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Assam Kamakhya Devi Mandir: History, Online Ticket, Website & Guest House

 

भारत में हर मंदिर का अपना अदभुत रहस्य और इतिहास होता है। असम के कामाख्या देवी मंदिर (Assam Kamakhya Devi Mandir) का इतिहास भी कुछ इस तरह का है। यह मंदिर बहुत पुराने समय से ही भारतीय साहित्य, कला, और अमानत का हिस्सा रहा है। इस मंदिर का इतिहास अजीब है और इसकी विशेषता उसके विचित्र रूप, पूजा विधि, और समर्पण से जुड़ी हुई है। हम यहाँ पर कामाख्या देवी मंदिर के इतिहास, ऑनलाइन टिकट, वेबसाइट, और गेस्ट हाउस की जुड़ी सारी जानकारी की विस्तृत में चर्चा करेंगे।

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History Of Kamakhya Temple

कामाख्या देवी मंदिर की का इतिहास की मूल बहुत गहराई तक फैली हुई है। ऐसा माना जाता है कि यह उन शक्तिपीठों में से एक है जहां देवी सती के प्रजनन अंग गिरे थे वहां पर सदियों से कई पुनर्जीवित और व्यापक हुए हैं।

 

कामाख्या मंदिर धार्मिकता का केंद्र है। भक्तों द्वारा इस देवी की पूजा और अर्चना की जाती है। यह पूजा और अर्चना कामाख्या मंदिर में निर्माण करी गई धार्मिक चित्रपट का सबूत हैं। हर एक समारोह का अपना अनोखा महत्व है, जो इस पवित्र स्थल पर आध्यात्मिक ऊर्जा और अनुभव का अहसास दिलाता है। यह समारोह न केवल देवी कामाख्या का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हैं बल्कि व्यक्तियों को मंदिर की कठिन ऊर्जा का अनुभव करने की भी संमति देते हैं। यह देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्तों इस प्रयोग में भाग भी ले सकते है।

Pooja Name Timings
Aarti Darshan (आरती दर्शन) Morning: 5:30 AM – 6:30 AM
Evening: 4:30 PM – 5:30 PM
Special Aarti (विशेष आरती) Morning: 6:30 AM – 7:00 AM
Evening: 5:30 PM – 6:00 PM
Ashtottara Archana (अष्टोत्तर अर्चना) Morning: 7:00 AM – 9:30 AM
Evening: 1:30 PM – 2:30 PM
Rudrabhishek (रुद्राभिषेक) Morning: 9:30 AM – 11:00 AM
Purnahuti (पूर्णाहुति) Morning: After the Rudrabhishek
Navagraha Pooja (नवग्रह पूजा) Morning: 10:00 AM – 12:00 PM
Prasadam Distribution (प्रसाद वितरण) After Morning Aarti and throughout the day
Bhandara Seva (भंडारा सेवा) Daily from 12:00 PM (noon) onwards
Kamakhya Temple Timings & Pooja Vidhi

Karu Kamakhya

कामाख्या देवी मंदिर भारत के असम राज्य में है। यह हिन्दू धर्म का एक मुख्य धार्मिक स्थल है। इस मंदिर का नाम ‘कामाख्या’ संस्कृत में ‘काम’ यानि इच्छा और ‘अख्या’ यानि आचरण जुड़ा हुआ है, जिसका अर्थ है ‘इच्छा का आचरण’। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में देवी सती की योनि यानि गर्भाशय गिरा था, और यहां पर प्रतिवर्ष देवी का मासिक अवसर में प्रवेश होता है, इसे कामाख्या के रूप में पूजा जाता है।

इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। महाभारत में रणभूमि में युद्ध हो रहा था और अर्जुन ने कृष्ण के साथ युद्ध में भाग नहीं लेने का निर्णय किया था। उन्होंने अपनी रथ को रथ के पीछे की चल पड़े और कामाख्या क्षेत्र की और बढ़ गए, जहां उन्होंने अपने आप को ब्राह्मण बनाकर रहने का निर्णय किया। वहां पर उन्होंने भगवती कामाख्या से अश्वमेध यज्ञ की सलाह मांगी और उन्हें यज्ञ सफलता प्राप्त हुई। इस कारण से कामाख्या मंदिर को यज्ञ शाला भी कहा जाता है।

Significance Of Kamakhya Devi Mandir

Goddess Kamakhya (देवी कामाख्या) –

 यह मंदिर देवी कामाख्या की शक्ति का साक्षात्कार और नारी शक्ति को समर्पित किया गया है। तीर्थ यात्रा पर आने वाले भक्तों की बड़ी संख्या इस मंदिर में देवी से आशीर्वाद लेने ले लिए आते है।

Yoni Peeth (योनि पीठ)-

 इस मंदिर के गर्भगृह में योनि पीठ है, वह दिव्य स्त्री ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करने वाला एक मुख्य संकेत है। यहाँ पर किया गया हर काम एक तांत्रिक प्रथाओं के साथ किया जाता है।

Yajna Shala (यज्ञ शाला)-

कामाख्या देवी मंदिर को दूसरा यज्ञ शाला के रूप में जाना जाता है, इसे उस प्रसंग से जोड़ा जाता है जहां पर महाभारत में जब अर्जुन ने जीत के लिए देवी से सलाह ली थी।

(Kamakhya Temple) मंदिर की विशेषताएँ 

गर्भगृह –

 इस मंदिर का मुख्य स्थान गर्भगृह है, जहां पर पुजारी देवी की पूजा और अर्चना करते हैं और भक्तों उनकी कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां आते हैं।

योनिपीठ –

 इस मंदिर में योनिपीठ का स्थान अतिशय महत्वपूर्ण है, जो देवी का पवित्र योनि प्रतिष्ठित है।

कामरूप कामख्या पीठ –

 इस मंदिर को कामरूप कामख्या पीठ के रूप में भी जाना जाता है, जो शक्ति पीठों में से एक मुख्य है।

बिल्व पत्र यज्ञ –

 इस मंदिर में एक अदभुत परंपरा है जिसमें भक्तों शक्तिपीठ के लिए बिल्व पत्र यज्ञ करते हैं, जिसे योनि यज्ञ भी जाना जाता है।

महाकाली गुफा –

 इस मंदिर के पास महाकाली गुफा भी है, जो भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है जहां वे तपस्या और पूजा करते हैं।

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Online Ticket Booking and Website Of Assam Kamakhya Devi Mandir

आप यह नीचे दिए गए टेबल से ऑनलाइन डोनेशन, मंदिर की ऑफिसियल वेबसाइट और टिकट बुक करने की जानकारी प्राप्त कर सकते है।

Online Ticket Booking and Website Of Assam Kamakhya Devi Mandir

ऑनलाइन टिकट बुकिंग और वेबसाइट (Kamakhya Devi Mandir)

कामाख्या देवी मंदिर के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग उपलब्ध है जिससे आप पवित्र स्थलों का आनंद ले सकते हैं। इसकी आधिकारिक वेबसाइट से आप यात्रा की सम्बंधित विस्तृत जानकारी, योनि यज्ञ और अन्य सामान्य जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Kamakhya Temple Guest House

कामाख्या देवी मंदिर के आसपास कई गेस्ट हाउस हैं जो यात्रिओं को सुरक्षित और आरामदायक मकान या रूम की व्यवस्था उपलब्ध करते हैं। यात्रा के दौरान यहां रहने के लिए आप ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं जिससे आपकी यात्रा सुखद और आरामदायक होगी। आप यह नीचे दिए गए टेबल से गेस्ट हाउस बुक करने की जानकारी प्राप्त कर सकते है।

Description Website
For Trust Guest House Inquiry Kamakhya Temple Trust Guest House
Kamakhya Temple Guest House

Kamakhya Temple

कामाख्या देवी मंदिर का यात्रा करना एक अदभुत और आध्यात्मिक अनुभव है। इस मंदिर को इसकी पवित्रता, ऐतिहासिक महत्व, और धार्मिक प्रस्थान ने इसे भारतीय सांस्कृतिक परंपरा का एक हिस्सा बना दिया है।

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FAQ’s

कामाख्या मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

कामाख्या मंदिर भारत के उत्तरपूर्वी राज्य असम में आया है और यह हिन्दू धर्म के एक अदभुत तांत्रिक शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। इसकी मुख्य देवी को “कामाख्या” से जाना जाता है और यहां के मंदिर को एक प्रमुख शक्ति पीठ के रूप में पूजा की जाती है।

कामाख्या मंदिर की असली कहानी क्या है?

कामाख्या मंदिर की कहानी तांत्रिक और पूर्वकालीन वास्तविकता पर आधारित है और यह देवी कामाख्या की प्रसिद्ध विक्रमादित्य गुप्त वंश की रानी कामाख्या देवी से संबंधित है। इस मंदिर को दिव्य शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है और इसका संबंध तांत्रिक साधना और शक्ति पूजा से है।

कामाख्या मंदिर कौन से 3 दिन बंद रहता है?

कामाख्या मंदिर में सालाना में एक बार, देवी कामाख्या की मासिक पुराण के दौरान, मंदिर के तीन दिनों के लिए बंद होता है। इस समय को अम्बुबाची मेला कहा जाता है। यह मेला संबंधित भक्तों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है।

यह मेला वर्ष के एक विशेष मासिक तिथि के दौरान होता है, जिसमें मंदिर में देवी कामाख्या के संदर्भ में कैद रहती हैं। इस समय पे मंदिर के दरबार में आराधना नहीं होती और तीन दिनों की बाद मंदिर फिर से खुलता है। इस समय पे मंदिर में तिर्थयात्री, यात्री, और श्रद्धालु आने वाले होते हैं ताकि वे इस महत्वपूर्ण महाविद्या योग में भाग लें सके।

कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए?

कामाख्या मंदिर की यात्रा करने का समय धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों, पूर्वकालीन वास्तविकता, और विविध उत्सवों के आधार पर विभिन्न मास और तिथियों पर निर्भर करता है। नवरात्रि, अम्बुबाची मेला, आषाढ़ मास के पूर्णिमा, माघ मास के संक्रांति की दौरान कामाख्या मंदिर का दौरा करना विशेष लाभदायी हो सकता है ।

कामाख्या देवी को क्या चढ़ाया जाता है?

