गायत्री चालीसा – Gayatri Chalisa Lyrics & PDF

  • इस लेख में हम गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa Lyrics & PDF) के महत्व, इतिहास और सार का पता लगाएंगे,  इसे लाखों लोगों द्वारा आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है।
  • भारत एक धार्मिक रूप से धन्य है, जहां अनगिनत प्रार्थनाओं और स्तुतियों के विषय में विविधता है। इनमें से एक प्रसिद्ध प्रार्थना है “गायत्री चालीसा पाठ”, जो अनगिनत भक्तों के दिलों में विशेष स्थान रखती है।

 

गायत्री चालीसा लिरिक्स  लिखित में – Gayatri Chalisa Lyrics & PDF

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  • गायत्री चालीसा इन हिंदी pdf एक भक्तिपूर्ण प्रार्थना है जो देवी गायत्री को समर्पित है, जिसे अक्सर “वेदमाता” के रूप में जाना जाता है। इसके मूल में गायत्री मंत्र है, जो हिंदू धर्म में सबसे प्रभावशाली और पूज्य मंत्रों में से एक है, जो ऋग्वेद से उत्पन्न हुआ है। गायत्री मंत्र एक गहरे आवाहन के रूप में है, जो भगवान के प्रकाश की कृपा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करता है, अज्ञान और अंधकार को हटाने, और ज्ञान और प्रकाश का उपहार प्रदान करने की विनती करता है।

 

Shri Gayatri Chalisa – Gayatri Chalisa Hindi

॥ दोहा ॥
हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥
जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ॥

॥ चालीसा ॥
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी ।
गायत्री नित कलिमल दहनी ॥१॥

अक्षर चौबिस परम पुनीता ।
इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता ॥

शाश्वत सतोगुणी सतरुपा ।
सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥

हंसारुढ़ सितम्बर धारी ।
स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी ॥४॥

पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥

ध्यान धरत पुलकित हिय होई ।
सुख उपजत, दुःख दुरमति खोई ॥

कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।
निराकार की अदभुत माया ॥

तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।
तरै सकल संकट सों सोई ॥८॥

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥

तुम्हरी महिमा पारन पावें ।
जो शारद शत मुख गुण गावें ॥

चार वेद की मातु पुनीता ।
तुम ब्रहमाणी गौरी सीता ॥

महामंत्र जितने जग माहीं ।
कोऊ गायत्री सम नाहीं ॥१२॥

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।
आलस पाप अविघा नासै ॥

सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।
काल रात्रि वरदा कल्यानी ॥

ब्रहमा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ॥

तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥१६॥

महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
जै जै जै त्रिपदा भय हारी ॥

पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।
तुम सम अधिक न जग में आना ॥

तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेषा ॥

जानत तुमहिं, तुमहिं है जाई ।
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥२०॥

तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।
माता तुम सब ठौर समाई ॥

ग्रह नक्षत्र ब्रहमाण्ड घनेरे ।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥

सकलसृष्टि की प्राण विधाता ।
पालक पोषक नाशक त्राता ॥

मातेश्वरी दया व्रत धारी ।
तुम सन तरे पतकी भारी ॥२४॥

जापर कृपा तुम्हारी होई ।
तापर कृपा करें सब कोई ॥

मंद बुद्घि ते बुधि बल पावें ।
रोगी रोग रहित है जावें ॥

दारिद मिटै कटै सब पीरा ।
नाशै दुःख हरै भव भीरा ॥

गृह कलेश चित चिंता भारी ।
नासै गायत्री भय हारी ॥२८ ॥

संतिति हीन सुसंतति पावें ।
सुख संपत्ति युत मोद मनावें ॥

भूत पिशाच सबै भय खावें ।
यम के दूत निकट नहिं आवें ॥

जो सधवा सुमिरें चित लाई ।
अछत सुहाग सदा सुखदाई ॥

घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥३२॥

जयति जयति जगदम्ब भवानी ।
तुम सम और दयालु न दानी ॥

जो सदगुरु सों दीक्षा पावें ।
सो साधन को सफल बनावें ॥

सुमिरन करें सुरुचि बड़भागी ।
लहैं मनोरथ गृही विरागी ॥

अष्ट सिद्घि नवनिधि की दाता ।
सब समर्थ गायत्री माता ॥३६॥

ऋषि, मुनि, यती, तपस्वी, जोगी ।
आरत, अर्थी, चिंतित, भोगी ॥

जो जो शरण तुम्हारी आवें ।
सो सो मन वांछित फल पावें ॥

बल, बुद्घि, विघा, शील स्वभाऊ ।
धन वैभव यश तेज उछाऊ ॥

सकल बढ़ें उपजे सुख नाना ।
जो यह पाठ करै धरि ध्याना ॥४०॥

॥ दोहा ॥
यह चालीसा भक्तियुत, पाठ करे जो कोय ।
तापर कृपा प्रसन्नता, गायत्री की होय ॥

