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Siddhivinayak Aarti | Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics

Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics यह वो प्रख्यात स्तुति है जिसे हर गणपति के भक्तों ने कभी न कभी सुना या पढ़ा है। यह आरती भगवान गणेश के मंदिरों में सुबह और साम को प्रतिदिन की जाती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप से भी जाना जाता है। भगवान गणेश के भक्तों हर रोज इस आरती का पाठ अपने घर या ऑफिस के मंदिर में करते है।

जब हम गणेश चतुर्थी के दिन सिद्धिविनायक की पूजा और अर्चना करते हैं, तब यह सिद्धिविनायक आरती एक महत्वपूर्ण रूप से आप भगवान गणेश को करते है। जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति (Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics) आरती गणेश जी की महिमा, महत्व, और उनके प्रति आपकी भक्ति का अद्भुत वर्णन करती है। हम सिद्धिविनायक आरती के महत्व, पाठ की विधि, और इसके लाभों के बारे में चर्चा करेंगे।

 

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भगवान गणेश – सभी के देवता

हिन्दू धर्म वैसे तो कई सारे देवी-देवता है, जिसमें भगवान गणेश को सभी देवताओं के मुख्य माना जाता है। भगवान गणेश को उनके दूसरे नाम “विघ्नहर्ता” से जाना जाता हैं, इसका मतलब सभी कठिनाइयों और मुश्किलों को दूर करने वाले देवता से जाने जाते हैं। जब भी घर या ऑफिस और कोई प्रसंग होता है, इसमें सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है की जब आप भगवान गणेश की पूजा से अपना प्रसंग शुरू करते है, तब कार्यों पूर्ण करने में कोई अड़चन नहीं आती। व्यक्ति के कार्यों उनकी कृपा से संपन्न नहीं होता। भगवान गणेश के मुख का आकर हाथी का चिह्न होता है, यह बुद्धि और विवेक रूप का वर्णन करता है।

 

Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति 

 

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

 

सिद्धिविनायक आरती का महत्व

1. भगवान गणेश की आराधना – सिद्धिविनायक आरती का पाठ करने से हम भगवान गणेश के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा का भाव प्रगट करते हैं। यह आरती हमें गणेश जी के प्रतिरूप की ओर प्रस्तुत करती है।

2. समस्याओं का निवारण – गणेश जी को सिद्धिविनायक से भी पहचाना जाता है, और उनकी कृपा से हम अपने जीवन में हर समस्याओं का निवारण पा सकते हैं।

3. मानसिक शांति – यह आरती का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और सुख की अनुभव होती है। अगर आप यह आरती पूरे सच्चे मन से करते हो, तो गणेश जी की कृपा से मन में शांति बनी रहती है।

4. धार्मिक और आध्यात्मिक का विकास – सिद्धिविनायक आरती का पाठ करने से हम अपने आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों में विकास पा सकते हैं।

 

 

आरती का अर्थ – Shree Siddhivinayak Mantra And Lyrics Aarti by Amitabh Bachchan

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति आरती का अर्थ आप यहाँ पर लिरिक्स के साथ पढ़ सकते है। हमने यहाँ पर श्री सिद्धिविनायक मंत्र और आरती के लिरिक्स दे रखे है, यह लिरिक्स अमिताभ बच्चन द्वारा गायें हुए है। आप यह लिरिक्स अंग्रेजी में भी पढ़ सकते है। इस आरती के हर शब्द का अर्थ भगवान गणेश के लिए गए जाते है। इन शब्दों में दुःख को दूर करके हर भक्त के जीवन में एक नया उजाला लाने की बात का वर्णन किया हुआ है। प्रतिदिन आपको यह आरती भगवान गणेश के फोटो या मूर्ति के सामने पढ़नी चाहिए।

 

सिद्धिविनायक आरती की विधि
सिद्धिविनायक आरती का पाठ करने के लिए नीचे दिखाए गए विधि का पालन करें-

