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Kamakhya Devi Chalisa – कामाख्या देवी चालीसा Hindi PDF

कामाख्या देवी चालीसा (Kamakhya Devi Chalisa) एक ऐसी चालीसा है जो हर दिन या कोई खास अवसर पर इनके भक्तों द्वारा इस चालीसा का पाठ किया जाता है। अगर कोई भक्त इस चालीसा का पाठ निरंतर रूप से करता है तो माँ कामाख्या देवी उनपे प्रसन्ना होती है।

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Kamakhya Devi Chalisa – कामाख्या देवी चालीसा

हिन्दू धर्म में सब देवी देवता की चालीसा होती है पर यह चालीसा में मुख्य रूप से नारी की शक्ति और भक्ति का वर्णन किया गया है। माँ कामाख्या देवी की एक विशेष तांत्रिक रूप से पूजा की जाती है, इसीलिए हम उन्हें तांत्रिक विधि की देवी रूप से भी जानी जाती है। उन्हें माँ शक्ति के रूप में पूजा जाता है, और उनकी चालीसा पढ़ के भक्तों को अपार आनंदमय जीवन जी ने का मौका मिलता है।

कामाख्या देवी चालीसा का अर्थ

इस चालीसा का प्रत्येक शब्द भक्तों के कानों में गहरा असर करता है। यह चालीसा पढ़ने का सीधा अर्थ यह है की जो भी भक्त इस चालीसा का पाठ निरंतर करेगा उसके जीवन में कभी भी देवी अँधेरा नहीं लाएगी। मुख्यत्वे इस चालीसा का सीधा लाभ महिलाओं को जाता है, क्यूंकि यह देवी महिलाओं की देवी है। जो भी महिला या नारी अपने सच्चे मन से इस चालीसा को पढ़ेगी, उसके जीवन में जो भी दुःख होगा उसको यह देवी सम्पूर्ण रूप से दूर करने के लिए मददगार होगी।

कामाख्या देवी का चालीसा के लाभ

आत्मा की शुद्धि – यह चालीसा पढ़ने से भक्त अपनी आत्मा का शुद्धिकरण करने में मदद मिलती है। हालांकि इस का असर आपको त्वरित नहीं दिख सकता, बल्कि आपको यह थोड़े समय के चलते हुए आपको आत्मा की शुद्धि का महसूस होने का अहसास होगा।

भक्ति की वृद्धि – “भक्ति में ही शक्ति है”, यह विधान तब सच होता है की जब आप भक्ति के मार्ग पर अपना पहला कदम रखेंगे। यह बात सच है की यह चालीसा पढ़ने से हमें आत्मा ज्ञान के साथ साथ भक्ति के रंग की संगत शुरू होगी। अगर आप यह चालीसा निरंतर पढ़ते हो तो आप खुदको एक भक्ति के पथ पर जाते हुए देखेंगे।

आनंद और शांति – आनंद और शांति यह एक सिक्के के दो पहलु है जिसमे हर व्यक्ति को अपने जीवन में आनंद और शांति चाहिए। मगर यह तब सच होगा जब आप पूरी तरह से धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग की राह चुनेंगे। यह चालीसा का पाठ पढ़ने से आपको आनंद और शांति दोनों एक साथ मिल सकती है। माँ कामाख्या देवी उन भक्तों पे ज्यादा प्रसन्ना होती है जो छल कपट, ईर्षा, अभिमान वह सब जो भक्त में न पाई जाए।

कामाख्या देवी चालीसा PDF

आज के डिजिटल युग में, कामाख्या देवी चालीसा PDF फॉर्मेट में उपलब्ध है, जिससे भक्त चालीसा को कहीं भी पढ़ सकते हैं और अपने ध्यान में लगा सकते हैं। नीचे दिए गए टेबल से आप डाउनलोड करके इसे ऑफलाइन भी पढ़ सकते है।

titledescription
PDF Nameकामाख्या देवी चालीसा PDF
PDF Size662 KB
No. Of Pages4
LanguageHindi
CategoryChalisa

Maa Kamakhya Devi Chalisa in Hindi

॥ दोहा ॥

सुमिरन कामाख्या करुँ, सकल सिद्धि की खानि ।

होइ प्रसन्न सत करहु माँ, जो मैं कहौं बखानि ॥

 

जै जै कामाख्या महारानी । दात्री सब सुख सिद्धि भवानी ॥

कामरुप है वास तुम्हारो । जहँ ते मन नहिं टरत है टारो ॥

ऊँचे गिरि पर करहुँ निवासा । पुरवहु सदा भगत मन आसा ।

ऋद्धि सिद्धि तुरतै मिलि जाई । जो जन ध्यान धरै मनलाई ॥

जो देवी का दर्शन चाहे । हदय बीच याही अवगाहे ॥

प्रेम सहित पंडित बुलवावे । शुभ मुहूर्त निश्चित विचारवे ॥

अपने गुरु से आज्ञा लेकर । यात्रा विधान करे निश्चय धर ।

पूजन गौरि गणेश करावे । नान्दीमुख भी श्राद्ध जिमावे ॥

शुक्र को बाँयें व पाछे कर । गुरु अरु शुक्र उचित रहने पर ॥

जब सब ग्रह होवें अनुकूला । गुरु पितु मातु आदि सब हूला ॥

नौ ब्राह्मण बुलवाय जिमावे । आशीर्वाद जब उनसे पावे ॥

सबहिं प्रकार शकुन शुभ होई । यात्रा तबहिं करे सुख होई ॥

जो चह सिद्धि करन कछु भाई । मंत्र लेइ देवी कहँ जाई ॥

आदर पूर्वक गुरु बुलावे । मन्त्र लेन हित दिन ठहरावे ॥

शुभ मुहूर्त में दीक्षा लेवे । प्रसन्न होई दक्षिणा देवै ॥

ॐ का नमः करे उच्चारण । मातृका न्यास करे सिर धारण ॥

षडङ्ग न्यास करे सो भाई । माँ कामाक्षा धर उर लाई ॥

देवी मन्त्र करे मन सुमिरन । सन्मुख मुद्रा करे प्रदर्शन ॥

जिससे होई प्रसन्न भवानी । मन चाहत वर देवे आनी ॥

जबहिं भगत दीक्षित होइ जाई । दान देय ऋत्विज कहँ जाई ॥

विप्रबंधु भोजन करवावे । विप्र नारि कन्या जिमवावे ॥

दीन अनाथ दरिद्र बुलावे । धन की कृपणता नहीं दिखावे ॥

एहि विधि समझ कृतारथ होवे । गुरु मन्त्र नित जप कर सोवे ॥

देवी चरण का बने पुजारी । एहि ते धरम न है कोई भारी ॥

सकल ऋद्धि – सिद्धि मिल जावे । जो देवी का ध्यान लगावे ॥

तू ही दुर्गा तू ही काली । माँग में सोहे मातु के लाली ॥

वाक् सरस्वती विद्या गौरी । मातु के सोहैं सिर पर मौरी ॥

क्षुधा, दुरत्यया, निद्रा तृष्णा । तन का रंग है मातु का कृष्णा ।

कामधेनु सुभगा और सुन्दरी । मातु अँगुलिया में है मुंदरी ॥

कालरात्रि वेदगर्भा धीश्वरि । कंठमाल माता ने ले धरि ॥

तृषा सती एक वीरा अक्षरा । देह तजी जानु रही नश्वरा ॥

स्वरा महा श्री चण्डी । मातु न जाना जो रहे पाखण्डी ॥

महामारी भारती आर्या । शिवजी की ओ रहीं भार्या ॥

पद्मा, कमला, लक्ष्मी, शिवा । तेज मातु तन जैसे दिवा ॥

उमा, जयी, ब्राह्मी भाषा । पुर हिं भगतन की अभिलाषा ॥

रजस्वला जब रुप दिखावे । देवता सकल पर्वतहिं जावें ॥

रुप गौरि धरि करहिं निवासा । जब लग होइ न तेज प्रकाशा ॥

एहि ते सिद्ध पीठ कहलाई । जउन चहै जन सो होई जाई ॥

जो जन यह चालीसा गावे । सब सुख भोग देवि पद पावे ॥

होहिं प्रसन्न महेश भवानी । कृपा करहु निज – जन असवानी ॥

 

॥ दोहा ॥

कर्हे गोपाल सुमिर मन, कामाख्या सुख खानि ।

जग हित माँ प्रगटत भई, सके न कोऊ खानि ॥

कामाख्या देवी चालीसा (Kamakhya Devi Chalisa) आप प्रतिदिन एक बार पढ़ो। आप यह कुछ समय के लिए निरंतर प्रयास करेंगे तो आप को माँ कामाख्या देवी शक्ति और भक्ति का अहसास होगा। इसी मनोकामना के साथ यहाँ पर यह अंक की समाप्ति करते है। अगर आपको इस देवी के बारे में और जानकारी प्राप्त करनी है तो आप नीचे दिए गए भाग में ज्यादा माहिती पढ़ सकते है।

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FAQ’s

कामाख्या देवी को कैसे प्रसन्न करें?