कामाख्या देवी को पूजा के दौरान कुमकुम और चंदन, फूलों की माला, नींबू, नारियल और फल, दीपों की माला, धूप और अगरबत्ती, अन्न और प्रसाद की चीजें चढ़ाई जाती हैं जो भक्तों की भक्ति और श्रद्धा देवी के लिए प्रगट करती है।

कामाख्या स्तोत्रम् | Kamakhya Devi Stotram Hindi & English PDF

कामाख्या देवी के स्तोत्र (Kamakhya Devi Stotram) का पाठ भक्तिभाव से किया जाए तो इस पाठ को करने से आत्मा को शांति, शक्ति, और मन को संतुलन करने में मददरूप होता है।  कामाख्या देवी, एक अदभुत देवी हैं जो भारतीय सनातन धर्म में मुख्य स्थान पर उसकी पूजा की जाती हैं। इस देवी को प्राकृतिक शक्ति, सृष्टि, और पुनर्जीवित की देवी से भी जाना जाता है। कामाख्या मंदिर असम में है, जहाँ पर लाखों भक्तों इस जगह पे जाते है और देवी का दर्शन का लाभ उठाते है।

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Kamakhya Stotram in Hindi

जय कामेशि चामुण्डे जय भूतापहारिणि।
जय सर्वगते देवि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

विश्वमूर्ते शुभे शुद्धे विरुपाक्षि त्रिलोचने।
भीमरुपे शिवे विद्ये कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

मालाजये जये जम्भे भूताक्षि क्षुभितेऽक्षये।
महामाये महेशानि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

कालि कराल विक्रान्ते कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

कालि कराल विक्रान्ते कामेश्वरि हरप्रिये।
सर्व्वशास्त्रसारभूते कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

कामरुप- प्रदीपे च नीलकूट- निवासिनि।
निशुम्भ- शुम्भमथनि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

कामाख्ये कामरुपस्थे कामेश्वरि हरिप्रिये।
कामनां देहि में नित्यं कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

वपानाढ्यवक्त्रे त्रिभुवनेश्वरि।
महिषासुरवधे देवि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

छागतुष्टे महाभीमे कामख्ये सुरवन्दिते।
जय कामप्रदे तुष्टे कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

भ्रष्टराज्यो यदा राजा नवम्यां नियतः शुचिः।
अष्टम्याच्च चतुदर्दश्यामुपवासी नरोत्तमः।।

संवत्सरेण लभते राज्यं निष्कण्टकं पुनः।
य इदं श्रृणुवादभक्त्या तव देवि समुदभवम्।।

सर्वपापविनिर्म्मुक्तः परं निर्वाणमृच्छति।
श्रीकामरुपेश्वरि भास्करप्रभे, प्रकाशिताम्भोजनिभायतानने।
सुरारि- रक्षः – स्तुतिपातनोत्सुके, त्रयीमये देवनुते नमामि।।

सितसिते रक्तपिशङ्गविग्रहे,
रुपाणि यस्याः प्रतिभान्ति तानि।
विकाररुपा च विकल्पितानि,
शुभाशुभानामपि तां नमामि।।

कामरुपसमुदभूते कामपीठावतंसके।
विश्वाधारे महामाये कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

अव्यक्त विग्रहे शान्ते सन्तते कामरुपिणि।
कालगम्ये परे शान्ते कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

या सुष्मुनान्तरालस्था चिन्त्यते ज्योतिरुपिणी।
प्रणतोऽस्मि परां वीरां कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

दंष्ट्राकरालवदने मुण्डमालोपशोभिते।
सर्व्वतः सर्वंव्गे देवि कामेश्वरि नमोस्तु ते।।

चामुण्डे च महाकालि कालि कपाल- हारिणी।
पाशहस्ते दण्डहस्ते कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

चामुण्डे कुलमालास्ये तीक्ष्णदंष्ट्र महाबले।
शवयानस्थिते देवि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

।। इति श्री कामाख्या स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

Kamakhya Devi Stotram

कामाख्या सहस्त्रनाम स्तोत्र –

कामाख्या सहस्त्रनाम स्तोत्र में देवी के हजार नामों की महिमा बताई गई है, जो भक्तों को उनकी अदभुत शक्तियों के बारे में महसूस कराती है।

कामाख्या कवच –

कामाख्या कवच स्तोत्र कामाख्या देवी की रक्षा के लिए पढ़ा जाता है यह स्तोत्र पढ़ने से भक्तों को सुरक्षा और साधना करने में मददरूप होती है

कामाख्या स्तुति –

कामाख्या स्तोत्र pdf में देवी की स्तुति का उल्लेख किया गया है इस स्तुति को पढ़ के भक्त उनके स्वरुप का स्मरण करते है और यह देखकर देवी उनके भक्तों पर कृपा बरसाते है।

Kamakhya Stotra Benefits in Hindi

असम मंदिर के गर्भगृह में कामाख्या देवी की योनि पीठ है जहाँ पर कामाख्या देवी के स्तोत्र का पाठ करते हो तो आपको आधात्मिक शांति का अहसास होता है। यह स्तोत्र का पाठ करने से आपको अपने जीवन में सफलता और समृद्धि की और ले जेने के लिए मददरूप होता है।

 आप मंदिर में इस स्तोत्र का उपयोग एक तांत्रिक विधि के लिए भी कर सकते हो। ऐसे तो यह स्तोत्र के पाठ करने से बहोत सारा लाभ मिलता है। यह हर व्यक्ति को अपने अपने कर्मो के अनुसार फल प्राप्ति होती है।

Kamakhya Stotram Meaning in English

Jai Kameshi Chamunde, Jai Bhutapharini.

Jai Sarvgate Devi Kameshwari Namostu Te.

Vishwamoorte Shubhe Shudhe Virupakshi Trilochane.

Bhimarupe Shive Vidye Kameshwari Namostu Te.

Malajaye jaaye jambhe bhutakshi kshubhiteyakshaye.

Mahamaye Maheshani Kameshwari Namostu Te.

Kali Karal Vikrante Kameshwari Namostu Te.

Kali Karal Vikrante Kameshwari Harpriya.

Namostu to Kameshwari, the essence of all scriptures.

Kamarupa- Pradeepe cha Neelkoot- Nivasini.

Nishumbha- Shumbhamathani Kameshwari Namostu Te.

Kamakhye Kamarupasthe Kameshwari Haripriya.

I pray to Kameshwari daily in the desires of my body.

Vapanadhyavaktre tribhuvaneshwari.

Mahishasurvadhe Devi Kameshwari Namostu Te.

Chagatushte Mahabhime Kamakhye Survandite.

Jai Kamprade Tushte Kameshwari Namostu Te.

Bhrastrarajyo yada raja navamya niyatah shuchih.

Ashtamyacha Chatudardashyamupvasi Narottamah.

The states enjoying Sanvatsaren are free from trouble again.

Ya Idam Shrunuvadbhaktya Tav Devi Samudbhavam.

Shrikamarupeshwari bhaskarprabhe, prakatambhojanibhayatanne.

Surārī-Rakṣaḥ – Stutipatānotsuke, Trayīmaye Devānute Namāmī.

Sitsite Raktapishangavigrahe,

Rupani Yasya: Pratibhanti Taani.

Vikarrupa Cha Vikalpitani,

Good wishes and good wishes.

Kamrup Samudbhute Kampeethavatanske.

Vishwadhare Mahamaye Kameshwari Namostu Te.

Avyakt Vigrahe Shante Santate Kamarupini.

Shante Kameshwari Namostu te beyond Kalgamye.

Or Sushmunantaralashtha Chintyate Jyotirupini.

Pranatosmi paran veeran kameshwari namostu te.

Danshtrakaralvadane mundamalopsobhite.

Sarvvath Sarvavge Devi Kameshwari Namostu Te.

Chamunde Cha Mahakali Kali Kapal- Harini.

Paashaste dandahaste kameshwari namostu te.

Chamunde Kulmalasye Tikshandanshtra Mahabale.

Namostu to Goddess Kameshwari at the funeral home.

।। Iti Shri Kamakhya Stotram Sampoornam ।।

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FAQ’s

कामाख्या देवी की पूजा करने से क्या होता है?

कामाख्या देवी की पूजा करने से मुख्य रूप से मानव जीवन का उद्धार, सुख-शांति, रोगों से मुक्ति, संतान प्राप्ति में मददरूप, कामना पूर्ण करने में आपको मदद मिल सकती है।

कामाख्या इतनी शक्तिशाली क्यों है?

इस देवी के मुख्य शक्तिपीठ की पूजा विभिन्न तांत्रिक रूप से किया जाता है इसीलिए कामाख्या देवी को शक्तिशाली माना जाता है।

कामाख्या देवी की पूजा कब करनी चाहिए?

मां कामाख्या की पूजा ज्यादातर नवरात्री, माघ मास, मंगलवार, अमावस और कामाख्या जयंती पर की जाती है। वैसे तो उनके भक्तों द्वारा हर रोज उसकी पूजा करते है।

कामाख्या मंदिर में किस चीज की अनुमति नहीं है?

कामाख्या मंदिर में पुरुषों की प्रवेश की अनुमति नहीं है। यह मंदिर मुख्यत्वे महिलाओं के लिए प्रख्यात है और इसे महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यहां मां कामाख्या निवास करती हैं और इसलिए पुरुषों को मुख्य मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।पुरुषों अपनी पूजा और सेवा मंदिर के बहार से ही कर सकते हैं। महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकतीं।

कामाख्या मंदिर में दर्शन करने में कितना समय लगता है?