1. गणेश जी की मूर्ति – आरती शुरू करने से पहले आपको नहाना चाहिए। अपने शरीर को शुद्ध करें। बाद में आप शुद्ध जगह पर गणेश जी की मूर्ति या फोटो के सामने बैठें और अपने मनको शुद्ध रखिये। भगवान गणेश को पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, और मिश्री से सजाएँ।

2. मंत्र का पाठ करें – सिद्धिविनायक आरती का मंत्र उच्चारण करें, और सच्चे मन से गणेश जी को नमन करें। आरती के मंत्र को ध्यान से पढ़ें और सुनें।

3. आरती का पाठ करें – आरती का पाठ करें और गणेश जी की महिमा गाने के साथ साथ उनकी स्तुति करें।

4. प्रसाद चढ़ाएं – आरती के समापन के बाद आपको प्रसाद में फल या मिठाई भगवान गणेश जी को चढ़ाना चाहिए।

5. प्रार्थना करें – अब आप दोनों हाथों को जोड़कर गणेश जी के फोटो या मूर्ति के सामने से अपनी मांग कह सकते हैं और उनसे आशीर्वाद मांग सकते हैं।

6. आरती को फिर से पढ़ें – आरती को एक बार फिर से पढ़ने का आदत डाली जाती है, जिससे गणेश जी को पूर्ण आराधना मिलती है।

7. प्रसाद सभी को बाँटें – अगर आप कोई गणेश जी के मंदिर या घर पे आरती करते है, तो वहां पे उपस्थित सभी लोगों के साथ प्रसाद बाँटें, ऐसा करने से भगवान गणेश जी खुश होते है और आपका आशीर्वाद भी बढ़ जाता है।

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति (Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics) आरती गणेश जी को प्रतिदिन करना चाहिए। मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर में दुनियाभर से कई सारे भक्त गणेश जी का दर्शन का लाभ लेते है। इस मंदिर में भक्त अपनी श्रद्धा से भगवान गणेश की आरती में शामिल होते है। इतना ही नहीं बल्कि मुंबई में रहने वाले कई भक्तगण प्रतिदिन इस आरती में भाग लेते है।

 

Siddhivinayak Aarti Lyrics 

 

Sukh Karta Dukhharta Varta Vighnachi ।
Noorvi Poorvi Prem Krupya Jayachi ।
Sarwangi Sundar Utishendu Rachi ।
Kanthi Jhalke Maad Mukhta Padhanchi ।
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Mangal Murti ।
Darshan Matre Mann,
Kamana Purti
Jai Dev Jai Dev ॥

Ratnakhachit Phara Tujh Gaurikumra ।
Chandanaachi Uti Kumkum Ke Shara ।
Hire Jadit Mukut Shobhato Bara ।
Runjhunati Nupure Charani Ghagriya ।
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Mangal Murti ।
Darshan Matre Mann,
Kamana Purti
Jai Dev Jai Dev ॥

Lambodar Pitaambar Phanivar Vandana ।
Saral Sond Vakratunda Trinayana ।
Das Ramacha Vat Pahe Sadna ।
Sankati Pavave Nirvani Rakshave Survar Vandana ।
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Mangal Murti ।
Darshan Matre Mann,
Kamana Purti
Jai Dev Jai Dev ॥

Shri Ganeshaachi Aarti 

Shindur Laal Chadhayo Achchha Gajmukhko ।
Dondil Laal Biraje Sut Gauriharko ।
Haath Lie Gud Laddoo Saiin Survarko ।
Mahima Kahe Na Jaay Laagat Hoon Paadko ॥
Jay Dev Jay Dev..

Jay Dev Jay Dev,
Jay Jay Shri Ganraaj ।
Vidya Sukhdaata
Dhanya Tumhara Darshan
Mera Mann Ramta,
Jay Dev Jay Dev ॥

Astau Siddhi Dasi Sankatko Bairi ।
Vighnavinaashan Mangal Moorat Adhikari ।
Kotisurajprakash Aibi Chhabi Teri ।
Gandasthalamadamastak Jhoole Shashibihari ॥
Jay Dev Jay Dev..

