Ganga Aarti: Haridwar, Rishikesh & Varanasi (Banaras) Time

भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा में गंगा नदी को माँ गंगा (Ganges) के रूप में पूजा जाता है और उसकी आरती (Ganga Aarti) सुंदरता और भक्ति का संगम है। हम हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी (Haridwar, Rishikesh & Varanasi (Banaras) ) में होने वाली गंगा आरतियों के समयों की चर्चा करेंगे।

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Ganga Aarti Haridwar

हरिद्वार में गंगा आरती गंगा घाट पर होती है और यह दृश्य देखने लायक है। सुन्दर दीपों की रौशनी, धूप, चमकते हुए पुष्पों की वर्षा और भक्तों की भक्तिभाव आवाज में इस आरती का समापन होता है। प्रतिदिन संध्याकाल को यह आरती रोचक और शांतिपूर्ण वातावरण में होती है।

In Haridwar, Ganga Aarti happens at Ganga Ghat, and the view is worth seeing. This Aarti ends with the light of beautiful lamps, sunlight, a shower of shining flowers, and the devotional voices of the devotees. In the evening, Aarti happens in an interesting and peaceful environment.

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Ganga Aarti Rishikesh

ऋषिकेश में गंगा आरती त्रिवेणी घाट पर होती है और यह आरती मुख्यरूप से सांस्कृतिक अनुभव का अहसास दिलाती है। प्रतिदिन संध्याकाल को इस आरती का आयोजन होता है, जिसमें पुष्प, दीप, और संगीत से गंगा का पूजन किया जाता है। इस आरती की ताल और शोभा अपने आप में एक धार्मिक अनुभव का अहसास दिलाती है।

In Rishikesh, Ganga Aarti happens at Triveni Ghat, and this Aarti mainly gives a feeling of cultural experience. This Aarti is organised every day in the evening. The Ganga is worshipped with flowers, lamps, and music. The flow and charm of this aarti give the feeling of a religious experience in itself.

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Ganga Aarti Varanasi (Banaras)

वाराणसी, जिसे हम प्यार से काशी कहते हैं। काशी गंगा के किनारे पर स्थित है और यहां गंगा आरती प्रतिदिन शाम को की जाती है। यह आरती मणिकर्णिका घाट पर की जाती है। यह आरती ब्राह्मण पुजारियों के द्वारा की जाती है। प्रतिदिन शाम को इस आरती में नृत्य, दीपों की माला और आरती की भक्ति एक अद्‌भुत वातावरण बनाती हैं।

Varanasi, which is also called Kashi. Kashi is situated on the banks of the Ganga. Every day, Ganga Aarti is performed by Pujari. This aarti is performed at Manikarnika Ghat. This aarti is done by Brahmin priests. Every evening in this Aarti, dance, the circle of lamps, and the devotion of the Aarti create a wonderful atmosphere.

Haridwar Evening, typically around sunset. (6:00 pm to 7:00 pm)
Rishikesh Evening, after sunset. (6:00 PM – 7:00 PM)
Varanasi Evening, after sunset. 6:30 PM post sundown in summer and 7:00 PM in winters
हरिद्वार शाम, आमतौर पर सूर्यास्त के आसपास. शाम 7 बजे (Approximately)
ऋषिकेश शाम, सूर्यास्त के बाद. शाम 7 बजे (Approximately)
वाराणसी (काशी) शाम, सूर्यास्त के बाद. शाम 7 बजे (Approximately)

गंगा आरती हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी में एक सुंदर धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करती हैं। यह सभी जगह पे भक्तों की भीड़ जमा होती है। यह दृश्य जब हम हर शाम को देखते है तब हम अपने मन में शांति का अहसास पाते है। ये आरतियां गंगा को एक माता की भावना से की जाती हैं और भक्तों से आध्यात्मिक संबंध के साथ जुड़ी रहती हैं। यह माहौल इतना सुंदर होता है की हर भक्त के मन में भक्ति और शांति का अहसास दिलाता है, जो भारतीय सांस्कृतिक सदियों से चली आ रही परंपरा का प्रणाम है।

Ganga Aarti gives a beautiful religious and cultural experience in Haridwar, Rishikesh, and Varanasi. Devotees gather at these places for Aarti. When we see this scene every evening, we feel peace in our minds. These aartis are performed in the spirit of Ganga and are associated with a spiritual connection with the devotees. This aarti gives a feeling of devotion and peace in the mind of every devotee, which is a tribute to the Indian cultural tradition.