कामाख्या देवी को प्रसन्न करने के लिए आप उनकी पूजा और अर्चना, श्रद्धा और भक्ति से मंत्रो का पाठ, ध्यान और समर्पण की भावना से व्रत और विधि करके आप यह देवी को प्रसन्न कर सकते हो।

कामाख्या देवी की पूजा करने से क्या होता है?

कामाख्या देवी की पूजा करने से मानव जीवन में शक्ति का आगमन होता है। धार्मिक और आध्यात्मिक साधना होती है। बीमारियों एव रोगों से मुक्ति मिलती है। कामना की साधना में मदद मिलती है।

कामाख्या देवी का मंत्र कौन सा है?

कामाख्या देवी का यह मंत्र “ॐ कामाख्यायै विद्महे कामाराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्॥” है।

क्या कामाख्या मंदिर में इच्छाएं पूरी होती हैं?

हा, अगर कोई भक्त सच्चे मनसे माँ कामाख्या देवी की पूजा और विधि करता है तो उनकी सारी इच्छाएं बहुत जल्द ही पूरी होती है।

श्री राम चालीसा: Shri Ram Chalisa in Hindi Lyrics with PDF

श्री राम चालीसा (Shri Ram Chalisa in Hindi Lyrics with PDF) एक मुख्य गीत है, इस गीत के माध्यम से भगवान राम अपने हर भक्तों के हृदय में बसे हुए है। यह चालीसा इतने प्रेम भरे गाने की गूंज हर राम मंदिरों और घरों में पढ़ी जाती है, जिससे हर राम भक्त के अंदर भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का आदर कराती है।

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श्री राम चालीसा का सार चालीसा के हर श्लोक में भगवान राम के जीवन, उनके उपदेश, और दैवी महिमा का का वर्णन किया गया है।

भक्ति और उपासना चालीसा के श्लोकों हर भक्त को भक्ति के पथ पर दिव्य स्वरूप के साथ जुड़ने में मदद करता है। चालीसा का पाठ करने से भक्तों की आत्मा में आनंद की भावना पैदा होती है।

उपदेश और ज्ञान इस चालीसा में श्री राम के जीवन के महत्वपूर्ण संदेश का वर्णन किया गया हैं। धर्म, वफादारी, और सत्य की शुरुआत जैसे उदाहरण से हमें यह सीख मिलती है कि भक्तों अपने जीवन को यह चालीसा का पाठ करके उसके जीवन को सरल बना सकता है।

आशीर्वाद और आध्यात्मिक ऊर्जा श्री राम चालीसा का पाठ करके भगवान श्री राम की कृपा को पाने का एक आसान तरीका है। इसे पढ़कर भक्त उनके जीवन की सारी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और हर भक्त को भगवान श्री राम का आशीर्वाद और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने में सहायक बनता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों और उत्सवों पर प्रभाव – श्री राम चालीसा की आवाज सिर्फ व्यक्तिगत उपासना तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव सांस्कृतिक कार्यक्रमों और उत्सवों में भी होता है, खासकर राम नवमी के दिन।

श्री राम चालीसा केवल भक्ति का संगीत नहीं है, बल्कि यह दैवी संगीत है जो आत्मा को दैवी के साथ तालमेल कराता है। इसके हर श्लोकों में भक्ति, प्रेरणा, और परमेश्वर के प्रति अविवाद प्रेम का अनोखा संबंध है। श्री राम चालीसा का पाठ करने से ह्रदय प्रमाण होता है, मन शुद्ध होता है, और भक्त असीम प्रेम और परमेश्वर की बहुत कृपा प्राप्त करने में मदद मिलती है।

Shri Ram Chalisa in Hindi Lyrics

Ram-Chalisa-PDF

 

हमने यहाँ पर आपको एक टेबल फॉर्मेट दिया है जहा से आप Shri Ram Chalisa PDF डाउनलोड कर सकते है। राम चालीसा का पाठ आप अपनी भाषा में कर सकते हैं, हालांकि हमने यहाँ पर पीडीऍफ़ फाइल हिंदी में दे रखी है।

राम चालीसा लिरिक्स हिंदी में हो या चाहे अंग्रेजी में, Ram Chalisa Lyrics हमने यहाँ पर थोड़ा नीचे जायेंगे तब आपको अंग्रेजी में इसके लिरिक्स मिल जायेंगे।

PDF Name Ram Chalisa PDF
No. Of Pages 4
PDF Size 58 KB
Language Hindi

Ram Chalisa PDF

 

 

Shri Ram Chalisa in English Lyrics

|| CHOPAI ||

Shri Raghubir bhagat hitkari, suni lije prabhu araj hamari,

Nisidin dhyan dhare jo koi, ta sam bhakt aur nahi hoi,

Dhyan dhare shivji man mahi, brahma indra par nahi pahi,

Jai jai jai raghunath kripala, sada karo santan pratipala.

Doot tumhar veer hanumana, jasu prabhav tihu pur jana,

Tuv bhujdand prachand kripala, ravan mari suarn pratipala,

Tum anath ke nath gosai, deenan ke ho sada sahai,

Bramhadik tav par na paven, sada eesh tumharo yash gave.

Chariu ved bharat hai sakhi, tum bhaktan ki lajja rakhi,

Gun gavat sharad man mahi, surpati tako par na pahi,

Nam tumhare let jo koi, ta sam dhanya aur nahi hoi,

Ram naam hai aparampara, charin ved jahi pukara.

Ganpati naam tumharo linho, tinko pratham pujya tum kinho,

Shesh ratat nit naam tumhara, mahi ko bhar shish par dhara,

Phool saman rahat so bhara, pavat kou na tumharo para,

Bharat naam tumharo ur dharo, taso kabahu na ran mein haro.

Naam shatrugna hridaya prakasha, sumirat hot shatru kar nasha,

Lakhan tumhare agyakari, sada karat santan rakhwari,

Tate ran jeete nahi koi, yuddh jure yamahu kin hoi,

Mahalakshmi dhar avtara, sab vidhi karat paap ko chhara.

Seeta ram puneeta gayo, bhuvaneshwari prabhav dikhayo,

Ghat sp prakat bhai so aai, jako dehkat chand lajai,

So tumhare nit paon palotat, navo nidhi charanan mein lotat,

Siddhi atharah mangalkari, so tum par jave balihari.

Aurahu jo anek prabhutai, so seetapati tumahi banai,

Ichchha te kotin sansara, rachat na lagat pal ki bhara,

Jo tumhare charanan chit lave, taki mukti avasi ho jave,

Sunahu ram tum tat hamare, tumahi bharat kul poojya prachare.

Tumahi dev kul dev hamare, tum gurudev pran ke pyare,

Jo kuch ho so tumhahi raja, jai jai jai prabhu rakho laja,

Ram atma poshan hare, jai jai jai dasrath ke pyare,

Jai jai jai prabhu jyoti swarupa, nirgun brahma akhand anoopa.

Satya satya jai satyavrat swami, satya sanatan antaryami,

Satya bhajan tumharo jo gave, So nischay charon phal pave,

Satya sapath gauripati kinhi, tumne bhaktahi sab siddhi dinhi,

Gyan hridaya do gyanswarupa, namo namo jai jagpati bhoopa.

Dhanya dhanya tum dhanya pratapa, naam tumhar harat sntapa,

Satya shudh deva mukh gaya, baji dundubhi shankh bajaya,

Satya satya tum satya sanatan, tumahi ho hamare tan man dhan,

Yako path kare jo koi, gyan prakat take ur hoi.

Avagaman mitai tihi kera, satya vachan mane shiv mera,

Aur aas man mein jo hoi, manvanchit phal pave soi,

Teenahu kal dhyan jo lave, tulsidas anu phool chadhave,

Saag patra so bhog lagave, so nar sakal siddhata pave.

Aant samay raghubarpur jai, jaha janma haribhakta kai,

Shri haridas kahai aru gave, so vaikunth dham ko pave.

||DOHA||

Saat divas jo nem kar, path kare chit laye,

Haridas harikripa se, avasi bhakti ko pave.

Ram chalisa jo padhe, ram sharan chit laye,

Jo ichchha man mein kare, sakal siddh ho jaye.