Jay Dev Jay Dev,
Jay Jay Shri Ganraaj ।
Vidya Sukhdaata
Dhanya Tumhara Darshan
Mera Mann Ramta,
Jay Dev Jay Dev ॥

Bhavbhagat Se Koyi Sharnagat Aave ।
Santati Sampatti Sabahi Bharpur Paave ।
Aise Tum Maharaaj Moko Ati Bhaave ।
Gosavinandan Nishidin Gun Gaave ॥
Jay Dev Jay Dev..

Jay Dev Jay Dev,
Jay Jay Shri Ganraaj ।
Vidya Sukhdaata
Dhanya Tumhara Darshan
Mera Mann Ramta,
Jay Dev Jay Dev ॥

॥ Shri Shankarachi Aarti ॥
Lavathavati Vikrala Brahmandi Mala,
Vishe Kantha Kala Trinetri Jwala
Lavanya Sundara Mastaki Bala,
Tethuniya Jala Nirmala Vahe Jhulajhula ॥
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Shri Shankara ।
Aarti Ovalu,
Tuja Karpuragaura
Jai Dev Jai Dev ॥

Karpuragaura Bhola Nayani Vishala,
Ardhangi Parvati Sumananchya Mala,
Vibhutiche Udhalana Shitikantha Nila,
Aisa Shankar Shobhe Umavelhala ॥
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Shri Shankara ।
Aarti Ovalu,
Tuja Karpuragaura
Jai Dev Jai Dev ॥

Devi Daityi Sagaramanthana Pai Kele
Tyamaji Avachita Halahala Je Uthle
Te Tva Asurapane Prashan Kele,
Nilakantha Nama Prasiddh Jhale ॥
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Shri Shankara ।
Aarti Ovalu,
Tuja Karpuragaura
Jai Dev Jai Dev ॥

Vyaghrambara Phanivardharasundara Madnari,
Panchanana Manamohan Munijan Sukhkari
Shatakotiche Beej Vache Uchchari,
Raghukulatilaka Ramadasa Antari ॥
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Shri Shankara ।
Aarti Ovalu,
Tuja Karpuragaura
Jai Dev Jai Dev ॥

 

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Lakshmi Ji Ki Aarti Lyrics Hindi PDF: लक्ष्मी जी की आरती

लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti Lyrics) करने से हमें लक्ष्मी माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता हैं और हम अपने जीवन में समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ते हैं। लक्ष्मी माता को धन, समृद्धि, और सौभाग्य की देवी से जाना जाता हैं। वह हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी के रूप में पूजी जाती हैं। इस आर्टिकल में हम लक्ष्मी माता की आरती के महत्व, मंत्र, और महत्वपूर्ण लाभ के बारे में चर्चा करेंगे।

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लक्ष्मी जी की आरती का महत्व – Importance of Lakshmi Ji Ki Aarti

लक्ष्मी जी की आरती का महत्व यह है की जब भी कोई व्यक्ति अपने सच्चे मन से इस आरती को पढ़ता है, वह अपने जीवन में आनेवाली आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है। यहाँ पर आप लक्ष्मीजी की आरती के लिरिक्स हिंदी में पढ़ सकते है। यह लिरिक्स हिंदी में हो या अंग्रेजी में, Lakshmi Ji Ki Aarti Lyrics in hindi with pdf का पाठ एक शुभ और पवित्र कार्य मन जाता है, जिससे समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति में वृद्धि होती है। जब भी आप यह आरती करें तब कुछ मुख्य बाबतें ध्यान में रखे:

(१) अपने घर या ऑफिस के मंदिर में माता लक्ष्मी का फोटो और मूर्ति जरुर स्थापित करें।
(२) आप यह फोटो और मूर्ति को लाल रंग के साफ सूफी आसन पर रखे।
(३) आप का स्थान ग्रहण करे।
(४) आपका स्थान पूरी तरह से स्वच्छ होना चाहिए।
(५) आप अपने स्थान पर आसन रखें।
(६) उस आसन पर अपना स्थान ग्रहण करें।
(७) आरती करने से पहले दिया जलाएं।
(८) आरती करने से पहले अपने दो हाथों को जोड़कर माता लक्ष्मी को प्रणाम करें।
(९) अब आप आरती के बोल का उच्चारण करें।
(१०) आरती के साथ साथ आप घंटी भी बजाएं।
(११) आरती के समापन बाद माता लक्ष्मी से आशीर्वाद प्राप्त करें।
(१२) आरती के समापन के बाद आप प्रसाद बाटें।
(१३) घर या ऑफिस में उपस्थित सब लोगों को आरती दे।

