Kamakhya Devi Chalisa – कामाख्या देवी चालीसा Hindi PDF

कामाख्या देवी चालीसा (Kamakhya Devi Chalisa) एक ऐसी चालीसा है जो हर दिन या कोई खास अवसर पर इनके भक्तों द्वारा इस चालीसा का पाठ किया जाता है। अगर कोई भक्त इस चालीसा का पाठ निरंतर रूप से करता है तो माँ कामाख्या देवी उनपे प्रसन्ना होती है।

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Kamakhya Devi Chalisa – कामाख्या देवी चालीसा

हिन्दू धर्म में सब देवी देवता की चालीसा होती है पर यह चालीसा में मुख्य रूप से नारी की शक्ति और भक्ति का वर्णन किया गया है। माँ कामाख्या देवी की एक विशेष तांत्रिक रूप से पूजा की जाती है, इसीलिए हम उन्हें तांत्रिक विधि की देवी रूप से भी जानी जाती है। उन्हें माँ शक्ति के रूप में पूजा जाता है, और उनकी चालीसा पढ़ के भक्तों को अपार आनंदमय जीवन जी ने का मौका मिलता है।

कामाख्या देवी चालीसा का अर्थ

इस चालीसा का प्रत्येक शब्द भक्तों के कानों में गहरा असर करता है। यह चालीसा पढ़ने का सीधा अर्थ यह है की जो भी भक्त इस चालीसा का पाठ निरंतर करेगा उसके जीवन में कभी भी देवी अँधेरा नहीं लाएगी। मुख्यत्वे इस चालीसा का सीधा लाभ महिलाओं को जाता है, क्यूंकि यह देवी महिलाओं की देवी है। जो भी महिला या नारी अपने सच्चे मन से इस चालीसा को पढ़ेगी, उसके जीवन में जो भी दुःख होगा उसको यह देवी सम्पूर्ण रूप से दूर करने के लिए मददगार होगी।

कामाख्या देवी का चालीसा के लाभ

आत्मा की शुद्धि – यह चालीसा पढ़ने से भक्त अपनी आत्मा का शुद्धिकरण करने में मदद मिलती है। हालांकि इस का असर आपको त्वरित नहीं दिख सकता, बल्कि आपको यह थोड़े समय के चलते हुए आपको आत्मा की शुद्धि का महसूस होने का अहसास होगा।

भक्ति की वृद्धि – “भक्ति में ही शक्ति है”, यह विधान तब सच होता है की जब आप भक्ति के मार्ग पर अपना पहला कदम रखेंगे। यह बात सच है की यह चालीसा पढ़ने से हमें आत्मा ज्ञान के साथ साथ भक्ति के रंग की संगत शुरू होगी। अगर आप यह चालीसा निरंतर पढ़ते हो तो आप खुदको एक भक्ति के पथ पर जाते हुए देखेंगे।

आनंद और शांति – आनंद और शांति यह एक सिक्के के दो पहलु है जिसमे हर व्यक्ति को अपने जीवन में आनंद और शांति चाहिए। मगर यह तब सच होगा जब आप पूरी तरह से धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग की राह चुनेंगे। यह चालीसा का पाठ पढ़ने से आपको आनंद और शांति दोनों एक साथ मिल सकती है। माँ कामाख्या देवी उन भक्तों पे ज्यादा प्रसन्ना होती है जो छल कपट, ईर्षा, अभिमान वह सब जो भक्त में न पाई जाए।

कामाख्या देवी चालीसा PDF

आज के डिजिटल युग में, कामाख्या देवी चालीसा PDF फॉर्मेट में उपलब्ध है, जिससे भक्त चालीसा को कहीं भी पढ़ सकते हैं और अपने ध्यान में लगा सकते हैं। नीचे दिए गए टेबल से आप डाउनलोड करके इसे ऑफलाइन भी पढ़ सकते है।

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PDF Nameकामाख्या देवी चालीसा PDF
PDF Size662 KB
No. Of Pages4
LanguageHindi
CategoryChalisa

Maa Kamakhya Devi Chalisa in Hindi

॥ दोहा ॥

सुमिरन कामाख्या करुँ, सकल सिद्धि की खानि ।

होइ प्रसन्न सत करहु माँ, जो मैं कहौं बखानि ॥

 

