Shiv Tandav Stotram PDF: शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में

हिन्दू धर्म के देवता भगवान शिव का एक अत्यधिक शक्तिशाली और भावपूर्ण शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में  महिमा और दिव्यता की महत्वपूर्ण झलकियों को हमारे सामने प्रस्तुत करता है। Shiv Tandav Stotram PDF शिव भगवान के नृत्य और उनके महाकालीय रूप की महानता का परिचय देता है, जिसमें देवता का विश्वनाशक तांडव दर्शाया गया है।

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महत्वपूर्ण श्लोकों की महिमा:

शिव तांडव स्तोत्रम  के १६ श्लोक भगवान शिव की महिमा, शक्ति, और दिव्यता को व्यक्त करते हैं। स्तोत्रम के प्रत्येक श्लोक में शिव के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है, जो विश्व के नायक, सर्वशक्तिमान, और महाकाल के रूप में प्रकट होते हैं।

 

Shiv Tandav Stotram PDF | शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में 

जटा-टवी-गलज्-जल-प्रवाह-पावित-स्थले
गलेऽव-लम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग-तुङ्ग-मालिकाम्
डमड्-डमड्-डमड्-डमन्-निनाद-वड्-डमर्वयं
चकार चण्ड-ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥1॥

जटा-कटाह-सम्भ्रम-भ्रमन्-निलिम्प निर्झरी
विलोल-वीचि-वल्लरी-विराज-मान मूर्धनि।
धगद्-धगद्-धगज्-ज्वलल्-ललाट-पट्ट पावके
किशोर-चन्द्र-शेखरे रतिः प्रति-क्षणं मम: ॥2॥

धरा-धरेन्द्र-नन्दिनी-विलास-बन्धु बन्धुर
स्फुरद्-दिगन्त-सन्तति-प्रमोद-मान मानसे।
कृपा-कटाक्ष-धोरणी-निरुद्ध-दुर्धरा-पदि
क्वचिद्-दिगम्बरे मनो विनोद-मेतु वस्तुनि ॥3॥

जटा भुजङ्गपिङ्गल स्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
मदान्धसिन्धु रस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥

सहस्र-लोचन-प्रभृत्य-शेष-लेख-शेखर
प्रसून-धूलि-धोरणी-विधू-सराङ्घ्रि-पीठ-भूः।
भुजङ्ग-राज-मालया निबद्ध-जाट-जूटक:
श्रियै चिराय जायतां चकोर-बन्धु-शेखरः ॥5॥

ललाट-चत्वर-ज्वलद्-धनञ्जय-स्फुलिङ्गभा
निपीत-पञ्च-सायकं नमन्-निलिम्प-नायकम्।
सुधा-मयूख-लेखया विराज-मान-शेखरं
महा-कपालि सम्पदे शिरो जटाल-मस्तुनः ॥6॥

कराल-भाल-पट्टिका-धगद्-धगद्-धगज्-ज्वलद्
धनञ्जया-हुती-कृत-प्रचण्ड-पञ्च-सायके।
धरा-धरेन्द्र-नन्दिनी-कुचाग्र-चित्र-पत्रक-
प्रकल्प-नैक-शिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥7॥

नवीन-मेघ-मण्डली-निरुद्ध-दुर्धर-स्फुरत्
कुहू-निशीथिनी-तमः-प्रबन्ध-बद्ध-कन्धरः।
निलिम्प-निर्झरी-धरस्-तनोतु कृत्ति-सिन्धुरः
कला-निधान-बन्धुरः श्रियं जगद्-धुरन्धरः ॥8॥

प्रफुल्ल-नील-पङ्कज-प्रपञ्च-कालिम-प्रभा
वलम्बि-कण्ठ-कन्दली-रुचि-प्रबद्ध-कन्धरम्।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छि-दान्ध-कच्छिदं तमन्त-कच्छिदं भजे ॥9॥

अगर्व-सर्व-मङ्गला-कला-कदम्ब मञ्जरी
रस-प्रवाह-माधुरी-विजृम्भणा-मधु-व्रतम्।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्त-कान्ध-कान्तकं तमन्त-कान्तकं भजे ॥10॥

जयत्व-दभ्र-विभ्रम-भ्रमद्-भुजङ्ग मश्वस
द्विनिर्गमत्-क्रम-स्फुरत्-कराल-भाल-हव्य-वाट्
धिमिद्-धिमिद्-धिमिद्-ध्वनन्-मृदङ्ग-तुङ्ग-मङ्गल
ध्वनि-क्रम-प्रवर्तित-प्रचण्ड-ताण्डवः शिवः ॥11॥

दृषद्-विचित्र-तल्पयोर्-भुजङ्ग-मौक्ति-कस्रजोर्
गरिष्ठ-रत्न-लोष्ठयोः सुहृद्-विपक्ष-पक्ष-योः।
तृणारविन्द-चक्षुषोः प्रजा-मही-महेन्द्रयोः
समं-प्रवृत्ति-कः कदा सदा-शिवं भजाम्यहम् ॥12॥

कदा निलिम्प-निर्झरी-निकुञ्ज-कोटरे वसन्
विमुक्त-दुर्मतिः सदा शिरःस्थ-मञ्जलिं वहन्।
विलोल-लोल-लोचनो ललाम-भाल-लग्नकः
शिवेति मन्त्र मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥13॥