लक्ष्मी माता की आरती

लक्ष्मी माता की आरती के पाठ में कई सारे मंत्र होते हैं, जो उनकी आरती और पूजा के समय पढ़े जाते हैं। यह आरती के शुरुआत में जो बोल आते है, वह कुछ इस तरह से है:

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।

 

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लक्ष्मी माता की आरती के महत्वपूर्ण लाभ:

हमने यहाँ पर कुछ भक्तों को लक्ष्मी माता की आरती का पाठ करने से जो लाभ मिले है उसका वर्णन यहाँ पर दे रखे है:

धन प्राप्ति – अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में धन की कमी महसूस कर रहा है, तो उन्हें इस आरती का पाठ प्रतिदिन करने से उन्हें धन के संकटों से मुक्ति मिल सकती है। यह आरती मानव जीवन के हर क्षेत्र में धन की प्राप्ति करने में मददगार साबित होती है।

समृद्धि – आज के ज़माने में हर कोई अपने जीवन को उच्च बनाने में जुटा है। अगर आप थोड़ा आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों में आओगे, तब आपका जीवन समृद्धि से भर सकता है। ऐसा माना जाता है की इस आरती से कई सारे भक्तों को अपने जीवन स्तर को उच्च बनाने में मदद मिली है। अगर आप अपने घर में समृद्धि चाहते है, तो आपको अपने घर या ऑफिस को स्वच्छ रखना पड़ेगा। माता लक्ष्मी ऐसी जगह पे रूकती है, जहां पे स्वच्छता है।

सौभाग्य और फल की प्राप्ति – आज हर व्यक्ति अपने सौभाग्य से अपने जीवन का कर्म रूपी फल प्राप्त कर रहा है। “जैसी करनी वैसी भरनी” यह एक कार्य रचना है, जिसमें स्पष्ट रूप से दिखाया गया है। आप जैसा कर्म करेंगे, वैसा फल प्राप्त करेंगे। आपका सौभाग्य भी आपके अपने कर्म के आधीन है।

आनंद और खुशी में वृद्धि – माँ लक्ष्मी उन भक्तों पे प्रसन्ना होती है, जो प्रतिदिन उनकी आरती करतें है। कुछ भक्तों को यह आरती हर रोज करने से उनके जीवन में आनंद और खुशी में बढ़ोतरी देखी गयी है।

स्वास्थ्य में सुधार – अगर कोई भक्त शारीरिक पीड़ा से मुक्ति पाना चाहता है, यह आरती का पाठ करने से माता लक्ष्मी उनके सारे रोगों से मुक्ति मिलाने में मददरूप होती है। इस आरती का पाठ करने से कई भक्तों को अपने स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिला है।

लक्ष्मी जी की आरती के लिरिक्स हमने हिंदी में पीडीऍफ़ फॉर्मेट में दे रखा है। यह लिरिक्स आप अंग्रेजी में, Lakshmi Ji Ki Aarti Lyrics में भी पढ़ सकते है। आप अपने समय पे इसे ऑनलाइन या ऑफलाइन पढ़ सकते है। हमने लक्ष्मी माता के भक्तों के लिए ये खास व्यवस्था दे रखी है। हम चाहते है की माता लक्ष्मी के हर भक्तों द्वारा इस आरती के लिरिक्स को प्रतिदिन पढ़े और अपने जीवन में से सारे कष्टों का निवारण करें। अगर आप को यह आर्टिकल पसंद आया हो तो आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों या परिवार के अन्य सदस्यों से साझा करें।

 

Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics in English

 