 

 

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लक्ष्मी चालीसा | Shri Lakshmi Ji | Laxmi Chalisa in Hindi PDF

लक्ष्मी चालीसा (Laxmi Chalisa) का पाठ पढ़ने से माँ लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मददगार साबित होती है। इसीलिए हमने इस आर्टिकल में इसका पीडीऍफ़ फाइल हिंदी में बहुत सारे लोगों के लिए उपलब्ध करवाया है। माँ लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य, वैभव, और सौभाग्य की देवी के रूप में उनके भक्तों द्वारा पूजा जाता हैं। माँ लक्ष्मी हमें संपत्ति और सुख की वरदान देती हैं, और उन्हें प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से लक्ष्मी चालीसा का पाठ हर भक्तों द्वारा प्रतिदिन किया जाता है।

लक्ष्मी चालीसा का महत्व – Importance of Laxmi Chalisa

हिन्दू धर्म में वैसे तो कई सरे देवी-देवताओं को पूजा जाता है। जिसमें माता लक्ष्मी को धन से जुड़ी बाबतें की देवी से पूजा जाता है। कुछ लोग सिर्फ धन की प्राप्ति के लिए ही श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ नियमित रूप से करतें है। मगर में ऐसा मानता हु की माँ लक्ष्मी धन के आलावा कई आप अपने दूसरे आध्यात्मिक कार्यौ के लिए भी पूजा और अर्चना करनी चाहिए। ऐसा माना जा रहा है की शुक्रवार लक्ष्मीजी का दिन होता है। अगर आप हर शुक्रवार को श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ नियमित रूप से करते हो तो आप पर माँ लक्ष्मी आपको हर सकंट से मुक्त करती है, जिससे हर भक्त के जीवन में जो पैसे की कमी होती है उसे पूरा करने में मददरूप साबित आती है। अगर कोई भक्त यह चालीसा का पाठ केवल धन की आवश्यकता को पूरा करने की विचार से करता है, तो माता लक्ष्मी उनके कर्मा के आधीन ही फल प्राप्त कराती है।

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लक्ष्मी चालीसा के लाभ – Benefits of Shri Lakshmi Chalisa

(१) त्योहारों पर विशेष महत्व –

माता लक्ष्मी को दिवाली के समय ज्यादा पूजा और अर्चना की जाती है। हिन्दू धर्म में धनतेरस के दिन हर व्यक्ति अपने पास जो धन होता है उसकी पूजा और अर्चना करते है। कई लोग इस दिन अपने ऑफिस या घर में माता लक्ष्मी का हवन करते है। खास करके यह दिवाली के समय पर लक्ष्मी माता की एक विशेष रूप से पूजा की जाती है, ताकि उनके भक्तों पे हमेशा उनकी कृपा बरसती रहे।

(२) ध्यान स्तर बढ़ाना

Laxmi Chalisa in Hindi PDF अगर आप पढ़ते हो तो यह चालीसा आपके मानसिक ध्यान को बढ़ाने में मदद करती है, जिससे आप कार्यों में कोई मुश्किलें न आये।

Lakshmi Chalisa  Lyrics in Hindi

Laxmi-Chalisa-in-Hindi-PDF

लक्ष्मी चालीसा का पाठ –  Lakshmi Chalisa PDF

हमने यहाँ पर आपको एक टेबल फॉर्मेट दिया है जहा से आप Lakshmi Chalisa PDF डाउनलोड कर सकते है। लक्ष्मी चालीसा का पाठ आप अपनी भाषा में कर सकते हैं, हालांकि हमने यहाँ पर पीडीऍफ़ फाइल हिंदी में दे रखी है।

लक्ष्मी चालीसा लिरिक्स हिंदी में हो या चाहे अंग्रेजी में, Laxmi Chalisa Lyrics हमने यहाँ पर थोड़ा नीचे जायेंगे तब आपको अंग्रेजी में इसके लिरिक्स मिल जायेंगे।

PDF NAME Lakshmi Chalisa PDF
No. Of Pages 2
PDF Size 46 KB
Language Hindi

Laxmi Chalisa PDF

 

 

 

Lakshmi Chalisa Lyrics in English PDF

I I DOHA I I

Maatu Lakshmi Kari Kripaa, Karahu Hriday Mein Vaas I
Manokamana Siddh Kari, Puravahu Meri Aas I I

Sindhusuta Main Sumiron Tohi, Gyaan Buddhi Vidhya Dehu Mohi II
Tum Samaan Nahin Kou Upakaari, Sab Vidhi Puravahu Aas Hamaari II

Jai Jai Jagat Janani Jagadambaa, Sab Ki Tumahi Ho Avalambaa II
Tumahii Ho Ghat Ghat Ki Waasi, Binti Yahi Hamarii Khaasi II

Jag Janani Jai Sindhu Kumaari, Deenan Ki Tum Ho Hitakaari II
Vinavon Nitya Tumhi Maharani, Kripa Karo Jag Janani Bhavaani II

Kehi Vidhi Stuti Karon Tihaarii, Sudhi Lijain Aparaadh Bisari II
Kriapadrishti Chita woh Mam Orii, Jagat Janani Vinatii Sun Mori II

Gyaan Buddhi Jai Sukh Ki Daata, Sankat Harahu Hamaare Maata II
Kshir Sindhu Jab Vishnumathaayo, Chaudah Ratn Sindhu Mein Paayo II

Sindhusuta Main Sumiron Tohi, Gyaan Buddhi Vidhya Dehu Mohi II
Tum Samaan Nahin Kou Upakaari, Sab Vidhi Puravahu Aas Hamaari II

Jai Jai Jagat Janani Jagadambaa, Sab Ki Tumahi Ho Avalambaa II
Tumahii Ho Ghat Ghat Ki Waasi, Binti Yahi Hamarii Khaasi II

Jag Janani Jai Sindhu Kumaari, Deenan Ki Tum Ho Hitakaari II
Vinavon Nitya Tumhi Maharani, Kripa Karo Jag Janani Bhavaani II

Kehi Vidhi Stuti Karon Tihaarii, Sudhi Lijain Aparaadh Bisari II
Kriapadrishti Chita woh Mam Orii, Jagat Janani Vinatii Sun Mori II

Gyaan Buddhi Jai Sukh Ki Daata, Sankat Harahu Hamaare Maata II
Kshir Sindhu Jab Vishnumathaayo, Chaudah Ratn Sindhu Mein Paayo II

Chaudah Ratn Mein Tum Sukhraasi, Seva Kiyo Prabhu Banin Daasi II
Jab Jab Janam Jahaan Prabhu Linhaa, Roop Badal Tahan Seva Kinhaa II

Swayam Vishnu Jab Nar Tanu Dhaara, Linheu Awadhapuri Avataara II
Tab Tum Prakat Janakapur Manhin, Seva Kiyo Hriday Pulakaahi II

Apanaya Tohi Antarayaami, Vishva Vidit Tribhuvan Ki Swaami II
Tum Sam Prabal Shakti Nahi Aani, Kahan Tak Mahimaa Kahaun Bakhaani II

Mann Karam Bachan Karai Sevakaai, Mann Eechhit Phal Paai II
Taji Chhal Kapat Aur Chaturaai, Pujahi Vividh Viddhi Mann Laai II

Aur Haal Main Kahahun Bujhaai, Jo Yah Paath Karai Mann Laai II
Taako Koi Kasht Na Hoi, Mann Eechhit Phal Paavay Soii II

Traahi- Traahii Jai Duhkh Nivaarini, Trividh Tap Bhav Bandhan Haarini II
Jo Yeh Parhen Aur Parhaavay, Dhyan Laga Kar Sunay Sunavay II

Taakon Kou Rog Na Sataavay, Putr Aadi Dhan Sampati Paavay II
Putraheen Dhan Sampati Heena, Andh Badhir Korhhi Ati Diinaa II

Vipr Bulaay Ken Paath Karaavay, Shaankaa Dil Mein Kabhi Na Laavay II
Path Karaavay Din Chalisa, Taapar Krapaa Karahin Gaurisaa II

Sukh Sampatti Bahut-Si Paavay, Kami Nanhin Kaahuu Ki Aavay II
Baarah Maash Karen Jo Puja, Tehi Sam Dhanya Aur Nahin Dujaa II

Pratidin Paath Karehi Man Manhi, Un sam koi Jag Mein Naahin II
Bahuvidhi Kaya Mein Karahun Baraai, Ley Parikshaa Dhyaan Lagaai II

Kari Vishvaas Karay Vrat Naima, Hoi Siddh Upajay Ur Prema II
Jai Jai Jai Lakshmi Bhavani, Sab Mein Vyaapit Ho Gun khaani II

Tumhro Tej Prabal Jag Maahin, Tum Sam Kou Dayaalu Kahun Naahin II
Mohi Anaath Ki Sudhi Ab Lijay, Sannkat Kaati Bhakti Bar Deejay II

Bhool chook Karu Shamaa Hamaari, Darshan Deejay Dasha Nihaari II
Bin Darshan Vyaakul Adhikari, Tumhin Akshat Dukh Shatte Bhaari II

Nahin Mohi Gyaan Buddhi Hai Tan Mein, Sab Jaanat Ho Apane Mann Mein II
Roop Chaturbhuj Karke Dhaaran, Kasht Mor Ab Karahu Nivaaran II
Kehi Prakaar Mein Karahun Badai, Gyaan Buddhi Mohin Nahin Adhikaai II

I I DOHA I I

Traahi Traahi Dukh Haarini, Harahu Vegi Sab Traas I
Jayati Jayati Jai Lakshmi, Karahu Shatru Ka Naas II

 

 

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Durga Chalisa Lyrics in Hindi: दुर्गा चालीसा

दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa Lyrics in Hindi) एक प्राचीन भजन है जिसमें माता दुर्गा की महिमा, शक्ति, और करुणा का गुणगान किया जाता है। दुर्गा माता को शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं और उनकी पूजा पाठ का महत्व हर व्यक्ति के लिए सामान है। हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि दुर्गा चालीसा क्या है और इसका पाठ करने के क्या महत्वपूर्ण फायदे हैं।

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दुर्गा चालीसा – देवी दुर्गा का महिमा गान