कामाख्या मंदिर का दर्शन के लिए लंबी कतारों से बचने के लिए वीआईपी टिकट सुबह 6:00 बजे काउंटर से शुरू हो जाता हैं। मंदिर में दर्शन के लिए मूल्य INR 500/- प्रति व्यक्ति है। अगर आप वीआईपी टिकट के साथ दर्शन के लिए जाते हो तो आपको लगभग 1-2 घंटे दर्शन करने में लगते है। यदि आपके पास वीआईपी टिकट नहीं है तो आपको दर्शन करने में 3-5 घंटे लग सकते है।

Kamakhya Devi Kavach – कामाख्या देवी कवच

  • कामाख्या कवच (Kamakhya Devi Kavach) एक अदभुत धार्मिक रचना है। यह कवच भक्तों को नारी शक्ति के साथ जोड़ती है। इस अंक में हम आपको इस कवच के लिरिक्स, इसका पाठ करने का रहस्य और इसका क्या महत्व है वह सारी जानकारी आप यहाँ पर पा सकेंगे।
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Kamakhya Kavach – कामाख्या देवी कवच

हिन्दू धर्म में ऐसे तो कई सारे देवी देवता है मगर नारी शक्ति को प्रस्थापित करने वाली माँ कामाख्या देवी प्रचलित है।आख़िरकार क्यों इस कवच का पाठ करना उचित है? इसके जवाब में कई लोग ऐसा मानते है की इस कवच का पाठ कोई तांत्रिक रूप और विधि से किया जाये तो ज्यादातर इसमें सफलता मिलती है। असम स्थित कामाख्या मंदिर के गर्भ गृह में देवी की योनि को प्रस्थापित किया गया है जहाँ पर सैकड़ो भक्तों द्वारा तांत्रिक विधि की जाती है। कई भक्तों द्वारा इस कवच का पाठ वही करते है जहाँ पर यह उचित है। आप कुछ समय और स्थल पे ही आप इसका पाठ कर सकते हो।

Kamakhya Devi Black Magic – कामाख्या देवी कवच का रहस्य

आत्मरक्षा – इस कवच का पाठ करने का एक ही उद्देश्य हो सकता है की आत्मा रक्षा। ऐसे तो बहुत सारे उद्देश्य हो सकते है परन्तु मुख्य रूप से जो नारी के प्रति जो दुर्व्यवहार किया जाता है उसके चलते यह कवच का पाठ करना अति उचित मन जा रहा है।

कामाख्या देवी कवच (Kamakhya Devi Kavach) – यह कवच एक अदभुत आध्यात्मिक और रोगों से मुक्त करने वाला यंत्र है जो भक्तों को देवी के साथ जुटे रहने में मदद करता है और उनका आध्यात्मिक विचार और दृष्टि को एक सही राह पर ले जाने में भी मददगार साबित होता है।

आध्यात्मिक विकास – ऐसे तो कई सारे लोग है जो उनकी युवा अवस्था में ही आध्यात्मिक राह से जुड़े हुए होते है। ऐसा नहीं की आप आध्यात्मिक राह से जुड़े नहीं हो तो आप यह Kamakhya Kavach नहीं पढ़ सकते। लेकिन हा, अगर आपको आध्यात्मिक मार्ग के युवा अवस्था में ही पता है तो आप इस चीज़ से जुड़ी सारी बातें समझने में आसानी रहती है। कामाख्या देवी कवच का पाठ किसी उम्र के व्यक्ति और भक्त कर सकते है। इसमें उम्र की कोई पाबंदी नहीं है। यह कवच का पाठ आप शुरू करते हो तो आपको आध्यात्मिक विकास में मददरुप होता है।

 

 

Kamakhya Devi Kavach

कवचं कीदृशं देव्या, महा-भय-निवर्तकम्। कामाख्यायास्तु तद् ब्रूहि, साम्प्रतं मे महेश्वर।।

श्रीमहादेव उवाच:

श्रृणुष्व परमं गुह्यं, महा-भय-निवर्तकम्। कामाख्यायाः सुर-श्रेष्ठ, कवचं सर्व-मंगलम्।।

यस्य स्मरण-मात्रेण, योगिनी-डाकिनी-गणाः। राक्षस्यो विघ्न-कारिण्यो। याश्चात्म-विघ्नकारिकाः।।

क्षुत्-पिपासा तथा निद्रा, तथाऽन्ये ये च विघ्नदाः। दूरादपि पलायन्ते, कवचस्य प्रसादतः।।

निर्भयो जायते मर्त्यस्तेजस्वी भैरवोपमः। समासक्त-मनासक्त-मनाश्चापि, जप-होमादि-कर्मसु।।

भवेच्च मन्त्र-तन्त्राणां, निर्विघ्नेन सु-सिद्धये।।

अथ कवचम्:

ॐ प्राच्यां रक्षतु मे तारा, कामरुप-निवासिनी। आग्नेय्यां षोडशी पातु, याम्यां धूमावती स्वयम्।।

नैऋत्यां भैरवी पातु, वारुण्यां भुवनेश्वरी। वायव्यां सततं पातु, छिन्न-मस्ता महेश्वरी।।

कौबेर्यां पातु मे नित्यं, श्रीविद्या बगला-मुखी। ऐशान्यां पातु मे नित्यं, महा-त्रिपुर-सुन्दरी।।

ऊर्ध्वं रक्षतु मे विद्या, मातंगी पीठ-वासिनी। सर्वतः पातु मे नित्यं, कामाख्या-कालिका स्वयम्।।

ब्रह्म-रुपा महाविद्या, सर्वविद्यामयी-स्वयम्। शीर्षे रक्षतु मे दुर्गा, भालं श्री भव-मोहिनी।।

त्रिपुरा भ्रू-युगे पातु, शर्वाणी पातु नासिकाम्। चक्षुषी चण्डिका पातु, श्रोत्रे नील-सरस्वती।।

मुखं सौम्य-मुखी पातु, ग्रीवां रक्षतु पार्वती। जिह्वां रक्षतु मे देवी, जिह्वा ललन-भीषणा।।

वाग्-देवी वदनं पातु, वक्षः पातु महेश्वरी। बाहू महा-भुजा पातु, करांगुलीः सुरेश्वरी।।

पृष्ठतः पातु भीमास्या, कट्यां देवी दिगम्बरी। उदरं पातु मे नित्यं, महाविद्या महोदरी।।

उग्रतारा महादेवी, जंघोरु परि-रक्षतु। गुदं मुष्कं च मेढ्रं च, नाभिं च सुर-सुन्दरी।।

पदांगुलीः सदा पातु, भवानी त्रिदशेश्वरी। रक्त-मांसास्थि-मज्जादीन्, पातु देवी शवासना।।

महा-भयेषु घोरेषु, महा-भय-निवारिणी। पातु देवी महा-माया, कामाख्या पीठ-वासिनी।।

भस्माचल-गता दिव्य-सिंहासन-कृताश्रया। पातु श्रीकालिका देवी, सर्वोत्पातेषु सर्वदा।।

रक्षा-हीनं तु यत् स्थानं, कवचेनापि वर्जितम्। तत् सर्वं सर्वदा पातु, सर्व-रक्षण-कारिणी।।

फल-श्रुति:

इदं तु परमं गुह्यं, कवचं मुनि-सत्तम! कामाख्याया मयोक्तं ते, सर्व-रक्षा-करं परम्।।

अनेन कृत्वा रक्षां तु, निर्भयः साधको भवेत्। न तं स्पृशेद् भयं घोरं, मन्त्र-सिद्धि-विरोधकम्।।

जायते च मनः-सिद्धिर्निर्विघ्नेन महा-मते! इदं यो धारयेत् कण्ठे, बाही वा कवचं महत्।।

अव्याहताज्ञः स भवेत्, सर्व-विद्या-विशारदः। सर्वत्र लभते सौख्यं, मंगलं तु दिने-दिने।।

यः पठेत् प्रयतो भूत्वा, कवचं चेदमद्भुतम्। स देव्याः पदवीं याति, सत्यं सत्यं न संशयः।।

 

 

 

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FAQ’s

कामाख्या मंदिर में योनि की पूजा क्यों करते हैं?

कामाख्या मंदिर में योनि पूजा इसीलिए की जाती है ताकि नारी की शक्ति और साधना में मदद, संतान प्राप्ति, और पारंपरिक कथा के आधीन यहाँ खास विशेष रूप से पूजा की जाती है।

कामाख्या देवी किसकी कुलदेवी है?

कामाख्या देवी को महाकाली, महागौरी, महासरस्वती, और महालक्ष्मी रूपों में पूजा जाता है और इनका संबध दक्ष प्रजापति की पुत्री सती और शिवजी की पत्नी की भूमि से भी है। कामाख्या देवी बड़गूजर राजवंश की शाखा सिकरवार राजपूतों की कुलदेवी भी हैं।

कामाख्या मंदिर में किस चीज की अनुमति नहीं है?

कामाख्या मंदिर में कोई व्यक्ति किसी भी चीज को लेकर अंधविश्वास या परंपरागत दृष्टिकोण के खिलाफ किसी भी अनुमति का दावा नहीं कर सकता है।

क्या पुरुषों को कामाख्या मंदिर जाने की अनुमति है?

कामाख्या मंदिर में पुरुषों का प्रवेश कुछ मुख्य तिथियों, तहेवार और परंपरागत नियमों के अनुसार होता है। मुख्य रूप से पुरुषो को शक्ति पीठ क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं है। यह क्षेत्र में सिर्फ महिलाएं जा के देवी की पूजा कर सकती है।

Kamakhya Devi Chalisa – कामाख्या देवी चालीसा Hindi PDF

कामाख्या देवी चालीसा (Kamakhya Devi Chalisa) एक ऐसी चालीसा है जो हर दिन या कोई खास अवसर पर इनके भक्तों द्वारा इस चालीसा का पाठ किया जाता है। अगर कोई भक्त इस चालीसा का पाठ निरंतर रूप से करता है तो माँ कामाख्या देवी उनपे प्रसन्ना होती है।

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Kamakhya Devi Chalisa – कामाख्या देवी चालीसा

हिन्दू धर्म में सब देवी देवता की चालीसा होती है पर यह चालीसा में मुख्य रूप से नारी की शक्ति और भक्ति का वर्णन किया गया है। माँ कामाख्या देवी की एक विशेष तांत्रिक रूप से पूजा की जाती है, इसीलिए हम उन्हें तांत्रिक विधि की देवी रूप से भी जानी जाती है। उन्हें माँ शक्ति के रूप में पूजा जाता है, और उनकी चालीसा पढ़ के भक्तों को अपार आनंदमय जीवन जी ने का मौका मिलता है।

कामाख्या देवी चालीसा का अर्थ

इस चालीसा का प्रत्येक शब्द भक्तों के कानों में गहरा असर करता है। यह चालीसा पढ़ने का सीधा अर्थ यह है की जो भी भक्त इस चालीसा का पाठ निरंतर करेगा उसके जीवन में कभी भी देवी अँधेरा नहीं लाएगी। मुख्यत्वे इस चालीसा का सीधा लाभ महिलाओं को जाता है, क्यूंकि यह देवी महिलाओं की देवी है। जो भी महिला या नारी अपने सच्चे मन से इस चालीसा को पढ़ेगी, उसके जीवन में जो भी दुःख होगा उसको यह देवी सम्पूर्ण रूप से दूर करने के लिए मददगार होगी।