Om Jai Lakshmi Mata, Maiya Jai Lakshmi Mata।

Tumako Nishidin Sevat, Hari Vishnu Vidhata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Uma Rama Brahmani, Tum Hi Jag-Mata।

Surya-Chandrama DhyavatNaarad Rishi Gata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Durga Roop Niranjani, Sukh Sampatti Data।

Jo Koi Tumako Dhyavat, Riddhi-Siddhi Dhan Pata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Tum Patal-Nivasini, Tum Hi Shubhdata।

Karma-Prabhav-Prakashini, Bhavanidhi Ki Trata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Jis Ghar Mein Tum Rahti, Sab Sadgun Aata।

Sab Sambhav Ho Jata, Man Nahi Ghabrata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Tum Bin Yagya Na Hote, Vastra Na Koi Pata।

Khan-Pan Ka Vaibhav, Sab Tumase Aata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Shubh-Gun Mandir Sundar, Kshirodadhi-Jata।

Ratna Chaturdash Tum Bin, Koi Nahi Pata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Mahalakshmi Ji Ki Aarti, Jo Koi Jan Gata।

Ur Anand Samata, Paap Utar Jata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

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Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics in Hindi by Hariharan & Anuradha Paudwal

भारतीय संस्कृति में आरती कुंज बिहारी की गीत का महत्व बहुत अधिक है। भारत के आलावा दुनिया भर में श्री कृष्णा के भक्तों का समुदय बहुत है। हम यह लेख में आपको Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics in Hindi by Hariharan & Anuradha Paudwal एक मुख्य आरती के बारे में बताएंगे। हम इसके लिरिक्स भी आपको वर्णन करेंगे, जो भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करने के लिए किया जाता है। यह आरती एक प्रकार की पूजा है जिसमें श्री कृष्णा की मूर्ति या फोटो के सामने दिया जलाकर उनकी महिमा का गुणगान किया जाता है।

 

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Krishna Aarti |  Krishna Ji Ki Aarti

आरती कुंज बिहारी की लिरिक्स (Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics) हरिहरन (Hariharan) और अनुराधा पौडवाल (Anuradha Paudwal) द्वारा गाया गया हैं। ऐसे तो यह आरती बहुत सारे गायकों द्वारा भी गाया गाया है, लेकिन इसमें यह दो गायकों द्वारा गाई गई हुई आरती ज्यादातर भक्तों द्वारा सुनी जाती है। भगवान श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म के एक मुख्य देवता हैं। उन्होंने भगवद गीता में अर्जुन को अपने धर्म का पालन करने की सलाह दी थी। विश्व भर में भगवान श्री कृष्णा अपनी बाल लीलाओं और उपदेशों के लिए प्रसिद्ध हैं। वैसे तो श्रीकृष्ण की कई सारी लीलाएं है। परंतु उन अनेक में से मुख्यत्वे में भगवान श्री कृष्णा ने वृंदावन में गोपियों के साथ रास खेलने की आनंददायक लीलाएं की और मथुरा में कंस के खिलाफ युद्ध किया।

 

Krishna aarti बहुत पुरानी आरती है जो भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर में हररोज सुबह और साम को की जाती है। श्री कृष्णा के भक्तों अपने घर या ऑफिस में भी यह आरती करते है। आरती कुंज बिहारी की आरती में भगवान श्री कृष्णा की अर्चना की जाती है और उनके लिए मंदिर में सब लोगों का जमावड़ा होता हैं। यह आरती वृंदावन के बनारसीदास जी द्वारा रची गई थी और आज भी भक्तों के द्वारा यह आरती पसंद की जाती है।

 

 

आरती कुंज बिहारी की

Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics in Hindi by Hariharan & Anuradha Paudwal

 

 

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

 

Importance of Shri Krishna Bhagwan Ji Ki Aarti

भगवान की स्तुति – Shri krishna aarti में भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति होती है, यह आरती करते हुए भक्तों का मन पवित्र और भक्ति में लीन हो जाता है।

आनंदमय भगवान – यह आरती में भगवान श्री कृष्णा की अनेक लीलाएं और खेल का वर्णन किया गया हैं, जिससे भक्तों में आनंद की बढ़ोतरी होती है।

