Siddhivinayak Aarti | Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics

Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics यह वो प्रख्यात स्तुति है जिसे हर गणपति के भक्तों ने कभी न कभी सुना या पढ़ा है। यह आरती भगवान गणेश के मंदिरों में सुबह और साम को प्रतिदिन की जाती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप से भी जाना जाता है। भगवान गणेश के भक्तों हर रोज इस आरती का पाठ अपने घर या ऑफिस के मंदिर में करते है।

जब हम गणेश चतुर्थी के दिन सिद्धिविनायक की पूजा और अर्चना करते हैं, तब यह सिद्धिविनायक आरती एक महत्वपूर्ण रूप से आप भगवान गणेश को करते है। जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति (Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics) आरती गणेश जी की महिमा, महत्व, और उनके प्रति आपकी भक्ति का अद्भुत वर्णन करती है। हम सिद्धिविनायक आरती के महत्व, पाठ की विधि, और इसके लाभों के बारे में चर्चा करेंगे।

 

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भगवान गणेश – सभी के देवता

हिन्दू धर्म वैसे तो कई सारे देवी-देवता है, जिसमें भगवान गणेश को सभी देवताओं के मुख्य माना जाता है। भगवान गणेश को उनके दूसरे नाम “विघ्नहर्ता” से जाना जाता हैं, इसका मतलब सभी कठिनाइयों और मुश्किलों को दूर करने वाले देवता से जाने जाते हैं। जब भी घर या ऑफिस और कोई प्रसंग होता है, इसमें सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है की जब आप भगवान गणेश की पूजा से अपना प्रसंग शुरू करते है, तब कार्यों पूर्ण करने में कोई अड़चन नहीं आती। व्यक्ति के कार्यों उनकी कृपा से संपन्न नहीं होता। भगवान गणेश के मुख का आकर हाथी का चिह्न होता है, यह बुद्धि और विवेक रूप का वर्णन करता है।

 

Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति 

 

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

 

सिद्धिविनायक आरती का महत्व

1. भगवान गणेश की आराधना – सिद्धिविनायक आरती का पाठ करने से हम भगवान गणेश के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा का भाव प्रगट करते हैं। यह आरती हमें गणेश जी के प्रतिरूप की ओर प्रस्तुत करती है।

2. समस्याओं का निवारण – गणेश जी को सिद्धिविनायक से भी पहचाना जाता है, और उनकी कृपा से हम अपने जीवन में हर समस्याओं का निवारण पा सकते हैं।

3. मानसिक शांति – यह आरती का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और सुख की अनुभव होती है। अगर आप यह आरती पूरे सच्चे मन से करते हो, तो गणेश जी की कृपा से मन में शांति बनी रहती है।

4. धार्मिक और आध्यात्मिक का विकास – सिद्धिविनायक आरती का पाठ करने से हम अपने आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों में विकास पा सकते हैं।

 

 

आरती का अर्थ – Shree Siddhivinayak Mantra And Lyrics Aarti by Amitabh Bachchan

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति आरती का अर्थ आप यहाँ पर लिरिक्स के साथ पढ़ सकते है। हमने यहाँ पर श्री सिद्धिविनायक मंत्र और आरती के लिरिक्स दे रखे है, यह लिरिक्स अमिताभ बच्चन द्वारा गायें हुए है। आप यह लिरिक्स अंग्रेजी में भी पढ़ सकते है। इस आरती के हर शब्द का अर्थ भगवान गणेश के लिए गए जाते है। इन शब्दों में दुःख को दूर करके हर भक्त के जीवन में एक नया उजाला लाने की बात का वर्णन किया हुआ है। प्रतिदिन आपको यह आरती भगवान गणेश के फोटो या मूर्ति के सामने पढ़नी चाहिए।

 

सिद्धिविनायक आरती की विधि
सिद्धिविनायक आरती का पाठ करने के लिए नीचे दिखाए गए विधि का पालन करें-

1. गणेश जी की मूर्ति – आरती शुरू करने से पहले आपको नहाना चाहिए। अपने शरीर को शुद्ध करें। बाद में आप शुद्ध जगह पर गणेश जी की मूर्ति या फोटो के सामने बैठें और अपने मनको शुद्ध रखिये। भगवान गणेश को पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, और मिश्री से सजाएँ।

2. मंत्र का पाठ करें – सिद्धिविनायक आरती का मंत्र उच्चारण करें, और सच्चे मन से गणेश जी को नमन करें। आरती के मंत्र को ध्यान से पढ़ें और सुनें।

3. आरती का पाठ करें – आरती का पाठ करें और गणेश जी की महिमा गाने के साथ साथ उनकी स्तुति करें।

4. प्रसाद चढ़ाएं – आरती के समापन के बाद आपको प्रसाद में फल या मिठाई भगवान गणेश जी को चढ़ाना चाहिए।

5. प्रार्थना करें – अब आप दोनों हाथों को जोड़कर गणेश जी के फोटो या मूर्ति के सामने से अपनी मांग कह सकते हैं और उनसे आशीर्वाद मांग सकते हैं।