कामाख्या देवी का चालीसा के लाभ

आत्मा की शुद्धि – यह चालीसा पढ़ने से भक्त अपनी आत्मा का शुद्धिकरण करने में मदद मिलती है। हालांकि इस का असर आपको त्वरित नहीं दिख सकता, बल्कि आपको यह थोड़े समय के चलते हुए आपको आत्मा की शुद्धि का महसूस होने का अहसास होगा।

भक्ति की वृद्धि – “भक्ति में ही शक्ति है”, यह विधान तब सच होता है की जब आप भक्ति के मार्ग पर अपना पहला कदम रखेंगे। यह बात सच है की यह चालीसा पढ़ने से हमें आत्मा ज्ञान के साथ साथ भक्ति के रंग की संगत शुरू होगी। अगर आप यह चालीसा निरंतर पढ़ते हो तो आप खुदको एक भक्ति के पथ पर जाते हुए देखेंगे।

आनंद और शांति – आनंद और शांति यह एक सिक्के के दो पहलु है जिसमे हर व्यक्ति को अपने जीवन में आनंद और शांति चाहिए। मगर यह तब सच होगा जब आप पूरी तरह से धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग की राह चुनेंगे। यह चालीसा का पाठ पढ़ने से आपको आनंद और शांति दोनों एक साथ मिल सकती है। माँ कामाख्या देवी उन भक्तों पे ज्यादा प्रसन्ना होती है जो छल कपट, ईर्षा, अभिमान वह सब जो भक्त में न पाई जाए।

कामाख्या देवी चालीसा PDF

आज के डिजिटल युग में, कामाख्या देवी चालीसा PDF फॉर्मेट में उपलब्ध है, जिससे भक्त चालीसा को कहीं भी पढ़ सकते हैं और अपने ध्यान में लगा सकते हैं। नीचे दिए गए टेबल से आप डाउनलोड करके इसे ऑफलाइन भी पढ़ सकते है।

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PDF Nameकामाख्या देवी चालीसा PDF
PDF Size662 KB
No. Of Pages4
LanguageHindi
CategoryChalisa

Maa Kamakhya Devi Chalisa in Hindi

॥ दोहा ॥

सुमिरन कामाख्या करुँ, सकल सिद्धि की खानि ।

होइ प्रसन्न सत करहु माँ, जो मैं कहौं बखानि ॥

 

जै जै कामाख्या महारानी । दात्री सब सुख सिद्धि भवानी ॥

कामरुप है वास तुम्हारो । जहँ ते मन नहिं टरत है टारो ॥

ऊँचे गिरि पर करहुँ निवासा । पुरवहु सदा भगत मन आसा ।

ऋद्धि सिद्धि तुरतै मिलि जाई । जो जन ध्यान धरै मनलाई ॥

जो देवी का दर्शन चाहे । हदय बीच याही अवगाहे ॥

प्रेम सहित पंडित बुलवावे । शुभ मुहूर्त निश्चित विचारवे ॥

अपने गुरु से आज्ञा लेकर । यात्रा विधान करे निश्चय धर ।

पूजन गौरि गणेश करावे । नान्दीमुख भी श्राद्ध जिमावे ॥

शुक्र को बाँयें व पाछे कर । गुरु अरु शुक्र उचित रहने पर ॥

जब सब ग्रह होवें अनुकूला । गुरु पितु मातु आदि सब हूला ॥

नौ ब्राह्मण बुलवाय जिमावे । आशीर्वाद जब उनसे पावे ॥

सबहिं प्रकार शकुन शुभ होई । यात्रा तबहिं करे सुख होई ॥

जो चह सिद्धि करन कछु भाई । मंत्र लेइ देवी कहँ जाई ॥

आदर पूर्वक गुरु बुलावे । मन्त्र लेन हित दिन ठहरावे ॥

शुभ मुहूर्त में दीक्षा लेवे । प्रसन्न होई दक्षिणा देवै ॥

ॐ का नमः करे उच्चारण । मातृका न्यास करे सिर धारण ॥

षडङ्ग न्यास करे सो भाई । माँ कामाक्षा धर उर लाई ॥

देवी मन्त्र करे मन सुमिरन । सन्मुख मुद्रा करे प्रदर्शन ॥

जिससे होई प्रसन्न भवानी । मन चाहत वर देवे आनी ॥

जबहिं भगत दीक्षित होइ जाई । दान देय ऋत्विज कहँ जाई ॥

विप्रबंधु भोजन करवावे । विप्र नारि कन्या जिमवावे ॥

दीन अनाथ दरिद्र बुलावे । धन की कृपणता नहीं दिखावे ॥

एहि विधि समझ कृतारथ होवे । गुरु मन्त्र नित जप कर सोवे ॥

देवी चरण का बने पुजारी । एहि ते धरम न है कोई भारी ॥

सकल ऋद्धि – सिद्धि मिल जावे । जो देवी का ध्यान लगावे ॥

तू ही दुर्गा तू ही काली । माँग में सोहे मातु के लाली ॥

वाक् सरस्वती विद्या गौरी । मातु के सोहैं सिर पर मौरी ॥

क्षुधा, दुरत्यया, निद्रा तृष्णा । तन का रंग है मातु का कृष्णा ।

कामधेनु सुभगा और सुन्दरी । मातु अँगुलिया में है मुंदरी ॥

कालरात्रि वेदगर्भा धीश्वरि । कंठमाल माता ने ले धरि ॥

तृषा सती एक वीरा अक्षरा । देह तजी जानु रही नश्वरा ॥

स्वरा महा श्री चण्डी । मातु न जाना जो रहे पाखण्डी ॥

महामारी भारती आर्या । शिवजी की ओ रहीं भार्या ॥

पद्मा, कमला, लक्ष्मी, शिवा । तेज मातु तन जैसे दिवा ॥

उमा, जयी, ब्राह्मी भाषा । पुर हिं भगतन की अभिलाषा ॥

रजस्वला जब रुप दिखावे । देवता सकल पर्वतहिं जावें ॥

रुप गौरि धरि करहिं निवासा । जब लग होइ न तेज प्रकाशा ॥

एहि ते सिद्ध पीठ कहलाई । जउन चहै जन सो होई जाई ॥

जो जन यह चालीसा गावे । सब सुख भोग देवि पद पावे ॥

होहिं प्रसन्न महेश भवानी । कृपा करहु निज – जन असवानी ॥

 

॥ दोहा ॥

कर्हे गोपाल सुमिर मन, कामाख्या सुख खानि ।

जग हित माँ प्रगटत भई, सके न कोऊ खानि ॥

कामाख्या देवी चालीसा (Kamakhya Devi Chalisa) आप प्रतिदिन एक बार पढ़ो। आप यह कुछ समय के लिए निरंतर प्रयास करेंगे तो आप को माँ कामाख्या देवी शक्ति और भक्ति का अहसास होगा। इसी मनोकामना के साथ यहाँ पर यह अंक की समाप्ति करते है। अगर आपको इस देवी के बारे में और जानकारी प्राप्त करनी है तो आप नीचे दिए गए भाग में ज्यादा माहिती पढ़ सकते है।

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FAQ’s

कामाख्या देवी को कैसे प्रसन्न करें?

कामाख्या देवी को प्रसन्न करने के लिए आप उनकी पूजा और अर्चना, श्रद्धा और भक्ति से मंत्रो का पाठ, ध्यान और समर्पण की भावना से व्रत और विधि करके आप यह देवी को प्रसन्न कर सकते हो।

कामाख्या देवी की पूजा करने से क्या होता है?

कामाख्या देवी की पूजा करने से मानव जीवन में शक्ति का आगमन होता है। धार्मिक और आध्यात्मिक साधना होती है। बीमारियों एव रोगों से मुक्ति मिलती है। कामना की साधना में मदद मिलती है।

कामाख्या देवी का मंत्र कौन सा है?

कामाख्या देवी का यह मंत्र “ॐ कामाख्यायै विद्महे कामाराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्॥” है।

क्या कामाख्या मंदिर में इच्छाएं पूरी होती हैं?

हा, अगर कोई भक्त सच्चे मनसे माँ कामाख्या देवी की पूजा और विधि करता है तो उनकी सारी इच्छाएं बहुत जल्द ही पूरी होती है।

Kshama Prarthana Durga – क्षमा प्रार्थना मंत्र इन हिंदी lyrics & English

  • क्षमा प्रार्थना मंत्र (Kshama Prarthana) एक ऐसा अमूल्य मंत्र है, जो व्यक्ति यह मंत्र का उच्चारण करता है उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है। यह मंत्र का उच्चारण इतनी शक्तियों के साथ जुड़ा हुआ है की जिससे हम अपनी गलतियों को स्वीकारने और माफ करने का बल प्राप्त करने में उपयोगी होता है।

Kshama Prarthana – क्षमा प्रार्थना हिंदी अनुवाद सहित 

  • क्षमा प्रार्थना लिरिक्स मानवता की सबसे महत्वपूर्ण रिवाज में से एक है। यह मंत्र हमें दूसरों के अपराधों को सहने की क्षमता प्रदान करते है, जिससे हम समर्थन, अनुकूलता, और प्रेम की भावना से जीवन में उचित रह सकते हैं।
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  • क्षमा प्रार्थना मंत्र हिंदी में जो व्यक्ति पढ़ता है वह क्षमा करने की ताकत को पहचान जाता है। यह मंत्र हमें यह सिखाता है की क्षमा एक शक्ति है, ना की कमजोरी। यह मंत्र व्यक्ति को आत्मनिरीक्षण और स्वयं को सुधारने की ताकत रखता है, जिसे हर व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बना सके।

 

  • क्षमा प्रार्थना मंत्र की आश्चर्यजनक परिस्थिति को समझाने के लिए हम आपको एक उदाहरण लेके समझाते है। यह मंत्र की सिख हमें राजा हरिश्चंद्र की कहानी से मिलती है, जिन्होंने अपने जीवन में बहुत सारी कठिनाईयों का सामना किया और उन्हें क्षमा की भावना से समाप्त किया।

