धि का अनुभव प्राप्त कराते है।
शनि चालीसा हिंदी में
दशरथ कृत शनि चालीसा को हिंदी में पढ़ने से अच्छा फल प्राप्त होता है। यहाँ पर आप शनि चालीसा अर्थ सहित पढ़ सकते है:
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुःख दूर करि , कीजै नाथ निहाल ॥1॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु , सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय , राखहु जन की लाज ॥2॥
जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छवि छाजै ॥
परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥
कुण्डल श्रवन चमाचम चमके । हिये माल मुक्तन मणि दमकै ॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥
पिंगल, कृष्णो, छाया, नन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन ॥
सौरी, मन्द शनी दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥
जापर प्रभु प्रसन्न हवैं जाहीं । रंकहुं राव करैं क्षण माहीं ॥
पर्वतहू तृण होइ निहारत । तृणहू को पर्वत करि डारत ॥
राज मिलत वन रामहिं दीन्हयो । कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥
वनहुं में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चुराई ॥
लषणहिं शक्ति विकल करिडारा । मचिगा दल में हाहाकारा ॥
रावण की गति-मति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥
दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका ॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवायो तोरी ॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलहिं घर कोल्हू चलवायो ॥
विनय राग दीपक महँ कीन्हयों । तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरे डोम घर पानी ॥
तैसे नल पर दशा सिरानी । भूंजी-मीन कूद गई पानी ॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई । पारवती को सती कराई ॥
तनिक विकलोकत ही करि रीसा । नभ उड़ि गतो गौरिसुत सीसा ॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रोपदी होति उधारी ॥
कौरव के भी गति मति मारयो । युद्ध महाभारत करि डारयो ॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला । लेकर कूदि परयो पाताला ॥
शेष देव-लखि विनती लाई । रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना । जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥
जम्बुक सिह आदि नख धारी । सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै ॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा । सिह सिद्ध्कर राज समाजा ॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै । मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥
जब आवहिं स्वान सवारी । चोरी आदि होय डर भारी ॥
तैसहि चारि चरण यह नामा । स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥
समता ताम्र रजत शुभकारी । स्वर्ण सर्वसुख मंगल भारी ॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै । कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला । करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । दीप दान दै बहु सुख पावत ॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा । शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥
॥ दोहा ॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥
॥इति श्री शनि चालीसा॥
यहाँ पर आपने शनि चालीसा हिंदी अर्थ सहित पढ़ी। यहाँ पर हमने नीचे टेबल में शनि चालीसा हिंदी में पीडीऍफ़ फाइल दे रखी है, वहाँ से आप इस फाइल को अपने मोबाइल या कंप्यूटर में डाउनलोड कर सकते है।
Shani Chalisa PDF
अगर आप शनि चालीसा हिंदी में पीडीऍफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं, तो यहाँ से आप शनि चालीसा का हिंदी में अनुवाद फाइल पा सकते है:
Details | Information |
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PDF NAME | Shani Chalisa PDF |
No. Of Pages | 2 |
PDF Size | 111 KB |
Language | Hindi |
यहां एक प्रमुख शनि मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नम: (Om Sham Shanishchraya Namah) दिया गया है। इस मंत्र को ध्यानपूर्वक और नियमित रूप से जाप करना चाहिए। यह शनि देव की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में मददरूप होता है। यदि आप शनि दोष से पीड़ित हैं या शनि ग्रह से संबंधित किसी भी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो शनि मंत्र का नियमित जाप आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है।
शनि चालीसा आरती
शनि चालीसा आरती सहित करने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है। यहाँ पर हमने शनि चालीसा आरती लिरिक्स दे रखे हैं:
जय शनिदेव, जय शनिदेव, जय जय जय शनिदेव।
नित नव मंगल शुभ फलदाता, भक्तन के दुख हारो।
जय शनिदेव, जय शनिदेव, जय जय जय शनिदेव।
करहु कृपा शंकर हितकारी, सुख संतोष सहारा।
जय शनिदेव, जय शनिदेव, जय जय जय शनिदेव।
जग में तुम्हरा नाम बड़ा है, सत्य धर्म पथ धारा।
जय शनिदेव, जय शनिदेव, जय जय जय शनिदेव।
दीन दुखी के संकट हरते, धन्य धन्य बलधारा।
जय शनिदेव, जय शनिदेव, जय जय जय शनिदेव।
भक्तन पर जो कृपा तुम्हारी, विघ्न सभी को मारो।
जय शनिदेव, जय शनिदेव, जय जय जय शनिदेव।
Lyrics of Shani Chalisa FAQs
शनि चालीसा पाठ कैसे करें?
शनि चालीसा का पाठ करने के लिए कुछ विशेष जानकारी दी गई है:
(१) प्रत्येक शनिवार के दिन प्रातःकाल या संध्या समय पर यह चालीसा का पाठ कर सकते है।
(२) घर या ऑफिस में शनिदेव की मूर्ति और फोटो को शुद्धता और साफ सफाई वाली जगह पर रखें।
(३) दीपक जलाकर शनि देव की मूर्ति और फोटो के सामने बैठें।
(४) शनि चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती गाएं।
शनि चालीसा कब पढ़ना चाहिए?
शनि चालीसा का पाठ आप प्रत्येक शनिवार के दिन पढ़ सकते है। इसके अलावा आप शनि की साढ़े साती चल रही हो, तब आपको इस चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। शनि जयंती और कोई शनिदेव के विशेष दिन पर आप शनि चालीसा का पाठ और मंत्र का जाप कर सकते है।
क्या मैं घर पर शनि चालीसा पढ़ सकता हूं?
हाँ, आप अपने घर में शनिदेव की मूर्ति या फोटो के सामने यह चालीसा पढ़ सकते है।
शनि देव का मूल मंत्र क्या है?
शनि देव का मूल मंत्र “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” है। साढ़े साती के दौरान आप इस मंत्र का जाप कर सकते है। इस मंत्र का जाप करने से साढ़े साती की असर कम होती है।
शनि चालीसा का जाप कितनी बार करना है?
शनि चालीसा का जाप आप १०८ बार करना चाहिए। १०८ बार जाप करने से आपको जीवन में मुश्किलों से छुटकारा मिलता है।