दुर्गा माता को दूसरे नाम माँ अम्बा के रूप से भी जाना जाता है। माँ अम्बा देवियों की देवी है। माँ दुर्गा वैष्णो देवी मंदिर में बिराजमान है। यह मंदिर में दूर दूर से माता के भक्तों चलके इस मंदिर में आते हैं। गुजरात में अंबाजी मंदिर है, जहां पर माँ अम्बा बिराजमान है। यह मंदिर में कई सारे भक्तों की भीड़ जमा होती है। यह दोनों स्थान पर माँ दुर्गा अपने भक्तों को प्रार्थना करने का अवसर प्रदान करती है। हर कोई भक्त चाहता है की वह दुर्गा चालीसा की स्तुति उनके मंदिर में ही की जाए। प्रतिदिन आप किसी नजदीकी माँ दुर्गा के मंदिर जा के इसका पाठ पढ़ सकते है।

 

दुर्गा चालीसा का महत्व – Importance of Durga Chalisa

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपको नीचे दिखाए गए लाभ मिल सकते हैं-

शक्ति की प्राप्ति – यह चालीसा का पाठ करने से हमें देवी दुर्गा माता की शक्ति का अनुभव होता है। यह देवी शक्ति हमें अपने जीवन में साहस और समर्पण की भावना पैदा करने की ताकत देती हैं।

रोग निवारण – अगर आप इस चालीसा का पाठ प्रतिदिन करते हो, माँ दुर्गा भक्तों के रोग निवारण में मददगार होती है और भक्तों को स्वास्थ्य की रक्षा करती है।

मानसिक शांति – यह चालीसा का पाठ करने से हमारे मानसिक स्थिति में सुधार होता है और हम तनाव और चिंता से मुक्ति प्राप्त करते हैं।

कर्मफल की प्राप्ति – अगर आप जैसा कर्म करते हो वैसा फल प्राप्त करेंगे। यह चालीसा हमें कर्मफल की प्राप्ति में के लिए प्रोत्साहित करती है और हमें कर्मों को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है।

 

 

Durga Chalisa Lyrics in Hindi

 

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन र जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नरनारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। मोह मदादिक सब बिनशावें॥
शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

 

देवीदास शरण निज जानी। कहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

दुर्गा चालीसा लिरिक्स हमने यहाँ पर हिंदी में, Durga Chalisa Lyrics in Hindi में दे रखे है। आप यह चालीसा का पाठ प्रतिदिन पढ़ सकते है। आप अपने समय पर यह चालीसा का पाठ पढ़ सकते है। आप इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन भी पढ़ सकते है।

 

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Shri Krishna Chalisa Lyrics in Hindi PDF: कृष्ण चालीसा

Shri Krishna Chalisa एक चालीसा है जिसमें भगवान श्री कृष्ण की महिमा, उनके गुण गान का वर्णन किया गया है। भगवान श्री कृष्ण हिन्दू धर्म के महान अवतारों में से एक महत्वपूर्ण अवतार हैं। उनके जीवन और बाल स्वरुप की लीलाएं हमें भक्ति, प्रेम, और धर्म की महत्वपूर्ण समझदारी देती हैं। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa Lyrics in Hindi PDF) क्या है और इसका पाठ करने के क्या मुख्य फायदे हैं।

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यहाँ पर हमने कृष्ण चालीसा के लिरिक्स हिंदी और अंग्रेजी में दे रखे है। आप चाहे तब इस लिरिक्स को ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ सकते है। हमने कृष्ण चालीसा के लिरिक्स हिंदी पीडीऍफ़ फॉर्मेट में दे रखा है, जहाँ से आप हिंदी में पढ़ सकते है। अगर आप को यह चालीसा अंग्रेजी में पढ़नी है, तो आप आगे हमने अंग्रेजी में लिरिक्स दे रखे है। आप अपने समय पर जब चाहे तब यह चालीसा का पाठ पढ़ सकते है।

 

हमने यहाँ पर यह चालीसा का पाठ करने से कौन से लाभ आपको प्राप्त होते हैं इसका वर्णन दिया हुआ है:

भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि – अगर आप यह चालीसा का पाठ प्रतिदिन पढ़तें हो, तो आपको भगवान श्री कृष्ण के प्रति भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि देखने को मिल सकती हैं।

सुख और शांति में बढ़ोतरी – यह चालीसा का पाठ करने से आपके जीवन में भगवान कृष्ण आनंद, सुख और शांति का अनुभव अवश्य है।

कर्मफल की प्राप्ति – यह चालीसा का निरंतर पाठ करने से हमें अपने किए हुए कार्यों का फल अवश्य प्राप्त होता है।

धार्मिक सिख – इस चालीसा के माध्यम से हमें अपने धर्म, प्रेम, और कर्म के महत्वपूर्ण सिख मिलती हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाते हैं।

 

Shri-Krishna-Chalisa-PDF

 

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) हमें भगवान कृष्ण की बाल लीला, उनकी महिमा को समझने और उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा की भावना को बढ़ावा देती है। कृष्ण चालीसा पाठ करने से हम अपने जीवन को आध्यात्मिक, सुखमय, सफल, और धार्मिक बना सकते हैं।

Krishna Chalisa in English

Doha 

Banshi shobhit kar madhur, nil jalaj tanu shyam.
Arun adhar janu bimba phal, nayan kamal abhiram.
Puran Indu Arvind mukh, pitambar suchi saj.
Jai Man Mohan Madan chhavi,Krishiaachandra maharaj.

Jai jai Yadunandan jag vandan. Jai Vasudev Devki nandan.
Jai Yashoda sut Nandadulare. Jai prabhu bhaktan ke rakhvare.

Jai Natanagar Nag nathaiya. Krishna Kanhaiya dhenu charaiya.
Puni nakh par Prabhu Girivar dharo. Ao dinan-kasht nivaro.

Banshi madhur adhar-dhari tero. Hove puran manorath mero.
Ao Harli puni makhan chakho. Aaj laj bhaktan ki rakho.

Gol kapol chibuk arunare. Mridu muskan mohini dare.
Rajit Rajiv nayan vishala. Mor mukut vaijantimala.

Kundal shravan pit pat achhe. Kati kinkini kachhani kachhe.
Nil jalaj sundar tan sohai. Chhavi lakhi sur nar muni man mohai.

Mastak tilak alak ghunghrale. Ao Shyam bansuriya vale.
Kari pai pan putanahin taryo. Aka-baka kagasur maryo.

Madhuvan jalat agin jab jvala. Bhe shital lakhatahin Nandaiala.
Jab surpati Brij chadhyo risai. Musar dhar bari barsai.

Lakhat lakhat Bnij chahat bahayo. Govardhan nakh dhari bachayo.
Lakhi Yashuda man bhram adhikai. Mukh mahan chaudah bhuvan dikhai.

Dusht Kansa ati udham machayo. Koti kamal kahan phul mangayo.

Nathi kaiiyahin ko tum linhyo. Charan chinh dai nirbhai kinhyo.

Kari gopin sang ras bilasa. Sab ki pur kari abhilasa.
Aganit maha asur sanharyo. Kansahi kesh pakadi dai maryo.

Matu pita ki bandi chhudayo. Ugrasen kahan raj dilayo.

Him se mritak chhahon sut layo. Matu Devakl shok mitayo.
Narkasur mur khal sanhari. Lae shatdash sahas kumari.

Dai Bhimahin tran chiri isara. Jarasindh rakshas kahan mara.
Asur vrikasur adik maryau. Nij bhaktan kar kasht nivaryau.

Din Sudama ke dukh taryo. Tandul tin muthi mukh daryo.
Duryodhan ke tyagyo meva. Kiyo Vidur ghar shak kaleva.

Lakhi prem tuhin mahima bhari. Naumi Shyam danan hitkari.
Bharat men parath-rath hanke. Liye chakra kar nahin bat thake.

Nij Gita ke gyan sunaye. Bhaktan hridai sudha sarsaye.
Mira aisi matvali. vish pi gayi bajakar tali.

Rana bheja saap pitari. Shaligram bane banvari.
Nij maya tum vidhihin dikhayo. Urte sanshai sakal mitayo.

Tav shatninda kari tatkala, jivan mukt bhayo shishupala.
Jabahin Draupadi ter lagai. Dinanath laj ab jai.

Turatahih basan bane Nandlala. Badhay chir bhe ari munh kala.
As anath ke nath Kanhaiya. Dubat bhanvar bachavahi naiya.

“Sundardas” Aas ur Dharri. Daya Drishti Keejay Banwari.
Nath sakai un kumati nivaro. chhamon vegi apradh hamaro.
Kholo pat ab darshan dijai. Bolo Krishna Kanhaiya ki jai.