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FAQ’s


गंगा आरती कब शुरू होती है?

गंगा आरती हर शहर में अलग अलग समय पे होती है। हर शहर में लगभग शाम के समयों में होती है। यह आरती श्रृंगार और संध्याकाल आरती के रूप में जानी जाती है।

गंगा जी का मंत्र क्या है?

गंगा जी का मंत्र भक्तों द्वारा बोले जाते हैं। यहां कुछ मुख्य मंत्र हैं जो गंगा माता की आराधना में बोले जाते हैं:

(1) गंगा ध्यान मंत्र:
“ॐ गंगे च यमुने चैव, गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।”

(2) गंगा आरती मंत्र:
“जय गंगे मैया, जय यमुने मैया, जय गोदावरी मैया, जय सरस्वती मैया। जय नर्मदे मैया, जय सिंधु मैया, जय कावेरी मैया, जय जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।”

(3) गंगा चालीसा मंत्र:
“ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता। जो नर तुमको ध्याता, मन वांछित फल पाता। चंद्र सियों रजत मुख में, मुण्डमाल तन छारी। जटाजूट शिर गाली फूलत मन हारी। भारी श्रृंगार सोहे, छवि को अति सुंदर छाया। विपिन विहारिणी या तु शोक नाशिनी दिन राति। जनक भाग्य विधाता।”

गंगा आरती कितने बजे होता है?

गंगा आरती का समय हमने हर शहर के लिए यहाँ पर दिखाया गया है। यह समय में बदलाव हो सकता है। यहाँ पर तीन शहर के गंगा आरती का समय कुछ इस तरह से है:

(1) हरिद्वार

श्रृंगार आरती: सुबह 5:30 बजे
सायंकाल आरती: शाम 6:00 बजे

(2) रिशिकेश:
श्रृंगार आरती: सुबह 5:30 बजे
सायंकाल आरती: शाम 5:30 बजे

(3) वाराणसी (काशी):

श्रृंगार आरती: सुबह 4:00 बजे
सायंकाल आरती: शाम 6:00 बजे

गंगा जी की आरती कैसे होती है?

गंगा आरती एक सांस्कृतिक रीती रिवाज से होती है जो गंगा नदी के किनारे कई स्थानों पर मनाई जाती है, जैसे कि हरिद्वार, ऋषिकेश, और वाराणसी। यहां गंगा आरती की सामान्य विधि दी जा रही है –

(1) सजावट –
आरती की तैयारी सजावट के साथ होती है, जैसे कि दीप, फूल, धूप, और पुष्पों से होती है। पुजारी और भक्तों इसे आध्यात्मिक भावना के साथ आरती की सजावट करते हैं।

(2) आरती की शुरुआत –
आरती का समय आते ही, पुजारी दीपों को जलाने की तैयारी करते हैं। धूप का अद्भुत धुंआ और संगीत की मिठास से मिलकर, आरती की शुरुआत होती है।

(3) आरती गाने का समय –
पुजारी गंगा माता को याद करते हुए आरती गाना शुरु करते हैं। पुजारी के साथ हर कोई भक्त अपने हाथ से ताली बजाते है और इस आरती के बोल को पुजारी के साथ उच्चारण भी करते है।

(4) दीपों का दर्शन –
गंगा आरती के दौरान जलते हुए दीपों का दर्शन करना एक बेहद सूंदर दृश्य होता है। दीपों की रौशनी नदी के पावन जल में दिखाई देती है।

(5) समापन –
आरती के समापन के समय पुजारी और भक्त मिलकर देवी-देवता और गंगा माता से प्रार्थना करते हैं और सभी लोग गंगा माता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

हरिद्वार में गंगा आरती कब होती है?

हरिद्वार में गंगा आरती सुबह के समय पर श्रृंगार आरती और शाम को सायंकाल आरती के रूप में होती है।


गंगा का असली नाम क्या है?

गंगा नदी का असली नाम भागीरथी है। भागीरथी नाम उसके प्रथम मुख्य नृत्य कर्ता भगीरथ के नाम पर से रखा गया है, जिन्होंने इसे अपने तपस्या और प्रार्थना से भगवान शिव से व्यवहार करने के लिए प्राप्त किया था।