 

  • क्षमा प्रार्थना मंत्र इन हिंदी मंत्र एक मुख्य रूप से व्यक्ति अपने जीवन के कुछ उद्देशय को ध्यान में रखकर पढ़ता है। हर व्यक्ति को इस मंत्र पढ़ने के पीछे का कारन कोई बड़ी समस्या को उलझने का उद्देशय होता है। यह मंत्र पढ़ कर इतना तो आप सीख जाते हो की सामने वाले को क्षमा कैसे कर दिया जाए। यह मंत्र व्यक्ति को उसके दिल को शांति और समर्थन पालन करने में मददरूप होता है।

Durga Kshama Prarthana Mantra in Hindi

ॐ अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया | 

दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि || १ || 

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् | 

पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि || २ || 

हे परमेश्वरि परम भगवती रात और दिन मेरे द्वारा सहस्त्र अपराध हुआ करते है | 

मेरा यह दास है ( में आपका दस हु ) ऐसा समझकर तुम मुझ पर कृपा करके मेरे अपराधों को क्षमा करो || १ || 

ना में आवाहन करना जानता हु 

ना में विसर्जन करना जनता हु 

ना पूजा करना जानता हु 

हे परमेश्वरि मेरे अपराधों को क्षमा करो || २ || 

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि |  

यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु में || ३ || 

अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत् | 

यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः || ४ ||

हे सुरेश्वरि मैंने जो मंत्रहीन ( ना में मंत्र को जानता हु )

क्रियाहीन ( ना में क्रियाओ को जानता  हु )

भक्तिहीन ( ना में भक्ति के प्रकार को जानता हु )

पूजन किया है वो सब आपकी कृपा और दया से पूर्ण हो || ३ || 

सौ प्रकार के अपराध करने के बाद भी भक्तगण

 आपकी शरण में आकर सिर्फ “जगदम्बा”

बोलकर भी गति को प्राप्त करते है,

उसे ब्रह्मा आदि देवगण भी प्राप्त करने में असमर्थ है || ४ || 

सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके | 

इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु || ५ || 

अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम् | 

तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि || ६ || 

हे जगदम्बिके में अपराधी हु तुम्हारी शरण में आया हु |

में दयापात्र हु | तुम जैसा चाहो करो || ५ || 

मुझसे अज्ञानवश जो भी अपराध हुआ है 

उसे आप क्षमा करो और मुझपर प्रसन्न हो || ६ || 

कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानंदविग्रहे | 

गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि || ७ || 

गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम् | 

सिद्धिर्भवतु में देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि || ८ || 

सच्चिदानन्दस्वरूपा परमेश्वरि जगन्माता परमेश्वरि | 

आप प्रेमपूर्वक मेरी इस पूजा को स्वीकार करो | 

और मुझपर सदैव प्रसन्न रहो || ७ || 

देवि | सुरेश्वरि तुम गोपनीयसे गोपनीय वस्तुकी रक्षा करनेवाली हो | 

मेरी इस प्रार्थना को जप को ग्रहण करो | 

तुम्हारी ही कृपा से मुझे सिद्धि प्राप्ति हो || 

|| श्री दुर्गार्पणं अस्तु || 

Kshama Prarthana in English

Aawaham na janami, na janami visarjanam!

Pooja chaiv na janami kshamasva parmeshwara!!

Mantaheenam, kriyaheenam bhakiheenam janardanam!

Yatpoojitam maya dev, paripoorna tadmastu me!!

क्षमा प्रार्थना मंत्र लिरिक्स हिंदी में PDF (Durga Saptashati)

हमने यहाँ पे एक टेबल दिया हुआ है, जहां से आप पीडीऍफ़ फाइल डाउनलोड कर सकते हो।

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PDF NameDurga Kshama Prarthana PDF
PDF Size269 KB
No. Of Pages2
LanuguageHindi
CategoryStotram

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Ganga Aarti: Haridwar, Rishikesh & Varanasi (Banaras) Time

भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा में गंगा नदी को माँ गंगा (Ganges) के रूप में पूजा जाता है और उसकी आरती (Ganga Aarti) सुंदरता और भक्ति का संगम है। हम हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी (Haridwar, Rishikesh & Varanasi (Banaras) ) में होने वाली गंगा आरतियों के समयों की चर्चा करेंगे।

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Ganga Aarti Haridwar

हरिद्वार में गंगा आरती गंगा घाट पर होती है और यह दृश्य देखने लायक है। सुन्दर दीपों की रौशनी, धूप, चमकते हुए पुष्पों की वर्षा और भक्तों की भक्तिभाव आवाज में इस आरती का समापन होता है। प्रतिदिन संध्याकाल को यह आरती रोचक और शांतिपूर्ण वातावरण में होती है।

In Haridwar, Ganga Aarti happens at Ganga Ghat, and the view is worth seeing. This Aarti ends with the light of beautiful lamps, sunlight, a shower of shining flowers, and the devotional voices of the devotees. In the evening, Aarti happens in an interesting and peaceful environment.

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Ganga Aarti Rishikesh

ऋषिकेश में गंगा आरती त्रिवेणी घाट पर होती है और यह आरती मुख्यरूप से सांस्कृतिक अनुभव का अहसास दिलाती है। प्रतिदिन संध्याकाल को इस आरती का आयोजन होता है, जिसमें पुष्प, दीप, और संगीत से गंगा का पूजन किया जाता है। इस आरती की ताल और शोभा अपने आप में एक धार्मिक अनुभव का अहसास दिलाती है।

In Rishikesh, Ganga Aarti happens at Triveni Ghat, and this Aarti mainly gives a feeling of cultural experience. This Aarti is organised every day in the evening. The Ganga is worshipped with flowers, lamps, and music. The flow and charm of this aarti give the feeling of a religious experience in itself.

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Ganga Aarti Varanasi (Banaras)

वाराणसी, जिसे हम प्यार से काशी कहते हैं। काशी गंगा के किनारे पर स्थित है और यहां गंगा आरती प्रतिदिन शाम को की जाती है। यह आरती मणिकर्णिका घाट पर की जाती है। यह आरती ब्राह्मण पुजारियों के द्वारा की जाती है। प्रतिदिन शाम को इस आरती में नृत्य, दीपों की माला और आरती की भक्ति एक अद्‌भुत वातावरण बनाती हैं।

Varanasi, which is also called Kashi. Kashi is situated on the banks of the Ganga. Every day, Ganga Aarti is performed by Pujari. This aarti is performed at Manikarnika Ghat. This aarti is done by Brahmin priests. Every evening in this Aarti, dance, the circle of lamps, and the devotion of the Aarti create a wonderful atmosphere.

Haridwar Evening, typically around sunset. (6:00 pm to 7:00 pm)
Rishikesh Evening, after sunset. (6:00 PM – 7:00 PM)
Varanasi Evening, after sunset. 6:30 PM post sundown in summer and 7:00 PM in winters
हरिद्वार शाम, आमतौर पर सूर्यास्त के आसपास. शाम 7 बजे (Approximately)
ऋषिकेश शाम, सूर्यास्त के बाद. शाम 7 बजे (Approximately)
वाराणसी (काशी) शाम, सूर्यास्त के बाद. शाम 7 बजे (Approximately)

गंगा आरती हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी में एक सुंदर धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करती हैं। यह सभी जगह पे भक्तों की भीड़ जमा होती है। यह दृश्य जब हम हर शाम को देखते है तब हम अपने मन में शांति का अहसास पाते है। ये आरतियां गंगा को एक माता की भावना से की जाती हैं और भक्तों से आध्यात्मिक संबंध के साथ जुड़ी रहती हैं। यह माहौल इतना सुंदर होता है की हर भक्त के मन में भक्ति और शांति का अहसास दिलाता है, जो भारतीय सांस्कृतिक सदियों से चली आ रही परंपरा का प्रणाम है।

Ganga Aarti gives a beautiful religious and cultural experience in Haridwar, Rishikesh, and Varanasi. Devotees gather at these places for Aarti. When we see this scene every evening, we feel peace in our minds. These aartis are performed in the spirit of Ganga and are associated with a spiritual connection with the devotees. This aarti gives a feeling of devotion and peace in the mind of every devotee, which is a tribute to the Indian cultural tradition.

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FAQ’s


गंगा आरती कब शुरू होती है?

गंगा आरती हर शहर में अलग अलग समय पे होती है। हर शहर में लगभग शाम के समयों में होती है। यह आरती श्रृंगार और संध्याकाल आरती के रूप में जानी जाती है।

गंगा जी का मंत्र क्या है?

गंगा जी का मंत्र भक्तों द्वारा बोले जाते हैं। यहां कुछ मुख्य मंत्र हैं जो गंगा माता की आराधना में बोले जाते हैं:

(1) गंगा ध्यान मंत्र:
“ॐ गंगे च यमुने चैव, गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।”

(2) गंगा आरती मंत्र:
“जय गंगे मैया, जय यमुने मैया, जय गोदावरी मैया, जय सरस्वती मैया। जय नर्मदे मैया, जय सिंधु मैया, जय कावेरी मैया, जय जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।”

(3) गंगा चालीसा मंत्र:
“ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता। जो नर तुमको ध्याता, मन वांछित फल पाता। चंद्र सियों रजत मुख में, मुण्डमाल तन छारी। जटाजूट शिर गाली फूलत मन हारी। भारी श्रृंगार सोहे, छवि को अति सुंदर छाया। विपिन विहारिणी या तु शोक नाशिनी दिन राति। जनक भाग्य विधाता।”

गंगा आरती कितने बजे होता है?

गंगा आरती का समय हमने हर शहर के लिए यहाँ पर दिखाया गया है। यह समय में बदलाव हो सकता है। यहाँ पर तीन शहर के गंगा आरती का समय कुछ इस तरह से है:

(1) हरिद्वार

श्रृंगार आरती: सुबह 5:30 बजे
सायंकाल आरती: शाम 6:00 बजे

(2) रिशिकेश:
श्रृंगार आरती: सुबह 5:30 बजे
सायंकाल आरती: शाम 5:30 बजे

(3) वाराणसी (काशी):

श्रृंगार आरती: सुबह 4:00 बजे
सायंकाल आरती: शाम 6:00 बजे

गंगा जी की आरती कैसे होती है?