निलिम्प नाथ-नागरी कदम्ब मौल-मल्लिका
निगुम्फ-निर्भक्षरन्म धूष्णिका-मनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनीं-महनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्ग-जत्विषां चयः॥14॥

प्रचण्ड वाड-वानल प्रभा-शुभ-प्रचारणी
महा-अष्टसिद्धि कामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाह-कालिक-ध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्॥15॥

इमं हि नित्य-मेव-मुक्त-मुत्त-मोत्तमं स्तवं
पठन् स्मरन् ब्रुवन्-नरो विशुद्धि-मेति सन्ततम्।
हरे गुरौ सुभक्ति-माशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिन्तनम् ॥16॥

पूजा-वसान-समये दश-वक्त्र-गीतं
यः शम्भु-पूजन-परं पठति प्रदोषे।
तस्य स्थिरां रथ-गजेन्द्र-तुरङ्ग-युक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥17॥

। इति श्री शिव तांडव स्तोत्र सम्पूर्णम् ।

 

भावभरी नृत्य की अद्वितीयता:

यह स्तोत्रम (shiv tandav stotram lyrics pdf in hindi) में शिव का भयंकर और उत्कृष्ट नृत्य वर्णित है, जिसका दर्शन करने में आत्मा की उच्चतम भावना को प्राप्त होता है। उनके दिव्य नृत्य से प्रकट होने वाली शक्ति और ऊर्जा व्यक्ति को अपने अंतरात्मा की गहराईयों तक ले जाती है।

धार्मिक और मानवीय महत्व:

शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका मानवीय अर्थ भी गहरा है। यह स्तोत्रम हमें जीवन की अनिश्चितता और परिवर्तन के साथ साहसी रूप से मुकाबला करने की प्रेरणा देता है।

यह एक दिव्य और अद्वितीय स्तोत्रम है जो हमें भगवान शिव के दिव्य रूप और उनकी शक्ति का अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है। इसके अंतर्गत वर्णित शिव के नृत्य का दर्शन करने से हमारी आत्मा को उद्दीपन मिलता है और हम अपने जीवन को उद्घाटन और समर्पण की दिशा में प्रस्थान कर सकते हैं।

शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से क्या होता है?

शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से मानव जीवन में विभिन्न प्रकार के शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। यह स्तोत्रम भगवान शिव की महिमा, शक्ति, और दिव्यता का परिचय कराता है और उनके भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम हो सकता है।

शिव जी तांडव कब करते हैं?

शिव जी का तांडव उनकी महाकाल और विनाशकारी रूप की प्रतीक होता है, जब वे विश्व के सर्वोच्च न्यायी और नाशकर्ता रूप में प्रकट होते हैं। तांडव काल उनके नायक और शिव-शक्ति के महत्वपूर्ण पहलु को प्रकट करता है। विश्व के सर्वोच्च न्यायी के रूप में, शिव जी का तांडव ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर तीनों देवताओं के लिए एक समान और न्यायपूर्ण रूप होता है। तांडव के द्वारा वे अधर्म को नष्ट करके धर्म की स्थापना करते हैं। यह तांडव उनके महाकालीय रूप की भी प्रतीक है, जिसमें उनका नृत्य प्रलय की स्थिति की प्रतीक्षा करता है। इस रूप में, शिव जी का तांडव विनाश की प्रक्रिया का प्रतीक होता है और उनकी महाशक्ति का प्रकटीकरण होता है।

शिव तांडव कौन लिखा था?

शिव तांडव का रचनाकार रावण माना जाता है। यह स्तोत्र उनकी देवता के प्रति उनकी भक्ति का परिणाम माना जाता है। रावण रामायण के महाकाव्य में राक्षसराज के रूप में उपस्थित होते हैं और उनकी शक्तियों का वर्णन किया गया है। उन्होंने भगवान शिव की उपासना करके उनकी कृपा प्राप्त की थी, और इसी कृपा का परिणाम स्वरूप उन्होंने शिव तांडव स्तोत्र का रचना किया था।

शिव तांडव कितने प्रकार के होते हैं?

शिव तांडव को विभिन्न प्रकार के तांडवों में विभाजित नहीं किया जाता है। यह एक ही स्तोत्र है जिसमें भगवान शिव की महिमा, शक्ति, और दिव्यता का वर्णन किया गया है। शिव तांडव को उनके महाकालीय रूप का प्रतीक माना जाता है जिसमें उनका नृत्य और उनकी शक्ति का प्रदर्शन होता है। इसमें १६ श्लोक होते हैं जो कि उनके विभिन्न रूपों की गूढ़ भावनाओं को व्यक्त करते हैं।

क्या हम रात में शिव तांडव स्तोत्रम सुन सकते हैं?

जी हां, आप रात में भी शिव तांडव स्तोत्रम का पाठ या सुनाई कर सकते हैं। ध्यान दें कि शिव तांडव स्तोत्रम भगवान शिव की महिमा और उनके दिव्य रूप का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्तोत्र है। इसका पाठ या सुनना आपके मानसिक और आत्मिक शांति, स्थिरता, और ध्यान को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। रात में शिव तांडव स्तोत्रम का पाठ करते समय आपको शांत और प्राकृतिक वातावरण में होने की कोशिश करनी चाहिए। आप इसका पाठ करते समय अपने मन को शांत और ध्यानित रखने का प्रयास कर सकते हैं, ताकि आपका ध्यान स्तोत्र के अर्थ और महत्व पर संरचित हो सके।

 

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