Doha 

Yeh chalisa Krishna ka, path krai ur dhari,
asht siddhi nay niddhi phal, lahai padarath chari

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Ganesh Chalisa Lyrics & PDF in Hindi | गणेश चालीसा

Complete Ganesh Chalisa lyrics and PDF in Hindi for Devotional

 

  • हिंदू धर्म के प्रमुख देवी-देवता में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता, संकटकटा हरने वाला और सर्वशक्तिमान के रूप में पूजा जाता है। उनकी आराधना और स्तुति का विशेष महत्व है जो भक्तों को सफलता और समृद्धि के मार्ग पर प्रेरित करता है। भगवान गणेश की एक प्रमुख पूजा का नाम है गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa lyrics and PDF in Hindi) जिसके माध्यम से उन्हें स्तुति किया जाता है। श्री गणेश चालीसा के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानेंगे और उनके सारे रहस्यों को समझने का प्रयास करेंगे।

 

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Ganesh Chalisa PDF   |   गणेश चालीसा के फायदे 

  • गणेश चालीसा इन हिंदी pdf  भगवान गणेश के गुणों, महिमा और उपास्य रूप को प्रकट करता है। यह चालीसा 40 श्लोकों से मिलकर बनी हुई है, जिसमें प्रत्येक श्लोक में गणेश के एक विशेष गुण का वर्णन किया गया है। गणेश चालीसा के जाप से भक्त के मन में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित हो जाती है और उनकी कृपा भक्त पर बनी रहती है।

 

 

प्रत्येक श्लोक का महत्व

गणेश चालीसा इन हिंदी के प्रत्येक श्लोक का विशेष महत्व है जो भक्तों को गणेश के भक्तिभाव, शक्ति, और विशेषता के प्रती कटिबद्ध करता है। नीचे कुछ प्रमुख श्लोकों का विवरण है:

  • जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
    गणेश चालीसा हिंदी में प्रारंभिक पंक्ति से हमें भगवान गणेश के समृद्ध संसार में प्रवेश करवा दिया जाता है। “जय गणेश” की उत्साहभरी गर्जना हमारे मन में नई ऊर्जा भर देती है और हमें विघ्नहीनता के मार्ग पर अग्रसर करती है। गणेश चालीसा के संदेश का यह पहला पद आरंभिक उत्थान के समान है जो हमें सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • करि विघ्नहरि विनय सुनि कामदिवा
    यह पंक्ति हमें भगवान गणेश की विशेषता दिखाती है जिन्हें विघ्नहरि, यानी विघ्नों को हरने वाले, कहा गया है। गणेश विद्या, बुद्धि, और समृद्धि के प्रतीक हैं ।
  • तुम संकटरक्षक मंगलकर्ता
    श्री गणेश चालीसा की यह पंक्ति हमें भगवान गणेश के महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक कार्यों में उनके साथी होने का संकेत देती है। वे हमारे संकटों का रक्षक हैं और हमें सफलता के मार्ग पर प्रगति करने में मदद करते हैं। इस पंक्ति के जरिए, हम गणेश के साथ जुड़कर अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहते हैं।
  • सोन उपद्रव चंद्र निभू कृपाकर्ता
    गणेश चालीसा की यह पंक्ति हमें भगवान गणेश की सुंदरता और आकर्षण का वर्णन करती है। उनके चंद्रनाभि और सोने के उपद्रव (जैसे कान की बाली, मुकुट) उनके दिव्य रूप की प्रशस्ति करते हैं। गणेश की कृपा भक्तों पर विशेष रूप से बरसती है, और उनके दर्शन से हम आनंद और शांति की अनुभूति करते हैं।
  • जय जय जय श्री गणराज विद्यासुखदाता
    गणेश चालीसा की इस पंक्ति में हम भगवान गणेश को “गणराज” और “विद्यासुखदाता” कहकर उनके महत्व का बखान करते हैं। गणेश विद्या के दाता हैं जो अपनी विद्यार्थियों को सफलता की प्राप्ति में संचारित करते हैं। वे गणों के राजा भी हैं जो हमें समृद्धि और समृद्ध समाज की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।
  • महाबीरवनपति गणेश जगवन्दन
    गणेश चालीसा इन हिंदी की यह पंक्ति हमें भगवान गणेश के महाबीरवनपति रूप की स्तुति करती है, जो वे महावीर, यानी शक्तिशाली और शूरवीर हैं, जो समस्त दुष्टता और विपत्तियों का समानीकरण करते हैं। उनके जगवन्दन रूप के दर्शन से हम अपने स्वयं के सामर्थ्य पर विश्वास करते हैं और दुर्भाग्य का परिहार करते हैं।

Ganesh Chalisa PDF, lyrics in Hindi

 

॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥

॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥

जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥

राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥

ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥

एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥

अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥

अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥

गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥

चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥

मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥

अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥

॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सन्मान ॥

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,
ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो,
मंगल मूर्ती गणेश ॥

 

 

गणेश चालीसा के जाप का महत्व

  • गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa) का जाप भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति में स्थिरता प्रदान करता है और उन्हें विभिन्न कष्टों से मुक्ति दिलाता है। गणेश चालीसा के जाप से भक्त के मन में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित हो जाती है और उनकी कृपा भक्त पर बनी रहती है।

 

  • श्री गणेश चालीसा भगवान गणेश के विशेष भक्ति और प्रसन्नता के लिए एक शक्तिशाली श्रद्धा का प्रतीक है। इसमें गणेश के गुणों, विशेषताओं, और सर्वशक्तिमान स्वरूप का विवेचन है जो हमें सफलता, सुख, और समृद्धि के मार्ग पर प्रेरित करता है। गणेश चालीसा के जाप से हमारे मन की शांति होती है और हम अपने जीवन को सकारात्मकता और धार्मिकता के मार्ग पर चलते हैं। भगवान गणेश चालीसा इन हिंदी pdf का नियमित जाप करने से हम अपने कष्टों से मुक्ति प्राप्त करते हैं और उनकी कृपा से हमें सभी परिस्थितियों में सफलता और आनंद का आनंद अनुभव करने में मदद मिलती है।

 

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Vishnu Chalisa: विष्णु चालीसा Lyrics, PDF in Hindi

  • भारतीय धार्मिक साहित्य के अमूल्य रत्न में से एक विष्णु चालीसा एक ऐसी अनूठी और संपूर्ण गाथा है जो भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है। Vishnu Chalisa in Hindi Lyrics PDF (विष्णु चालीसा) पवित्र हनुमान चालीसा की तरह चालीस चौपाईयों से बनी हुई है और हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए आध्यात्मिक आविर्भाव का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। विष्णु चालीसा के रहस्यमयी विश्व को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे।

 

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विष्णु चालीसा lyrics का मूल्य और महत्व

  • विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa Hindi) को हिंदी संस्कृति में एक प्राचीन आध्यात्मिक ग्रंथ के रूप में गर्व से संज्ञान किया जाता है। इसे भगवान विष्णु के सानिध्य में अवगत होने का एक साधन माना जाता है जो भक्तों को सबल और शक्तिशाली बनाता है। यह चालीसा उन समयों में लोकप्रिय थी जब लोग भगवान विष्णु के असीम प्रेम और भक्ति का अनुसरण करते थे जिन्हें वे अपने जीवन का अंश बनाना चाहते थे।

 

 

विष्णु चालीसा के पाठ की महिमा

  • विष्णु चालीसा lyrics का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में अनेक आध्यात्मिक और दैवीय लाभ होते हैं। इस चालीसा के पाठ से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है और वह भगवान विष्णु के चरणों में अपने सभी कष्टों और व्यथाओं को सुपुर्द करता है।
  • दिव्य आशीर्वाद – इसका नियमित पाठ भगवान विष्णु के दिव्य आशीर्वाद को आमंत्रित करता है। भक्तों का मानना है कि भगवान विष्णु उन्हें अपने अनंत कृपा से आभूषित करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं।
  • आंतरिक शांति – इस के सुरीले गान का प्रयोग आंतरिक शांति का सृजन करता है। इसका पाठ मन को शांत और स्थिर बनाता है जिससे व्यक्ति अपने जीवन की चुनौतियों को सहजता से निभा सकता है।
  • भय और नकारात्मकता का नाश –  इस के पाठ से नकारात्मकता का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन से भय का साया उतर जाता है। भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति शक्तिहीनता को भी सामना कर सकता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति – इसके नियमित पाठ से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है। इसके पाठ से व्यक्ति की चिंताएं दूर होती हैं और उसकी मन की गहराईयों तक पहुंच जाती है।
  • सम्पूर्णता की प्राप्ति –  इस के पाठ से व्यक्ति को आत्मिक संपूर्णता की प्राप्ति होती है। इससे व्यक्ति का मन, शरीर और आत्मा संतुलित हो जाते हैं।

 

 

 

Shri Vishnu Chalisa in Hindi | Vishnu Chalisa hindi mai

श्री विष्णु चालीसा

।दोहा।।

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

 

 

।।चौपाई।।

नमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत,सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत,बैजन्ती माला मन मोहत ॥

शंख चक्र कर गदा बिराजे,देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

 

 

पाप काट भव सिन्धु उतारण,कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण,केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा,रावण आदिक को संहारा ॥

आप वाराह रूप बनाया,हरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया,असुरन को छवि से बहलाया ॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

 

 

वेदन को जब असुर डुबाया,कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया,उसही कर से भस्म कराया ॥

असुर जलन्धर अति बलदाई,शंकर से उन कीन्ह लडाई ।
हार पार शिव सकल बनाई,कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

देखत तीन दनुज शैतानी,वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,हना असुर उर शिव शैतानी ॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे,बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

 

 

हरहु सकल संताप हमारे,कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

चहत आपका सेवक दर्शन,करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन,होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण,विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन,कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई हर्षित रहत परम गति पाई ॥