गंगा आरती एक सांस्कृतिक रीती रिवाज से होती है जो गंगा नदी के किनारे कई स्थानों पर मनाई जाती है, जैसे कि हरिद्वार, ऋषिकेश, और वाराणसी। यहां गंगा आरती की सामान्य विधि दी जा रही है –

(1) सजावट –
आरती की तैयारी सजावट के साथ होती है, जैसे कि दीप, फूल, धूप, और पुष्पों से होती है। पुजारी और भक्तों इसे आध्यात्मिक भावना के साथ आरती की सजावट करते हैं।

(2) आरती की शुरुआत –
आरती का समय आते ही, पुजारी दीपों को जलाने की तैयारी करते हैं। धूप का अद्भुत धुंआ और संगीत की मिठास से मिलकर, आरती की शुरुआत होती है।

(3) आरती गाने का समय –
पुजारी गंगा माता को याद करते हुए आरती गाना शुरु करते हैं। पुजारी के साथ हर कोई भक्त अपने हाथ से ताली बजाते है और इस आरती के बोल को पुजारी के साथ उच्चारण भी करते है।

(4) दीपों का दर्शन –
गंगा आरती के दौरान जलते हुए दीपों का दर्शन करना एक बेहद सूंदर दृश्य होता है। दीपों की रौशनी नदी के पावन जल में दिखाई देती है।

(5) समापन –
आरती के समापन के समय पुजारी और भक्त मिलकर देवी-देवता और गंगा माता से प्रार्थना करते हैं और सभी लोग गंगा माता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

हरिद्वार में गंगा आरती कब होती है?

हरिद्वार में गंगा आरती सुबह के समय पर श्रृंगार आरती और शाम को सायंकाल आरती के रूप में होती है।


गंगा का असली नाम क्या है?

गंगा नदी का असली नाम भागीरथी है। भागीरथी नाम उसके प्रथम मुख्य नृत्य कर्ता भगीरथ के नाम पर से रखा गया है, जिन्होंने इसे अपने तपस्या और प्रार्थना से भगवान शिव से व्यवहार करने के लिए प्राप्त किया था।

Ram Mandir Pran Pratishtha Geet: श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा अभियान गीत

राम मंदिर, भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक वास्तविकता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस नये युग की शुरुआत में, राम मंदिर का पुनर्निर्माण करना वह हमारे लिए एक भव्य समर्पण का पल है, यह क्षण हमें राष्ट्रीय एकता, अखंडता, और भारतीय होने की अनुभूति कराता है। इस अद्भुत समय में, हम राम मंदिर प्राणप्रतिष्ठा के इस कठिन संकल्प को ‘श्री राम मंदिर प्राणप्रतिष्ठा गीत’ (Ram Mandir Pran Pratishtha Geet) के माध्यम से आप तक पहुंचना चाहते है।

 

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राम मंदिर 

भारतीय समाज में राम मंदिर को एक सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल को एक भाग्य के रूप से माना जाता है। । इस शानदार पर्व में, हम एक नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं जिसका नाम है ‘श्री राम मंदिर प्राणप्रतिष्ठा गीत’। यह गीत हमें अद्भुत क्षण की महत्व को समझाने के लिए मददरूप साबित होगा। ।

राम मंदिर प्राणप्रतिष्ठा गीत | Ram Mandir Pran Pratishtha Geet

इस गीत में समाविष्ट होने वाला संगीत हमें राम मंदिर के प्राणप्रतिष्ठा के अद्भुत महत्व को समझाएगा। यह गीत हमें एक सांस्कृतिक और धार्मिक समर्पण का अहसास दिलाएगा, भारत का हर नागरिक इसे एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अधिकार समझ के इस गीत के हर लिरिक्स गाते हुए खुद पर गर्व महसूस करेगा।

 

श्री रघुवर जी के अवधपुरी में
प्राण प्रतिष्ठा होना है
निमन्त्रण को स्वीकार करो
अब सबको अयोध्या चलना है


जय बजरंगी जय हनुमान
वन्दे मातरम जय श्री राम
श्री राम जय राम जय जय राम
वन्दे मातरम, जय श्री राम


इस मंदिर को पाने हेतु
बार बार संघर्ष हुआ
राम भक्तों के बलिदानो से
मंदिर बन कर खङा हुआ
अब मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा


धुम धाम से होना है
निमन्त्रण को स्वीकार करो
अब सबको अयोध्या चलना है
जय बजरंगी जय हनुमान
वन्दे मातरम जय श्री राम


श्री राम जय राम जय जय राम
वन्दे मातरम जय श्री राम
पोष शुक्ल पक्ष द्वादशी को
प्राण प्रतिष्ठा होना है


मंदिर में कीर्तन भजन हो
घर घर दीया जलाना है
मंदिर भव्य बनाकर हमनें
अपना वचन निभाया है


निमन्त्रण को स्वीकार करो
अब सबको अयोध्या चलना है
जय बजरंगी जय हनुमान
वन्दे मातरम जय श्री राम


श्री राम जय राम जय जय राम
गांव गांव के मन्दिर मठ में
सबको एकत्रित करना है
श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा


जन जन मे दिखलाना है हिन्दू संस्कृति को जन जन मे जगाना है।

भगवान राम की भक्ति को जगाना है।

मन्दिर सजा है जैसा ऐसे ही दिल को सजाना है।

मन्दिर भव्य बना है हमारा ऐसे ही हर देश वासी के दिल बड़े हो

भारत में राम लहर को जगाओ भारत से ऊठ कर राम लहर

विश्व लहर बन जायेगी भारत विश्व गुरु कहलाता है। 

राम मन्दिर राम राज्य की स्थापना है

श्री राम जय राम जय जय राम भारत में

हर घर हर मन्दिर को पुष्पो से सजाना है
श्री राम की प्रथम आरती
मिलकर सबको गाना है


निमन्त्रण को स्वीकार करो
अब सबको अयोध्या चलना है
जय बजरंगी जय हनुमान

श्री राम जय राम जय जय राम

वन्दे मातरम जय श्री राम
श्री रघुवर जी के अवधपुरी में


प्राण प्रतिष्ठा होना है
निमन्त्रण को स्वीकार करो
अब सबको अयोध्या चलना है

जय बजरंगी जय हनुमान
वन्दे मातरम जय श्री राम

श्री राम जय राम जय जय राम

 

गीत का भाव – Shri Ram Mandir Ayodhya Pran Pratishtha Abhiyan Song

इस गीत में राग, ताल, और गीतकारी की लय से भरा हुआ है। गीत के हर शब्द हमें राम मंदिर के प्राणप्रतिष्ठा के महत्वपूर्ण क्षण को समझने का एक अद्भुत अलग अंदाज प्रदान करता है। इसमें राम की भक्ति और उनकी समर्पण शक्ति का अजीब भाव छुपे हैं, जो हमें भारत के हर नागरिक के अंदर एक सकारात्मक सोच प्रदान करता है।

सांस्कृतिक समर्पण का महत्व

गीत के माध्यम से हमें यह अहसास होगा कि राम मंदिर का निर्माण एक विशेष उत्सव नहीं है, यह हमारे समृद्धि और एकता की दिशा में भारत के हर व्यक्ति का एक विशेष समर्पण है। इस समर्पण के माध्यम से हम अपनी सांस्कृतिक संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए एक बड़ा कदम बढ़ा रहे हैं।

 

प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ा पहला भजन रिलीज

मिट्टी से चौका लीपो तुम, वंदनवार सजाओ

भांति-भांति के व्यंजन रखकर, प्रभु को भोग लगाओ

मुग्ध मगन हो नृत्य करो तुम, छोड़ के सारे काम

भवन में आए हैं श्रीराम, अवध में आए हैं श्रीराम।

अखियां जो वर्षों से प्यासी, उसकी प्यास बुझाओ

केवट ने जैसे पग धोए, नैनन जल बरसाओ

भवसागर को पार करो तुम लेकर उनका नाम

भवन में आए हैं श्रीराम, अवध में आए हैं श्रीराम

द्वार पे रंगोली सजाकर, उसपर दीप जलाओ

पीढ़े पर बिठाकर प्रभु को, खुद सबरी बन जाओ

तीन लोक में सबसे सुंदर रामलला का धाम

भवन में आए हैं श्रीराम, अवध में आए हैं श्रीराम

सरयू जी के पावन जल में पुष्प लिए नर-नारी हैं

साधु राजा खड़े हैं, स्वागत की तैयारी है

रामलला की चरण धूल का नहीं है कोई दाम

भवन में आए हैं श्रीराम, अवध में आए हैं श्रीराम

 

भावनात्मक संबंध

यह गीत हमें राम मंदिर के प्राणप्रतिष्ठा के उत्सव पर हमें अद्भुत और भावनात्मक क्षणों की ओर जाने की अनुमति का अहसास दिलाता है, इस गीत में जुड़े हुए संगीत और शब्दों का तालमेल हमें एक अनोखा अनुभव में ले जाएगा। यह गीत के उच्चारण के समय राम भक्तों भक्ति और समर्पण की गहरी भावना महसूस कर सकेंगे।

‘श्री राम मंदिर प्राणप्रतिष्ठा गीत’ (Shri Ram Mandir Ayodhya Pran Pratishtha Abhiyan Song) के माध्यम से हम सभी राम मंदिर प्राणप्रतिष्ठा के इस अद्भुत उत्सव हम अयोध्या में मनाएंगे। राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव में हम सभी मिलकर एक नए युग की शुरुआत करेंगे।

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श्री राम चालीसा: Shri Ram Chalisa in Hindi Lyrics with PDF

श्री राम चालीसा (Shri Ram Chalisa in Hindi Lyrics with PDF) एक मुख्य गीत है, इस गीत के माध्यम से भगवान राम अपने हर भक्तों के हृदय में बसे हुए है। यह चालीसा इतने प्रेम भरे गाने की गूंज हर राम मंदिरों और घरों में पढ़ी जाती है, जिससे हर राम भक्त के अंदर भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का आदर कराती है।

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श्री राम चालीसा का सार चालीसा के हर श्लोक में भगवान राम के जीवन, उनके उपदेश, और दैवी महिमा का का वर्णन किया गया है।