6. आरती को फिर से पढ़ें – आरती को एक बार फिर से पढ़ने का आदत डाली जाती है, जिससे गणेश जी को पूर्ण आराधना मिलती है।

7. प्रसाद सभी को बाँटें – अगर आप कोई गणेश जी के मंदिर या घर पे आरती करते है, तो वहां पे उपस्थित सभी लोगों के साथ प्रसाद बाँटें, ऐसा करने से भगवान गणेश जी खुश होते है और आपका आशीर्वाद भी बढ़ जाता है।

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति (Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics) आरती गणेश जी को प्रतिदिन करना चाहिए। मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर में दुनियाभर से कई सारे भक्त गणेश जी का दर्शन का लाभ लेते है। इस मंदिर में भक्त अपनी श्रद्धा से भगवान गणेश की आरती में शामिल होते है। इतना ही नहीं बल्कि मुंबई में रहने वाले कई भक्तगण प्रतिदिन इस आरती में भाग लेते है।

 

Siddhivinayak Aarti Lyrics 

 

Sukh Karta Dukhharta Varta Vighnachi ।
Noorvi Poorvi Prem Krupya Jayachi ।
Sarwangi Sundar Utishendu Rachi ।
Kanthi Jhalke Maad Mukhta Padhanchi ।
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Mangal Murti ।
Darshan Matre Mann,
Kamana Purti
Jai Dev Jai Dev ॥

Ratnakhachit Phara Tujh Gaurikumra ।
Chandanaachi Uti Kumkum Ke Shara ।
Hire Jadit Mukut Shobhato Bara ।
Runjhunati Nupure Charani Ghagriya ।
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Mangal Murti ।
Darshan Matre Mann,
Kamana Purti
Jai Dev Jai Dev ॥

Lambodar Pitaambar Phanivar Vandana ।
Saral Sond Vakratunda Trinayana ।
Das Ramacha Vat Pahe Sadna ।
Sankati Pavave Nirvani Rakshave Survar Vandana ।
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Mangal Murti ।
Darshan Matre Mann,
Kamana Purti
Jai Dev Jai Dev ॥

Shri Ganeshaachi Aarti 

Shindur Laal Chadhayo Achchha Gajmukhko ।
Dondil Laal Biraje Sut Gauriharko ।
Haath Lie Gud Laddoo Saiin Survarko ।
Mahima Kahe Na Jaay Laagat Hoon Paadko ॥
Jay Dev Jay Dev..

Jay Dev Jay Dev,
Jay Jay Shri Ganraaj ।
Vidya Sukhdaata
Dhanya Tumhara Darshan
Mera Mann Ramta,
Jay Dev Jay Dev ॥

Astau Siddhi Dasi Sankatko Bairi ।
Vighnavinaashan Mangal Moorat Adhikari ।
Kotisurajprakash Aibi Chhabi Teri ।
Gandasthalamadamastak Jhoole Shashibihari ॥
Jay Dev Jay Dev..

Jay Dev Jay Dev,
Jay Jay Shri Ganraaj ।
Vidya Sukhdaata
Dhanya Tumhara Darshan
Mera Mann Ramta,
Jay Dev Jay Dev ॥

Bhavbhagat Se Koyi Sharnagat Aave ।
Santati Sampatti Sabahi Bharpur Paave ।
Aise Tum Maharaaj Moko Ati Bhaave ।
Gosavinandan Nishidin Gun Gaave ॥
Jay Dev Jay Dev..

Jay Dev Jay Dev,
Jay Jay Shri Ganraaj ।
Vidya Sukhdaata
Dhanya Tumhara Darshan
Mera Mann Ramta,
Jay Dev Jay Dev ॥

॥ Shri Shankarachi Aarti ॥
Lavathavati Vikrala Brahmandi Mala,
Vishe Kantha Kala Trinetri Jwala
Lavanya Sundara Mastaki Bala,
Tethuniya Jala Nirmala Vahe Jhulajhula ॥
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Shri Shankara ।
Aarti Ovalu,
Tuja Karpuragaura
Jai Dev Jai Dev ॥

Karpuragaura Bhola Nayani Vishala,
Ardhangi Parvati Sumananchya Mala,
Vibhutiche Udhalana Shitikantha Nila,
Aisa Shankar Shobhe Umavelhala ॥
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Shri Shankara ।
Aarti Ovalu,
Tuja Karpuragaura
Jai Dev Jai Dev ॥

Devi Daityi Sagaramanthana Pai Kele
Tyamaji Avachita Halahala Je Uthle
Te Tva Asurapane Prashan Kele,
Nilakantha Nama Prasiddh Jhale ॥
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Shri Shankara ।
Aarti Ovalu,
Tuja Karpuragaura
Jai Dev Jai Dev ॥

Vyaghrambara Phanivardharasundara Madnari,
Panchanana Manamohan Munijan Sukhkari
Shatakotiche Beej Vache Uchchari,
Raghukulatilaka Ramadasa Antari ॥
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Shri Shankara ।
Aarti Ovalu,
Tuja Karpuragaura
Jai Dev Jai Dev ॥

 

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