 

 

दीन दुखिन पर सदा सहाई,निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ,भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै,पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

।। दोहा ।।

भक्त हृदय में वास करें पूर्ण कीजिये काज ।
शंख चक्र और गदा पद्म हे विष्णु महाराज ॥

 

  • विष्णु चालीसा lyrics (Vishnu Chalisa in Hindi Lyrics) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो भगवान विष्णु के प्रति भक्ति और समर्पण की अद्भुत उच्चकोटि की प्रशंसा करता है। इसे पाठ करने से व्यक्ति को आंतरिक शांति, दिव्य आशीर्वाद, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। विष्णु चालीसा व्यक्ति को भगवान विष्णु के दिव्य सानिध्य में ले जाता है और उसे अपने जीवन की हर परेशानी से निपटने की शक्ति प्रदान करता है। इस पवित्र चालीसा की आराधना करने से व्यक्ति आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से संपन्न होता है और उसका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है।
  • विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa Hindi) एक पवित्र धार्मिक ग्रंथ है, इसे श्रद्धा और भक्ति से पढ़ना चाहिए।

 

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Shri Vishnu Chalisa Lyrics & PDF

  • Vishnu Chalisa belongs to Lord Vishnu. Devotees pray for Shri Vishnu Chalisa Lyrics PDF every day. The Vishnu Chalisa transcends the boundaries of ink and paper, coming alive when reverently recited or melodiously sung. His divine presence is often depicted with four arms, each holding symbolic objects such as the conch shell, discus, mace, and lotus.
  • Lord Vishnu also known as Narayana and Hari. Devotees are praised by Lord Vishnu for reading Shri Vishnu Chalisa Lyrics PDF. Every verse of the Vishnu Chalisa beautifully weaves an artistic tapestry of love and adoration, dedicated to the worship of Lord Vishnu. The hymn exalts his divine attributes, celestial form, and the sacred avatars that grace the earthly realm, safeguarding righteousness and triumphing over malevolence.

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Shri Vishnu Chalisa in English

॥ Doha॥

Vishnu Suniye Vinay, Sevak Ki Chitalaay ।
Keerat Kuchh Varnan Karun, Dijai Gyaan Bataay ॥

॥Chaupaai॥

Namo Vishnu Bhagwan Kharari, Kashat NashaAvan Akhil Vihari ।
Prabal Jagat Me Shakti Tumhari ,Tribhuvan Phail Rahi Ujiyari ॥

Sundar Roop Manohar Surat, Saral Swabhav Mohini Murat।
Tan Par Pitambar Ati Sohat, Baijanti Mala Man Mohat॥

 

 

Shankh Chakr Kar Gada Viraje, Dekhat Daitya Asur Dal Bhaje।
Satya Dharm Mad Lobh Na Gaaje, Kam Krodh Mad Lobh Na Chaaje॥

Santbhakt Sajjan Manranjan, Danuj Asur Dushtan Dal Ganjan।
Sukh Upjaay Kasht Sab Bhanjan, Dhosh Mitaay Karat Jan Sajjan॥

Paap Kaat Bhav Sindhu Utaaran, Kasht Naashakar Bhakt Ubaaran।
Karat Anek Roop Prabhu Dhaaran, Keval Aap Bhakti Ke Karan॥

Dharani Dhenu Ban Tumhi Pukaaraa, Tab Tum Roop Ram Ka dhaaraa।
Bhaar Utaar Asur Dal Maaraa, Ravan Aadik Ko Sanhaaraa॥

Aap Varaah Roop Banaayaa, Hiranyaaksh Ko Maar Giraayaa।
Dhar Matsya Tan Sindu Banaayaa, Choudah Ratanan Ko Nikalaayaa॥

Amilakh Asuran Dwand Machaayaa, Roop Mohini Aap Dikhaayaa।
Devan Ko Amrit Paan Karaayaa, Asuran Ko Chavi Se Bahalaayaa॥

 

 

Kurm Roop Dhar Sindu Mathaya, Mandraachal Giri Turant Uthaayaa।
Shankar Ka Tum Phand Chudaayaa, Bhasmasur Ko Roop Dikhaayaa॥

Vedan Ko Jab Asur Dubaayaa, Kar Prabanda Unhe Dhundhavaayaa।
Mohit Banakar Khalahi Nachaayaa, Usahi Kar Se Bhasm Karaayaa॥

Asur Jalaandhar Ati Baldaai, Shankar Se Un Kinhi Ladaai।
Haar Paar Shiv Sakal Banaai, Kin Sati Se Chhal Khal Jaai॥

Sumiran Kin Tumhe Shivraani, Batlaai Sab Vipat Kahaani।
Tab Tum Bane Munishwar Gyaani, Vrinda Ki Sab Surati Bhulaani॥

Dekhat Teen Danuj Shaitaani, Vrindaa Aay Tumhe Lipataani ।
Ho Sparsh Dharm Kshati Maani, Hanaa Asur Ur Shiv Shaitaani॥

 

 

Tumne Dhruv Prahlaad Ubaare, Hirnaakush Aadik Khal Maare।
Ganikaa Aur Ajaamil Taare, Bahut Bhakt Bhav Sindhu Utaare॥

Harahu Sakal Santaap Hamaare, Kripaa Karahu Hari Sirajan Haare।
Dekhhu Main Nij Darash Tumhaare, Din Bandhu Bhaktan Hitkaare॥

Chaahataa Aapakaa Sevak Darshan, Karahu Dayaa Apani Madhusudan।
Janu Nahi Yogya Jab Poojan, Hoy Yagya Stuti Anumodan॥

Shiladayaa Santosh Sulakshan, Vidit Nahi Vratbodh Vilakshan।
Karhu Apakaa Kis Vidhi Poojan, Kumati Vilok Hote Dukh Bhishan॥

 

 

Karahu Pranaam Kaun Vidhi Sumiran, Kaun bhaanti Mai Karahu Samarpan।
Sur Muni Karat Sadaa Sevkaai, Harshit Rahat Param Gati Paai॥

Din Dukhin Par Sadaa Sahaai, Nij Jan Jaan Lev Apanaai।
Paap Dosh Santaap Nashaao, Bhav Bandhan Se Mukt Karaao॥

Sut Sampati De Sukh Upjaao, Nij Charanan Ka Daas Banaao।
Nigam Sadaa Ye Vinay Sunavai, Padhai Sune So Jan Sukh Paavai॥

 

  • Regular recitation of the Vishnu Chalisa invokes divine blessings from Lord Vishnu, the cosmic preserver. Devotees believe that the Supreme Being showers them with grace, protection, and guidance on their spiritual journey.
  • Shri Vishnu Chalisa Lyrics PDF is a testament to Lord Vishnu’s enduring devotion and adoration. Let us honour the heavenly knowledge and profound spirituality of the Vishnu Chalisa with reverence and humility, cherishing its holy lines and embracing the eternal essence of devotion to Lord Vishnu. May its omnipotent force direct us to the righteous road and bring us nearer to the heavenly embrace of the ever-protector.

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गायत्री चालीसा – Gayatri Chalisa Lyrics & PDF

  • इस लेख में हम गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa Lyrics & PDF) के महत्व, इतिहास और सार का पता लगाएंगे,  इसे लाखों लोगों द्वारा आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है।
  • भारत एक धार्मिक रूप से धन्य है, जहां अनगिनत प्रार्थनाओं और स्तुतियों के विषय में विविधता है। इनमें से एक प्रसिद्ध प्रार्थना है “गायत्री चालीसा पाठ”, जो अनगिनत भक्तों के दिलों में विशेष स्थान रखती है।

 

गायत्री चालीसा लिरिक्स  लिखित में – Gayatri Chalisa Lyrics & PDF

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  • गायत्री चालीसा इन हिंदी pdf एक भक्तिपूर्ण प्रार्थना है जो देवी गायत्री को समर्पित है, जिसे अक्सर “वेदमाता” के रूप में जाना जाता है। इसके मूल में गायत्री मंत्र है, जो हिंदू धर्म में सबसे प्रभावशाली और पूज्य मंत्रों में से एक है, जो ऋग्वेद से उत्पन्न हुआ है। गायत्री मंत्र एक गहरे आवाहन के रूप में है, जो भगवान के प्रकाश की कृपा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करता है, अज्ञान और अंधकार को हटाने, और ज्ञान और प्रकाश का उपहार प्रदान करने की विनती करता है।

 

Shri Gayatri Chalisa – Gayatri Chalisa Hindi

॥ दोहा ॥
हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥
जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ॥

॥ चालीसा ॥
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी ।
गायत्री नित कलिमल दहनी ॥१॥

अक्षर चौबिस परम पुनीता ।
इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता ॥

शाश्वत सतोगुणी सतरुपा ।
सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥

हंसारुढ़ सितम्बर धारी ।
स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी ॥४॥

पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥

ध्यान धरत पुलकित हिय होई ।
सुख उपजत, दुःख दुरमति खोई ॥

कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।
निराकार की अदभुत माया ॥

तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।
तरै सकल संकट सों सोई ॥८॥

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥

तुम्हरी महिमा पारन पावें ।
जो शारद शत मुख गुण गावें ॥

चार वेद की मातु पुनीता ।
तुम ब्रहमाणी गौरी सीता ॥

महामंत्र जितने जग माहीं ।
कोऊ गायत्री सम नाहीं ॥१२॥

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।
आलस पाप अविघा नासै ॥

सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।
काल रात्रि वरदा कल्यानी ॥

ब्रहमा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ॥

तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥१६॥

महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
जै जै जै त्रिपदा भय हारी ॥

पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।
तुम सम अधिक न जग में आना ॥

तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेषा ॥

जानत तुमहिं, तुमहिं है जाई ।
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥२०॥

तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।
माता तुम सब ठौर समाई ॥

ग्रह नक्षत्र ब्रहमाण्ड घनेरे ।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥

सकलसृष्टि की प्राण विधाता ।
पालक पोषक नाशक त्राता ॥

मातेश्वरी दया व्रत धारी ।
तुम सन तरे पतकी भारी ॥२४॥

जापर कृपा तुम्हारी होई ।
तापर कृपा करें सब कोई ॥

मंद बुद्घि ते बुधि बल पावें ।
रोगी रोग रहित है जावें ॥

दारिद मिटै कटै सब पीरा ।
नाशै दुःख हरै भव भीरा ॥

गृह कलेश चित चिंता भारी ।
नासै गायत्री भय हारी ॥२८ ॥

संतिति हीन सुसंतति पावें ।
सुख संपत्ति युत मोद मनावें ॥

भूत पिशाच सबै भय खावें ।
यम के दूत निकट नहिं आवें ॥

जो सधवा सुमिरें चित लाई ।
अछत सुहाग सदा सुखदाई ॥

घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥३२॥

जयति जयति जगदम्ब भवानी ।
तुम सम और दयालु न दानी ॥

जो सदगुरु सों दीक्षा पावें ।
सो साधन को सफल बनावें ॥

सुमिरन करें सुरुचि बड़भागी ।
लहैं मनोरथ गृही विरागी ॥

अष्ट सिद्घि नवनिधि की दाता ।
सब समर्थ गायत्री माता ॥३६॥

ऋषि, मुनि, यती, तपस्वी, जोगी ।
आरत, अर्थी, चिंतित, भोगी ॥

जो जो शरण तुम्हारी आवें ।
सो सो मन वांछित फल पावें ॥

बल, बुद्घि, विघा, शील स्वभाऊ ।
धन वैभव यश तेज उछाऊ ॥

सकल बढ़ें उपजे सुख नाना ।
जो यह पाठ करै धरि ध्याना ॥४०॥

॥ दोहा ॥
यह चालीसा भक्तियुत, पाठ करे जो कोय ।
तापर कृपा प्रसन्नता, गायत्री की होय ॥

 

गायत्री चालीसा का सार – Gayatri Chalisa Lyrics in Hindi

  • गायत्री चालीसा शांतिकुंज का उद्देश्य गायत्री मंत्र के विशेष महत्व को समझने, उसकी पूजा करने, और उसके अर्थ को ध्यान में रखते हुए देवी गायत्री की कृपा और आशीर्वाद का प्राप्ति करना है। यह प्रार्थना पाठ करने से भक्त अपने मन को शुद्ध और ध्यानकारी बनाकर अध्यात्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर होते हैं। गायत्री चालीसा के माध्यम से भक्त अपने जीवन को सकारात्मकता और सत्य की ओर मोड़ते हैं और अंतः आत्म-अनुभूति और मुक्ति की प्राप्ति के लिए प्रयास करते हैं।

 

गायत्री चालीसा का महत्व –  गायत्री चालीसा के चमत्कार

  • गायत्री चालीसा pdf, गायत्री माँ की स्तुति है, जिसे गायत्री मंत्र के साथ मिलाकर पढ़ा जाता है। यह चालीसा गायत्री माँ के समर्थन, आशीर्वाद, और कृपा की प्राप्ति का माध्यम है। गायत्री मंत्र जो है “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।” इस मंत्र के जाप से व्यक्ति का मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक विकास होता है। यह मंत्र जीवन के सभी क्षेत्रों में सकारात्मकता, समृद्धि, और संतुष्टि का संचार करता है। इस विशेष मंत्र के प्रति लोगों का श्रद्धा अत्यंत गहरी है और उन्हें गायत्री चालीसा का पाठ करके अपने जीवन को सफल बनाने के लिए शक्ति मिलती है।

 

गायत्री चालीसा के लाभ –  गायत्री चालीसा पढ़ने के फायदे

 

मानसिक शक्ति का संचार:

  • गायत्री चालीसा के पाठ से व्यक्ति की मानसिक शक्ति में सकारात्मकता का संचार होता है। गायत्री माँ के आशीर्वाद से मन की शांति होती है और विचारों में सकारात्मक बदलाव आता है। इससे व्यक्ति को मानसिक रूप से स्थिरता मिलती है और उसकी सोच पॉजिटिव दिशा में विकसित होती है।

शारीरिक स्वास्थ्य का सुधार:

  • गायत्री चालीसा के जाप से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। गायत्री माँ की कृपा से रोगों का नाश होता है और व्यक्ति को उच्च स्वास्थ्य दोष मुक्त शरीर मिलता है। गायत्री मंत्र के जाप से मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्वास्थ्य का संचार होता है।

विद्या और ज्ञान के प्राप्ति:

  • गायत्री मंत्र का जाप विद्या और ज्ञान के प्राप्ति में सहायक होता है। यह मंत्र ज्ञान की देवी, गायत्री माँ की कृपा से अज्ञानता का नाश करके व्यक्ति को ज्ञान की अधिकारी बनाता है। गायत्री माँ के आशीर्वाद से विद्या, बुद्धि और ज्ञान के क्षेत्र में समृद्धि होती है।

आत्मिक संवृद्धि:

  • गायत्री माँ की प्रार्थना करने से हमें आत्मिक संवृद्धि का संचार होता है। यह प्रार्थना हमें अपने आत्मा के साथ संबंध स्थापित करती है और हमें अपने भगवानी स्वरूप का पहचानने में मदद करती है। गायत्री माँ के द्वारा हम अपनी आत्मा की गहराईयों को समझते हैं और आत्मिक शांति, संतुष्टि और उन्नति को प्राप्त करते हैं।

अन्तरंग शुद्धि:

  • गायत्री चालीसा के पाठ से हमारे अन्तरंग की शुद्धि होती है। इस प्रार्थना के जाप से हम अपने मन, विचार, और अनुभवों को शुद्ध करते हैं और दिव्यता की अनुभूति करते हैं। यह हमें अपने असली भगवानी स्वरूप की पहचान करने में मदद करता है और हमें आत्मा की उच्चतम अनुभूति की ओर प्रेरित करता है।
  • गायत्री चालीसा गायत्री माँ के दिव्यता, ज्ञान, और आत्मिक उन्नति की प्रार्थना का सार्थक मंत्र है। यह प्रार्थना पाठ करने से हम अपने जीवन को उज्ज्वल, सकारात्मक, और शांत बना सकते हैं। गायत्री माँ की कृपा से हम भगवान की अनंत दया, प्रकाश, और ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं, जो हमें अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में समृद्ध, सफल और संतुष्ट बनाते हैं। इसलिए, गायत्री चालीसा के पाठ को नियमित रूप से करके हम आत्मिक शक्ति को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को एक सार्थक दिशा में उन्नत कर सकते हैं।

गायत्री चालीसा मंत्र:

  • हिंदू धर्म में भक्ति और उपासना के लिए गायत्री मंत्र एक प्राचीन और प्रतिष्ठित मंत्र है। गायत्री मंत्र को वेदमाता के रूप में जाना जाता है, जिसे “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।” इस मंत्र का जाप करने से मन की शुद्धि होती है और आत्मा की उन्नति होती है। इस लेख में, हम गायत्री चालीसा मंत्र के बारे में विस्तार से जानेंगे, जो हमारे आत्मिक विकास और ध्यान के मार्ग में हमें प्रेरित करता है।

 

गायत्री आरती – गायत्री चालीसा आरती

 

॥ आरती ॥
जयति जय गायत्री माता। सुर भूप विमलामति ज्योति॥
तुम सम्पति तुम ही धन धान्य। अवगुण गणन भूलति भक्त जननी॥
चालीसा सोहवीं आरती ज्योति। भावें भक्ति निवारे गायत्री माता॥
सत्य धर्म शक्ति ब्रह्मा जग पालक। नमो नमो तुम सद्गति पारवाल॥
सब दुख भयहीनि तुम तारिणी। भक्तार्ति हारिणि सुखदायिनी॥
विद्या बुद्धि देहि मोहिनी त्रिजगजननी।
भक्ति भाव निवारणी गायत्री माता॥
मंगल स्वरूपी जगदम्बे शरणागती। नमो नमो तुम शरणागती॥
जयति जय गायत्री माता। सुर भूप विमलामति ज्योति॥

गायत्री मंत्र का महत्व:

  • गायत्री मंत्र अद्भुत ध्वनि, शक्ति और दिव्यता से भरा हुआ है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को अपने मन की उन्नति, ज्ञान, और आत्मा की प्राप्ति का मार्ग प्रदान होता है। गायत्री मंत्र का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे जाप करने से व्यक्ति को सत्य की पहचान होती है और उसके जीवन को प्रकाशमय बनाने में मदद मिलती है।