भक्ति और उपासना चालीसा के श्लोकों हर भक्त को भक्ति के पथ पर दिव्य स्वरूप के साथ जुड़ने में मदद करता है। चालीसा का पाठ करने से भक्तों की आत्मा में आनंद की भावना पैदा होती है।

उपदेश और ज्ञान इस चालीसा में श्री राम के जीवन के महत्वपूर्ण संदेश का वर्णन किया गया हैं। धर्म, वफादारी, और सत्य की शुरुआत जैसे उदाहरण से हमें यह सीख मिलती है कि भक्तों अपने जीवन को यह चालीसा का पाठ करके उसके जीवन को सरल बना सकता है।

आशीर्वाद और आध्यात्मिक ऊर्जा श्री राम चालीसा का पाठ करके भगवान श्री राम की कृपा को पाने का एक आसान तरीका है। इसे पढ़कर भक्त उनके जीवन की सारी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और हर भक्त को भगवान श्री राम का आशीर्वाद और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने में सहायक बनता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों और उत्सवों पर प्रभाव – श्री राम चालीसा की आवाज सिर्फ व्यक्तिगत उपासना तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव सांस्कृतिक कार्यक्रमों और उत्सवों में भी होता है, खासकर राम नवमी के दिन।

श्री राम चालीसा केवल भक्ति का संगीत नहीं है, बल्कि यह दैवी संगीत है जो आत्मा को दैवी के साथ तालमेल कराता है। इसके हर श्लोकों में भक्ति, प्रेरणा, और परमेश्वर के प्रति अविवाद प्रेम का अनोखा संबंध है। श्री राम चालीसा का पाठ करने से ह्रदय प्रमाण होता है, मन शुद्ध होता है, और भक्त असीम प्रेम और परमेश्वर की बहुत कृपा प्राप्त करने में मदद मिलती है।

Shri Ram Chalisa in Hindi Lyrics

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राम चालीसा लिरिक्स हिंदी में हो या चाहे अंग्रेजी में, Ram Chalisa Lyrics हमने यहाँ पर थोड़ा नीचे जायेंगे तब आपको अंग्रेजी में इसके लिरिक्स मिल जायेंगे।

PDF Name Ram Chalisa PDF
No. Of Pages 4
PDF Size 58 KB
Language Hindi

Ram Chalisa PDF

 

 

Shri Ram Chalisa in English Lyrics

|| CHOPAI ||

Shri Raghubir bhagat hitkari, suni lije prabhu araj hamari,

Nisidin dhyan dhare jo koi, ta sam bhakt aur nahi hoi,

Dhyan dhare shivji man mahi, brahma indra par nahi pahi,

Jai jai jai raghunath kripala, sada karo santan pratipala.

Doot tumhar veer hanumana, jasu prabhav tihu pur jana,

Tuv bhujdand prachand kripala, ravan mari suarn pratipala,

Tum anath ke nath gosai, deenan ke ho sada sahai,

Bramhadik tav par na paven, sada eesh tumharo yash gave.

Chariu ved bharat hai sakhi, tum bhaktan ki lajja rakhi,

Gun gavat sharad man mahi, surpati tako par na pahi,

Nam tumhare let jo koi, ta sam dhanya aur nahi hoi,

Ram naam hai aparampara, charin ved jahi pukara.

Ganpati naam tumharo linho, tinko pratham pujya tum kinho,

Shesh ratat nit naam tumhara, mahi ko bhar shish par dhara,

Phool saman rahat so bhara, pavat kou na tumharo para,

Bharat naam tumharo ur dharo, taso kabahu na ran mein haro.

Naam shatrugna hridaya prakasha, sumirat hot shatru kar nasha,

Lakhan tumhare agyakari, sada karat santan rakhwari,

Tate ran jeete nahi koi, yuddh jure yamahu kin hoi,

Mahalakshmi dhar avtara, sab vidhi karat paap ko chhara.

Seeta ram puneeta gayo, bhuvaneshwari prabhav dikhayo,

Ghat sp prakat bhai so aai, jako dehkat chand lajai,

So tumhare nit paon palotat, navo nidhi charanan mein lotat,

Siddhi atharah mangalkari, so tum par jave balihari.

Aurahu jo anek prabhutai, so seetapati tumahi banai,

Ichchha te kotin sansara, rachat na lagat pal ki bhara,

Jo tumhare charanan chit lave, taki mukti avasi ho jave,

Sunahu ram tum tat hamare, tumahi bharat kul poojya prachare.

Tumahi dev kul dev hamare, tum gurudev pran ke pyare,

Jo kuch ho so tumhahi raja, jai jai jai prabhu rakho laja,

Ram atma poshan hare, jai jai jai dasrath ke pyare,

Jai jai jai prabhu jyoti swarupa, nirgun brahma akhand anoopa.

Satya satya jai satyavrat swami, satya sanatan antaryami,

Satya bhajan tumharo jo gave, So nischay charon phal pave,

Satya sapath gauripati kinhi, tumne bhaktahi sab siddhi dinhi,

Gyan hridaya do gyanswarupa, namo namo jai jagpati bhoopa.

Dhanya dhanya tum dhanya pratapa, naam tumhar harat sntapa,

Satya shudh deva mukh gaya, baji dundubhi shankh bajaya,

Satya satya tum satya sanatan, tumahi ho hamare tan man dhan,

Yako path kare jo koi, gyan prakat take ur hoi.

Avagaman mitai tihi kera, satya vachan mane shiv mera,

Aur aas man mein jo hoi, manvanchit phal pave soi,

Teenahu kal dhyan jo lave, tulsidas anu phool chadhave,

Saag patra so bhog lagave, so nar sakal siddhata pave.

Aant samay raghubarpur jai, jaha janma haribhakta kai,

Shri haridas kahai aru gave, so vaikunth dham ko pave.

||DOHA||

Saat divas jo nem kar, path kare chit laye,

Haridas harikripa se, avasi bhakti ko pave.

Ram chalisa jo padhe, ram sharan chit laye,

Jo ichchha man mein kare, sakal siddh ho jaye.

 

 

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लक्ष्मी चालीसा | Shri Lakshmi Ji | Laxmi Chalisa in Hindi PDF

लक्ष्मी चालीसा (Laxmi Chalisa) का पाठ पढ़ने से माँ लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मददगार साबित होती है। इसीलिए हमने इस आर्टिकल में इसका पीडीऍफ़ फाइल हिंदी में बहुत सारे लोगों के लिए उपलब्ध करवाया है। माँ लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य, वैभव, और सौभाग्य की देवी के रूप में उनके भक्तों द्वारा पूजा जाता हैं। माँ लक्ष्मी हमें संपत्ति और सुख की वरदान देती हैं, और उन्हें प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से लक्ष्मी चालीसा का पाठ हर भक्तों द्वारा प्रतिदिन किया जाता है।

लक्ष्मी चालीसा का महत्व – Importance of Laxmi Chalisa

हिन्दू धर्म में वैसे तो कई सरे देवी-देवताओं को पूजा जाता है। जिसमें माता लक्ष्मी को धन से जुड़ी बाबतें की देवी से पूजा जाता है। कुछ लोग सिर्फ धन की प्राप्ति के लिए ही श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ नियमित रूप से करतें है। मगर में ऐसा मानता हु की माँ लक्ष्मी धन के आलावा कई आप अपने दूसरे आध्यात्मिक कार्यौ के लिए भी पूजा और अर्चना करनी चाहिए। ऐसा माना जा रहा है की शुक्रवार लक्ष्मीजी का दिन होता है। अगर आप हर शुक्रवार को श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ नियमित रूप से करते हो तो आप पर माँ लक्ष्मी आपको हर सकंट से मुक्त करती है, जिससे हर भक्त के जीवन में जो पैसे की कमी होती है उसे पूरा करने में मददरूप साबित आती है। अगर कोई भक्त यह चालीसा का पाठ केवल धन की आवश्यकता को पूरा करने की विचार से करता है, तो माता लक्ष्मी उनके कर्मा के आधीन ही फल प्राप्त कराती है।

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लक्ष्मी चालीसा के लाभ – Benefits of Shri Lakshmi Chalisa

(१) त्योहारों पर विशेष महत्व –

माता लक्ष्मी को दिवाली के समय ज्यादा पूजा और अर्चना की जाती है। हिन्दू धर्म में धनतेरस के दिन हर व्यक्ति अपने पास जो धन होता है उसकी पूजा और अर्चना करते है। कई लोग इस दिन अपने ऑफिस या घर में माता लक्ष्मी का हवन करते है। खास करके यह दिवाली के समय पर लक्ष्मी माता की एक विशेष रूप से पूजा की जाती है, ताकि उनके भक्तों पे हमेशा उनकी कृपा बरसती रहे।

(२) ध्यान स्तर बढ़ाना

Laxmi Chalisa in Hindi PDF अगर आप पढ़ते हो तो यह चालीसा आपके मानसिक ध्यान को बढ़ाने में मदद करती है, जिससे आप कार्यों में कोई मुश्किलें न आये।

Lakshmi Chalisa  Lyrics in Hindi

Laxmi-Chalisa-in-Hindi-PDF

लक्ष्मी चालीसा का पाठ –  Lakshmi Chalisa PDF

हमने यहाँ पर आपको एक टेबल फॉर्मेट दिया है जहा से आप Lakshmi Chalisa PDF डाउनलोड कर सकते है। लक्ष्मी चालीसा का पाठ आप अपनी भाषा में कर सकते हैं, हालांकि हमने यहाँ पर पीडीऍफ़ फाइल हिंदी में दे रखी है।

लक्ष्मी चालीसा लिरिक्स हिंदी में हो या चाहे अंग्रेजी में, Laxmi Chalisa Lyrics हमने यहाँ पर थोड़ा नीचे जायेंगे तब आपको अंग्रेजी में इसके लिरिक्स मिल जायेंगे।

PDF NAME Lakshmi Chalisa PDF
No. Of Pages 2
PDF Size 46 KB
Language Hindi

Laxmi Chalisa PDF

 

 

 

Lakshmi Chalisa Lyrics in English PDF

I I DOHA I I

Maatu Lakshmi Kari Kripaa, Karahu Hriday Mein Vaas I
Manokamana Siddh Kari, Puravahu Meri Aas I I

Sindhusuta Main Sumiron Tohi, Gyaan Buddhi Vidhya Dehu Mohi II
Tum Samaan Nahin Kou Upakaari, Sab Vidhi Puravahu Aas Hamaari II