जै जै कामाख्या महारानी । दात्री सब सुख सिद्धि भवानी ॥

कामरुप है वास तुम्हारो । जहँ ते मन नहिं टरत है टारो ॥

ऊँचे गिरि पर करहुँ निवासा । पुरवहु सदा भगत मन आसा ।

ऋद्धि सिद्धि तुरतै मिलि जाई । जो जन ध्यान धरै मनलाई ॥

जो देवी का दर्शन चाहे । हदय बीच याही अवगाहे ॥

प्रेम सहित पंडित बुलवावे । शुभ मुहूर्त निश्चित विचारवे ॥

अपने गुरु से आज्ञा लेकर । यात्रा विधान करे निश्चय धर ।

पूजन गौरि गणेश करावे । नान्दीमुख भी श्राद्ध जिमावे ॥

शुक्र को बाँयें व पाछे कर । गुरु अरु शुक्र उचित रहने पर ॥

जब सब ग्रह होवें अनुकूला । गुरु पितु मातु आदि सब हूला ॥

नौ ब्राह्मण बुलवाय जिमावे । आशीर्वाद जब उनसे पावे ॥

सबहिं प्रकार शकुन शुभ होई । यात्रा तबहिं करे सुख होई ॥

जो चह सिद्धि करन कछु भाई । मंत्र लेइ देवी कहँ जाई ॥

आदर पूर्वक गुरु बुलावे । मन्त्र लेन हित दिन ठहरावे ॥

शुभ मुहूर्त में दीक्षा लेवे । प्रसन्न होई दक्षिणा देवै ॥

ॐ का नमः करे उच्चारण । मातृका न्यास करे सिर धारण ॥

षडङ्ग न्यास करे सो भाई । माँ कामाक्षा धर उर लाई ॥

देवी मन्त्र करे मन सुमिरन । सन्मुख मुद्रा करे प्रदर्शन ॥

जिससे होई प्रसन्न भवानी । मन चाहत वर देवे आनी ॥

जबहिं भगत दीक्षित होइ जाई । दान देय ऋत्विज कहँ जाई ॥

विप्रबंधु भोजन करवावे । विप्र नारि कन्या जिमवावे ॥

दीन अनाथ दरिद्र बुलावे । धन की कृपणता नहीं दिखावे ॥

एहि विधि समझ कृतारथ होवे । गुरु मन्त्र नित जप कर सोवे ॥

देवी चरण का बने पुजारी । एहि ते धरम न है कोई भारी ॥

सकल ऋद्धि – सिद्धि मिल जावे । जो देवी का ध्यान लगावे ॥

तू ही दुर्गा तू ही काली । माँग में सोहे मातु के लाली ॥

वाक् सरस्वती विद्या गौरी । मातु के सोहैं सिर पर मौरी ॥

क्षुधा, दुरत्यया, निद्रा तृष्णा । तन का रंग है मातु का कृष्णा ।

कामधेनु सुभगा और सुन्दरी । मातु अँगुलिया में है मुंदरी ॥

कालरात्रि वेदगर्भा धीश्वरि । कंठमाल माता ने ले धरि ॥

तृषा सती एक वीरा अक्षरा । देह तजी जानु रही नश्वरा ॥

स्वरा महा श्री चण्डी । मातु न जाना जो रहे पाखण्डी ॥

महामारी भारती आर्या । शिवजी की ओ रहीं भार्या ॥

पद्मा, कमला, लक्ष्मी, शिवा । तेज मातु तन जैसे दिवा ॥

उमा, जयी, ब्राह्मी भाषा । पुर हिं भगतन की अभिलाषा ॥

रजस्वला जब रुप दिखावे । देवता सकल पर्वतहिं जावें ॥

रुप गौरि धरि करहिं निवासा । जब लग होइ न तेज प्रकाशा ॥

एहि ते सिद्ध पीठ कहलाई । जउन चहै जन सो होई जाई ॥

जो जन यह चालीसा गावे । सब सुख भोग देवि पद पावे ॥

होहिं प्रसन्न महेश भवानी । कृपा करहु निज – जन असवानी ॥

 

॥ दोहा ॥

कर्हे गोपाल सुमिर मन, कामाख्या सुख खानि ।

जग हित माँ प्रगटत भई, सके न कोऊ खानि ॥

कामाख्या देवी चालीसा (Kamakhya Devi Chalisa) आप प्रतिदिन एक बार पढ़ो। आप यह कुछ समय के लिए निरंतर प्रयास करेंगे तो आप को माँ कामाख्या देवी शक्ति और भक्ति का अहसास होगा। इसी मनोकामना के साथ यहाँ पर यह अंक की समाप्ति करते है। अगर आपको इस देवी के बारे में और जानकारी प्राप्त करनी है तो आप नीचे दिए गए भाग में ज्यादा माहिती पढ़ सकते है।

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FAQ’s

कामाख्या देवी को कैसे प्रसन्न करें?

कामाख्या देवी को प्रसन्न करने के लिए आप उनकी पूजा और अर्चना, श्रद्धा और भक्ति से मंत्रो का पाठ, ध्यान और समर्पण की भावना से व्रत और विधि करके आप यह देवी को प्रसन्न कर सकते हो।

कामाख्या देवी की पूजा करने से क्या होता है?

कामाख्या देवी की पूजा करने से मानव जीवन में शक्ति का आगमन होता है। धार्मिक और आध्यात्मिक साधना होती है। बीमारियों एव रोगों से मुक्ति मिलती है। कामना की साधना में मदद मिलती है।

कामाख्या देवी का मंत्र कौन सा है?

कामाख्या देवी का यह मंत्र “ॐ कामाख्यायै विद्महे कामाराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्॥” है।

क्या कामाख्या मंदिर में इच्छाएं पूरी होती हैं?

हा, अगर कोई भक्त सच्चे मनसे माँ कामाख्या देवी की पूजा और विधि करता है तो उनकी सारी इच्छाएं बहुत जल्द ही पूरी होती है।