 

गायत्री चालीसा का सार – Gayatri Chalisa Lyrics in Hindi

  • गायत्री चालीसा शांतिकुंज का उद्देश्य गायत्री मंत्र के विशेष महत्व को समझने, उसकी पूजा करने, और उसके अर्थ को ध्यान में रखते हुए देवी गायत्री की कृपा और आशीर्वाद का प्राप्ति करना है। यह प्रार्थना पाठ करने से भक्त अपने मन को शुद्ध और ध्यानकारी बनाकर अध्यात्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर होते हैं। गायत्री चालीसा के माध्यम से भक्त अपने जीवन को सकारात्मकता और सत्य की ओर मोड़ते हैं और अंतः आत्म-अनुभूति और मुक्ति की प्राप्ति के लिए प्रयास करते हैं।

 

गायत्री चालीसा का महत्व –  गायत्री चालीसा के चमत्कार

  • गायत्री चालीसा pdf, गायत्री माँ की स्तुति है, जिसे गायत्री मंत्र के साथ मिलाकर पढ़ा जाता है। यह चालीसा गायत्री माँ के समर्थन, आशीर्वाद, और कृपा की प्राप्ति का माध्यम है। गायत्री मंत्र जो है “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।” इस मंत्र के जाप से व्यक्ति का मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक विकास होता है। यह मंत्र जीवन के सभी क्षेत्रों में सकारात्मकता, समृद्धि, और संतुष्टि का संचार करता है। इस विशेष मंत्र के प्रति लोगों का श्रद्धा अत्यंत गहरी है और उन्हें गायत्री चालीसा का पाठ करके अपने जीवन को सफल बनाने के लिए शक्ति मिलती है।

 

गायत्री चालीसा के लाभ –  गायत्री चालीसा पढ़ने के फायदे

 

मानसिक शक्ति का संचार:

  • गायत्री चालीसा के पाठ से व्यक्ति की मानसिक शक्ति में सकारात्मकता का संचार होता है। गायत्री माँ के आशीर्वाद से मन की शांति होती है और विचारों में सकारात्मक बदलाव आता है। इससे व्यक्ति को मानसिक रूप से स्थिरता मिलती है और उसकी सोच पॉजिटिव दिशा में विकसित होती है।

शारीरिक स्वास्थ्य का सुधार:

  • गायत्री चालीसा के जाप से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। गायत्री माँ की कृपा से रोगों का नाश होता है और व्यक्ति को उच्च स्वास्थ्य दोष मुक्त शरीर मिलता है। गायत्री मंत्र के जाप से मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्वास्थ्य का संचार होता है।

विद्या और ज्ञान के प्राप्ति:

  • गायत्री मंत्र का जाप विद्या और ज्ञान के प्राप्ति में सहायक होता है। यह मंत्र ज्ञान की देवी, गायत्री माँ की कृपा से अज्ञानता का नाश करके व्यक्ति को ज्ञान की अधिकारी बनाता है। गायत्री माँ के आशीर्वाद से विद्या, बुद्धि और ज्ञान के क्षेत्र में समृद्धि होती है।

आत्मिक संवृद्धि:

  • गायत्री माँ की प्रार्थना करने से हमें आत्मिक संवृद्धि का संचार होता है। यह प्रार्थना हमें अपने आत्मा के साथ संबंध स्थापित करती है और हमें अपने भगवानी स्वरूप का पहचानने में मदद करती है। गायत्री माँ के द्वारा हम अपनी आत्मा की गहराईयों को समझते हैं और आत्मिक शांति, संतुष्टि और उन्नति को प्राप्त करते हैं।

अन्तरंग शुद्धि:

  • गायत्री चालीसा के पाठ से हमारे अन्तरंग की शुद्धि होती है। इस प्रार्थना के जाप से हम अपने मन, विचार, और अनुभवों को शुद्ध करते हैं और दिव्यता की अनुभूति करते हैं। यह हमें अपने असली भगवानी स्वरूप की पहचान करने में मदद करता है और हमें आत्मा की उच्चतम अनुभूति की ओर प्रेरित करता है।
  • गायत्री चालीसा गायत्री माँ के दिव्यता, ज्ञान, और आत्मिक उन्नति की प्रार्थना का सार्थक मंत्र है। यह प्रार्थना पाठ करने से हम अपने जीवन को उज्ज्वल, सकारात्मक, और शांत बना सकते हैं। गायत्री माँ की कृपा से हम भगवान की अनंत दया, प्रकाश, और ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं, जो हमें अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में समृद्ध, सफल और संतुष्ट बनाते हैं। इसलिए, गायत्री चालीसा के पाठ को नियमित रूप से करके हम आत्मिक शक्ति को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को एक सार्थक दिशा में उन्नत कर सकते हैं।

गायत्री चालीसा मंत्र:

  • हिंदू धर्म में भक्ति और उपासना के लिए गायत्री मंत्र एक प्राचीन और प्रतिष्ठित मंत्र है। गायत्री मंत्र को वेदमाता के रूप में जाना जाता है, जिसे “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।” इस मंत्र का जाप करने से मन की शुद्धि होती है और आत्मा की उन्नति होती है। इस लेख में, हम गायत्री चालीसा मंत्र के बारे में विस्तार से जानेंगे, जो हमारे आत्मिक विकास और ध्यान के मार्ग में हमें प्रेरित करता है।

 

गायत्री आरती – गायत्री चालीसा आरती

 

॥ आरती ॥
जयति जय गायत्री माता। सुर भूप विमलामति ज्योति॥
तुम सम्पति तुम ही धन धान्य। अवगुण गणन भूलति भक्त जननी॥
चालीसा सोहवीं आरती ज्योति। भावें भक्ति निवारे गायत्री माता॥
सत्य धर्म शक्ति ब्रह्मा जग पालक। नमो नमो तुम सद्गति पारवाल॥
सब दुख भयहीनि तुम तारिणी। भक्तार्ति हारिणि सुखदायिनी॥
विद्या बुद्धि देहि मोहिनी त्रिजगजननी।
भक्ति भाव निवारणी गायत्री माता॥
मंगल स्वरूपी जगदम्बे शरणागती। नमो नमो तुम शरणागती॥
जयति जय गायत्री माता। सुर भूप विमलामति ज्योति॥

गायत्री मंत्र का महत्व:

  • गायत्री मंत्र अद्भुत ध्वनि, शक्ति और दिव्यता से भरा हुआ है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को अपने मन की उन्नति, ज्ञान, और आत्मा की प्राप्ति का मार्ग प्रदान होता है। गायत्री मंत्र का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे जाप करने से व्यक्ति को सत्य की पहचान होती है और उसके जीवन को प्रकाशमय बनाने में मदद मिलती है।

गायत्री मंत्र के फायदे:

  • आत्मिक विकास का समर्थन: गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति का आत्मिक विकास होता है। यह मंत्र व्यक्ति को अपने सच्चे स्वरूप का अनुभव करने में मदद करता है और उसे आत्मिक स्वयंप्रकाश मिलता है।
  • ज्ञान की प्राप्ति: गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह मंत्र विद्या, बुद्धि और ज्ञान के क्षेत्र में समृद्धि के लिए सहायक सिद्ध होता है।
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुधारता है। यह मंत्र शक्तिशाली ऊर्जा का संचार करता है और व्यक्ति को स्वस्थ बनाता है।
  • आत्मिक शांति: गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति को आत्मिक शांति मिलती है। यह मंत्र व्यक्ति को मानसिक तनाव से मुक्त करता है और उसको आत्मिक शांति देता है।
  • ध्यान की प्राप्ति: गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति को ध्यान की प्राप्ति होती है। यह मंत्र व्यक्ति को अपने आंतरिक शक्ति का अनुभव करने में मदद करता है और उसे ध्यानावस्था में प्रवेश करता है।
  • गायत्री मंत्र एक शक्तिशाली और प्राचीन मंत्र है, जो हमारे आत्मिक विकास और ध्यान के मार्ग में हमें प्रेरित करता है। यह मंत्र वेदमाता की कृपा से हमें ज्ञान, शक्ति, और आनंद की प्राप्ति होती है। गायत्री मंत्र के जाप से हम अपने आत्मा की गहराईयों को समझते हैं और आत्मिक संवृद्धि, शांति, और समृद्धि को प्राप्त करते हैं। यह मंत्र हमें अपने जीवन की दिशा में प्रकाशमय बनाकर सफलता की ओर प्रेरित करता है। गायत्री मंत्र का पाठ करने से हमारा जीवन आत्मिकता और उच्चतम अनुभूति के दिशा में प्रगति करता है।

 

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