Jai Jai Jagat Janani Jagadambaa, Sab Ki Tumahi Ho Avalambaa II
Tumahii Ho Ghat Ghat Ki Waasi, Binti Yahi Hamarii Khaasi II

Jag Janani Jai Sindhu Kumaari, Deenan Ki Tum Ho Hitakaari II
Vinavon Nitya Tumhi Maharani, Kripa Karo Jag Janani Bhavaani II

Kehi Vidhi Stuti Karon Tihaarii, Sudhi Lijain Aparaadh Bisari II
Kriapadrishti Chita woh Mam Orii, Jagat Janani Vinatii Sun Mori II

Gyaan Buddhi Jai Sukh Ki Daata, Sankat Harahu Hamaare Maata II
Kshir Sindhu Jab Vishnumathaayo, Chaudah Ratn Sindhu Mein Paayo II

Sindhusuta Main Sumiron Tohi, Gyaan Buddhi Vidhya Dehu Mohi II
Tum Samaan Nahin Kou Upakaari, Sab Vidhi Puravahu Aas Hamaari II

Jai Jai Jagat Janani Jagadambaa, Sab Ki Tumahi Ho Avalambaa II
Tumahii Ho Ghat Ghat Ki Waasi, Binti Yahi Hamarii Khaasi II

Jag Janani Jai Sindhu Kumaari, Deenan Ki Tum Ho Hitakaari II
Vinavon Nitya Tumhi Maharani, Kripa Karo Jag Janani Bhavaani II

Kehi Vidhi Stuti Karon Tihaarii, Sudhi Lijain Aparaadh Bisari II
Kriapadrishti Chita woh Mam Orii, Jagat Janani Vinatii Sun Mori II

Gyaan Buddhi Jai Sukh Ki Daata, Sankat Harahu Hamaare Maata II
Kshir Sindhu Jab Vishnumathaayo, Chaudah Ratn Sindhu Mein Paayo II

Chaudah Ratn Mein Tum Sukhraasi, Seva Kiyo Prabhu Banin Daasi II
Jab Jab Janam Jahaan Prabhu Linhaa, Roop Badal Tahan Seva Kinhaa II

Swayam Vishnu Jab Nar Tanu Dhaara, Linheu Awadhapuri Avataara II
Tab Tum Prakat Janakapur Manhin, Seva Kiyo Hriday Pulakaahi II

Apanaya Tohi Antarayaami, Vishva Vidit Tribhuvan Ki Swaami II
Tum Sam Prabal Shakti Nahi Aani, Kahan Tak Mahimaa Kahaun Bakhaani II

Mann Karam Bachan Karai Sevakaai, Mann Eechhit Phal Paai II
Taji Chhal Kapat Aur Chaturaai, Pujahi Vividh Viddhi Mann Laai II

Aur Haal Main Kahahun Bujhaai, Jo Yah Paath Karai Mann Laai II
Taako Koi Kasht Na Hoi, Mann Eechhit Phal Paavay Soii II

Traahi- Traahii Jai Duhkh Nivaarini, Trividh Tap Bhav Bandhan Haarini II
Jo Yeh Parhen Aur Parhaavay, Dhyan Laga Kar Sunay Sunavay II

Taakon Kou Rog Na Sataavay, Putr Aadi Dhan Sampati Paavay II
Putraheen Dhan Sampati Heena, Andh Badhir Korhhi Ati Diinaa II

Vipr Bulaay Ken Paath Karaavay, Shaankaa Dil Mein Kabhi Na Laavay II
Path Karaavay Din Chalisa, Taapar Krapaa Karahin Gaurisaa II

Sukh Sampatti Bahut-Si Paavay, Kami Nanhin Kaahuu Ki Aavay II
Baarah Maash Karen Jo Puja, Tehi Sam Dhanya Aur Nahin Dujaa II

Pratidin Paath Karehi Man Manhi, Un sam koi Jag Mein Naahin II
Bahuvidhi Kaya Mein Karahun Baraai, Ley Parikshaa Dhyaan Lagaai II

Kari Vishvaas Karay Vrat Naima, Hoi Siddh Upajay Ur Prema II
Jai Jai Jai Lakshmi Bhavani, Sab Mein Vyaapit Ho Gun khaani II

Tumhro Tej Prabal Jag Maahin, Tum Sam Kou Dayaalu Kahun Naahin II
Mohi Anaath Ki Sudhi Ab Lijay, Sannkat Kaati Bhakti Bar Deejay II

Bhool chook Karu Shamaa Hamaari, Darshan Deejay Dasha Nihaari II
Bin Darshan Vyaakul Adhikari, Tumhin Akshat Dukh Shatte Bhaari II

Nahin Mohi Gyaan Buddhi Hai Tan Mein, Sab Jaanat Ho Apane Mann Mein II
Roop Chaturbhuj Karke Dhaaran, Kasht Mor Ab Karahu Nivaaran II
Kehi Prakaar Mein Karahun Badai, Gyaan Buddhi Mohin Nahin Adhikaai II

I I DOHA I I

Traahi Traahi Dukh Haarini, Harahu Vegi Sab Traas I
Jayati Jayati Jai Lakshmi, Karahu Shatru Ka Naas II

 

 

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Om Bhur Bhuva Swaha Meaning & Lyrics: Gayatri Mantra

We will see the Gayatri Mantra’s lyrics (Om Bhur Bhuva Swaha) in detail in this article. Gayatri Parivar is a group of people who organize all the activities held in Gayatri temples across the world.

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Meaning of Om Bhur Bhuva Swaha – Gayatri Mantra

 

Om (ॐ) – यह शब्द उच्चारण करने से शरीर के अंदर सारी शक्तिओं उर्जित होती है। यह शब्द परंपरित वास्तविकता का ख्याल दोहराती है।

Bhur Bhuva Swaha (भूर्भुवः स्वः) – ये तीन शब्द के उच्चारण से निर्माण करता का स्वीकार करते है और उनकी प्रशंसा करते है।

Tat Savitur Varenyam (तत्सवितुर्वरेण्यं) – यह शब्द का प्रयोग एक सच्ची प्राथना का वर्णन करता है, जिसमें हमारी बुद्धि को प्रकाशित करता है और सही रास्ते पर ले जाने के लिए मददरूप होता है।

Bhargo Devasya Dheemahi (भर्गो देवस्य धीमहि) – ये शब्द का उच्चारण करने से हमें पवित्रता, ज्ञान और दिव्य चेतना का गुण प्राप्त होता है। इसके उच्चारण से हमें माता गायत्री से आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Dhiyo Yo Nah Prachodayat (धियो यो नः प्रचोदयात्) – यह शब्द मंत्र का समापन के दौरान हमें परमात्मा से हमारी बुद्धि को धार्मिकता और सत्य की ओर प्रेरित करता है।

Lyrics of Gayatri Mantra – Om Bhur Bhuva Swaha 108 times by Anuradha Paudwal

Om Bhur Bhuvah Swaha
Tat Savitur Varenyam
Bhargo Devasya Dheemahi
Dhiyo Yo Nah Prachodayat

Importance of the Om Bhur Bhuva Swaha

Clear thinking – By reciting this mantra, you can make your own way with clear thinking. It is also called a decision of your own. 

Spiritual balance – By reciting this mantra, you can balance your life, both spiritually and personally. Today, so many people don’t handle spiritual activities because of other work loads. So this mantra helps people balance their lives.

Safety – By reciting Om Bhur Bhuvah Swaha, you can feel safe in your life. Every day, many people face troubles at each step. They don’t understand how they can handle this situation. But once you read this mantra repeatedly, you can feel safe and free from all troubles.

 

Om Bhur Bhuva Swaha Meaning in English

Om: The primeval sound; 
Bhur: the physical body/physical realm; 
Bhuvah: the life force/the mental realm
Suvah: the soul/spiritual realm; 
Tat That (God); 
Savitur: the Sun, Creator (source of all life); 
Vareñyam: adore;
Bhargo: effulgence (divine light); 
Devasya: supreme Lord; 
Dheemahi: meditate; 
Dhiyo: the intellect; 
Yo: May this light; 
Nah: our; 
Prachodayat: illumine/inspire.

There are so many people who read the Gayatri Mantra (Om Bhur Bhuva Swaha) every day. For those people, we will provide this mantra in detail so they can recite it regularly. You can read the mantra here in English. If you recite it 108 times, then you can get blessed by Gayatri Mata. 

 

गायत्री मंत्र का अर्थ – Gayatri Mantra Arth

प्रणव ध्वनि, सृष्टि का आधार
भू पृथ्वी, स्थूल, भौतिक शरीर
भुव: मन, बुद्धि और प्राण शक्ति
स्व: स्वर्ग, भूतल से परे का क्षेत्र
तत् वह, परमात्मा
सवितुर दिव्य सावित्री, सूर्य की विशुद्ध प्राणदायिनी ऊर्जा
वरेण्यं सर्वोच्च, सूर्य एवं तीनों लोकों में व्याप्त जीवनदायिनी शक्ति
भर्गो प्रखर
देवस्य दैवी कृपा
धीमहि हम चिंतन/ध्यान करते हैं
धी बुद्धि
यो वह जो
न: हमारा
प्रचोदयात् प्रार्थना करना

Gayatri Mantra in Hindi – गायत्री मंत्र इन हिंदी

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्।

गायत्री मंत्र का महत्व 

आध्यात्मिक विकास – गायत्री मंत्र का पाठ करने से भक्तों में आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है। इतना ही नहीं बल्कि उन्हें आध्यात्मिक विकास करने में मददरूप साबित होता है।


मानसिक शांति – गायत्री मंत्र इन हिंदी में पढ़ने से मानसिक चिंता दूर होती है। व्यक्ति को ध्यान चित करने में यह मंत्र मददगार साबित होता है।


शारीरिक स्वास्थ्य – इस मंत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। इतना ही नहीं बल्कि यह मंत्र प्रतिदिन पढ़ने से उन्हें ऊर्जा का बहुत ज्यादा स्रोत मिलता है।


सफलता की दिशा – यह मंत्र व्यक्ति को निश्चित किये गए कार्यों में सफलता की दिशा में मार्गदर्शन देता है। व्यक्ति को अपने जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति करने में मददरूप होता है।

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