गायत्री मंत्र के फायदे:

  • आत्मिक विकास का समर्थन: गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति का आत्मिक विकास होता है। यह मंत्र व्यक्ति को अपने सच्चे स्वरूप का अनुभव करने में मदद करता है और उसे आत्मिक स्वयंप्रकाश मिलता है।
  • ज्ञान की प्राप्ति: गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह मंत्र विद्या, बुद्धि और ज्ञान के क्षेत्र में समृद्धि के लिए सहायक सिद्ध होता है।
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुधारता है। यह मंत्र शक्तिशाली ऊर्जा का संचार करता है और व्यक्ति को स्वस्थ बनाता है।
  • आत्मिक शांति: गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति को आत्मिक शांति मिलती है। यह मंत्र व्यक्ति को मानसिक तनाव से मुक्त करता है और उसको आत्मिक शांति देता है।
  • ध्यान की प्राप्ति: गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति को ध्यान की प्राप्ति होती है। यह मंत्र व्यक्ति को अपने आंतरिक शक्ति का अनुभव करने में मदद करता है और उसे ध्यानावस्था में प्रवेश करता है।
  • गायत्री मंत्र एक शक्तिशाली और प्राचीन मंत्र है, जो हमारे आत्मिक विकास और ध्यान के मार्ग में हमें प्रेरित करता है। यह मंत्र वेदमाता की कृपा से हमें ज्ञान, शक्ति, और आनंद की प्राप्ति होती है। गायत्री मंत्र के जाप से हम अपने आत्मा की गहराईयों को समझते हैं और आत्मिक संवृद्धि, शांति, और समृद्धि को प्राप्त करते हैं। यह मंत्र हमें अपने जीवन की दिशा में प्रकाशमय बनाकर सफलता की ओर प्रेरित करता है। गायत्री मंत्र का पाठ करने से हमारा जीवन आत्मिकता और उच्चतम अनुभूति के दिशा में प्रगति करता है।

 

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Shiv Chalisa: Shiv Aarti | Shiv Tandav | शिव चालीसा

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Shiv Chalisa Lyrics in English

Jai Ganesh Girija Suvan
Mangal Mul Sujan
Kahat Ayodhya Das
Tum Dey Abhaya Varadan

Jai Girija Pati Dinadayala
Sada Karat Santan Pratipala
Bhala Chandrama Sohat Nike
Kanan Kundal Nagaphani Ke

Anga Gaur Shira Ganga Bahaye
Mundamala Tan Chhara Lagaye
Vastra Khala Baghambar Sohain
Chhavi Ko Dekha Naga Muni Mohain

Maina Matu Ki Havai Dulari
Vama Anga Sohat Chhavi Nyari
Kara Trishul Sohat Chhavi Bhari
Karat Sada Shatrun Chhayakari

Nandi Ganesh Sohain Tahan Kaise
Sagar Madhya Kamal Hain Jaise
Kartik Shyam Aur Gana rauo
Ya Chhavi Ko Kahi Jata Na Kauo

Devan Jabahi Jaya Pukara
Tabahi Dukha Prabhu Apa Nivara
Kiya Upadrav Tarak Bhari
Devan Sab Mili Tumahi Juhari

Turata Shadanana Apa Pathayau
Luv nimesh Mahi Mari Girayau
Apa Jalandhara Asura Sanhara
Suyash Tumhara Vidit Sansara

Tripurasur Sana Yudha Machai
Sabhi Kripakar Lina Bachai
Kiya Tapahin Bhagiratha Bhari
Purahi Pratigya Tasu Purari

Darpa chod Ganga thabb Aayee
Sevak Astuti Karat Sadahin
Veda Nam Mahima Tav Gai
Akatha Anandi Bhed Nahin Pai

Pragati Udadhi Mantan te Jvala
Jarae Sura-Sur Bhaye bihala
Mahadev thab Kari Sahayee,
Nilakantha Tab Nam Kahai

Pujan Ramchandra Jab Kinha
Jiti Ke Lanka Vibhishan Dinhi
Sahas Kamal Men Ho Rahe Dhari
Kinha Pariksha Tabahin Purari

Ek Kamal Prabhu Rakheu goyee
Kushal-Nain Pujan Chahain Soi
Kathin Bhakti Dekhi Prabhu Shankar
Bhaye Prasanna Diye-Ichchhit Var

Jai Jai Jai Anant Avinashi
Karat Kripa Sabake Ghat Vasi
Dushta Sakal Nit Mohin Satavai
Bhramat Rahe Man Chain Na Avai

Trahi-Trahi Main Nath Pukaro
Yahi Avasar Mohi Ana Ubaro
Lai Trishul Shatrun Ko Maro
Sankat Se Mohin Ana Ubaro

Mata Pita Bhrata Sab Hoi
Sankat Men Puchhat Nahin Koi
Swami Ek Hai Asha Tumhari
Ai Harahu Ab Sankat Bhari

Dhan Nirdhan Ko Deta Sadahin
Arat jan ko peer mitaee,
Astuti Kehi Vidhi Karai Tumhari
Shambhunath ab tek tumhari

Dhana Nirdhana Ko Deta Sadaa Hii
Jo Koi Jaanche So Phala Paahiin
Astuti Kehi Vidhi Karon Tumhaarii
Kshamahu Naatha Aba Chuuka Hamaarii

Shankar Ho Sankat Ke Nashan
Vighna Vinashan Mangal Karan
Yogi Yati Muni Dhyan Lagavan
Sharad Narad Shisha Navavain

Namo Namo Jai Namah Shivaya
Sura Brahmadik Par Na Paya
Jo Yah Patha Karai Man Lai
To kon Hota Hai Shambhu Sahai

Riniyan Jo Koi Ho Adhikari
Patha Karai So Pavan Hari
Putra-hin Ichchha Kar Koi
Nischaya Shiva Prasad Tehin Hoi

Pandit Trayodashi Ko Lavai
Dhyan-Purvak Homa Karavai
Trayodashi Vrat Kare Hamesha
Tan Nahin Take Rahe Kalesha

Dhuupa Diipa Naivedya Chadhaave
Shankara Sammukha Paatha Sunaave
Janma Janma Ke Paapa Nasaave
Anta Dhaama Shivapura Men Paave

Doha

Nitya Nema kari Pratahi
Patha karau Chalis
Tum Meri Man Kamana
Purna Karahu Jagadisha

 

शिव चालीसा

 

  • शिव चालीसा एक प्रसिद्ध हिंदी भक्ति गीत है जो महादेव शिव की महिमा और भक्ति को समर्पित है। यह चालीसा शिव भक्ति और पूजा में प्रयोग होती है और भक्तों द्वारा उनकी आराधना और उनके दिव्य गुणों का गान करने के लिए प्रयोग की जाती है। इसमें  अर्धमात्रा, संक्षेप में शिव के महत्त्व, उनकी विभिन्न नाम, गुण, आराध्यता के विषयों की महिमा का वर्णन किया गया है। इसमें भक्तों द्वारा शिव की स्तुति की जाती है और उनकी आशीर्वाद का आह्वान किया जाता है। शिव चालीसा में महिमा स्तोत्र, शिव आरती हिंदी में, तांडव, मंत्र, स्तुति ,जप गुजराती और हिंदी में शामिल हैं।
  • शिव चालीसा के पठन और सुनने का महत्वपूर्ण उद्देश्य है महादेव शिव की आराधना और उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति को जीवंत रखना। यह चालीसा शिव भक्तों को मनोयोग और आध्यात्मिकता में स्थिरता और सुख प्रदान करने का मान्यता है। इसका पाठ या सुनना शिव भक्ति और अनुशासन को बढ़ावा देता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।
  • शिव चालीसा के पाठ के द्वारा भक्त शिव की प्राप्ति, आशीर्वाद, धैर्य, शक्ति, सुख, समृद्धि, आनंद, मोक्ष और आध्यात्मिक समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह चालीसा शिव की जयंती, महाशिवरात्रि, कार्तिक मास और अन्य पर्व और उत्सव के अवसर पर विशेष रूप से की जाती है। शिव चालीसा विभिन्न संस्कृति और भाषाओं में उपलब्ध है। हिंदी, संस्कृत, गुजराती, बंगाली, तेलुगु, मराठी और अन्य भाषाओं में इसके विभिन्न रूप मौजूद हैं। इसे भक्त अपनी आस्था और भाषा के अनुसार चुन सकते हैं और शिव की महिमा के एक रूप के रूप में इसका पाठ या सुनना कर सकते हैं।

Shiv Chalisa Lyrics in Hindi

श्री शिव चालीसा

दोहा

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देख नाग मुनि मोहे ॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भये प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनंत अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै ॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । यहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥

मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु अब संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदाहीं । जो कोई जांचे वो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । नारद शारद शीश नवावैं ॥

नमो नमो जय नमो शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पार होत है शम्भु सहाई ॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा । तन नहीं ताके रहे कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥ दोहा ॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥

॥ इति शिव चालीसा ॥

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