भक्ति का अदभुत अनुभव – यह आरती का पाठ करने से भक्तों को भगवान श्री कृष्णा के साथ गहरा संबंध महसूस होता है और उनकी भक्ति में वृद्धि होती है।

समर्पण – Krishna ji ki aarti का पाठ करने से भक्तोमें के अदभुत समर्पण का भाव देखने को मिलता है। यह भक्तो की आत्मा का श्रीकृष्ण के साथ पूर्ण रूप से समर्पण का भाव प्रगट करता है।

आरती कुंज बिहारी की लिरिक्स हिंदी में आपने पढ़ लिए। Shri krishna bhagwan ji ki aarti के लिरिक्स हमने अंग्रेजी में दे रखे है। अगर आप अंग्रेजी में पढ़ना चाहते है तो यहाँ पर आप पढ़ सकते है।

 

Hariharan Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics

Aarti Kunj Bihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
Aarti Kunj Bihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥

Gale Mein Baijanti Mala,
Bajave Murali Madhur Bala ।
Shravan Mein Kundal Jhalakala,
Nand Ke Anand Nandlala ।
Gagan Sam Ang Kanti Kali,
Radhika Chamak Rahi Aali ।
Latan Mein Thadhe Banamali
Bhramar Si Alak,
Kasturi Tilak,
Chandra Si Jhalak,
Lalit Chavi Shyama Pyari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
॥ Aarti Kunj Bihari Ki…॥

Kanakmay Mor Mukut Bilse,
Devata Darsan Ko Tarse ।
Gagan So Suman Raasi Barse
Baje Murchang,
Madhur Mridang,
Gwaalin Sang
Atual Rati Gop Kumari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
॥ Aarti Kunj Bihari Ki…॥

Jahaan Te Pragat Bhayi Ganga,
Sakal Man Haarini Shri Ganga ।
Smaran Te Hot Moh Bhanga
Basi Shiv Shish,
Jataa Ke Beech,
Harei Agh Keech,
Charan Chhavi Shri Banvaari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
॥ Aarti Kunj Bihari Ki…॥

Chamakati Ujjawal Tat Renu,
Baj Rahi Vrindavan Benu।
Chahu Disi Gopi Gwaal Dhenu
Hansat Mridu Mand,
Chandani Chandra,
Katat Bhav Phand,
Ter Sun Deen Dukhari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
॥ Aarti Kunj Bihari Ki…॥

Aarti Kunj Bihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
Aarti Kunj Bihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥

 

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Shiv Ji Ki Aarti: Om Jai Shiv Omkara Lyrics, PDF in Hindi

Lord Shiva is the greatest god in Hindu religions. Om Jai Shiv Omkara is a famous Shiv Ji Ki Aarti that is dedicated to Lord Shiva. Every shiva’s devotees pray to shiv by chanting this aarti every day. There are so many people in the world who visit Shiv temples to pray for him. In this article, I will provide you with Shiv Aarti lyrics in Hindi and English. You can read it online as well as offline. There are so many people who are searching for PDFs. Shiv chalisa is one of the most powerful chalisas, which is also associated with Lord Shiva.

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Shiv Ji Ki Aarti (Om Jai Shiv Omkara) Lyrics, PDF in Hindi

Om jai shiv omkara, prabhu jai shiv omkara
Brahma vishnu sada shiv, ardhangii dhara
Om jai shiv omkara…

Ekanana chaturanan panchanan raje
Hansanan, garuraasan vrishvahan saje
Om jai shiv omkara….

Do bhuja, chaar chaturbhuja dashabhuja ati sohe
Tiinon roop nirakhate tribhuvan jan mohe
Om jai shiv omkara…

Aksamala vanamala mundamala dhari
Chandana mrigamad sohai bhaale shashidhaari
Jai shiv omkara…

Shvetambara piitambara baaghambara ange
Brahmadhik sanakaadhik pretaadhik sange
Om jai shiv omkara…

Kara madhye kamandalu au trishul dhari
Jagkarta jagharta jagapalan karta
Jai shiv omkara…

Brahma vishnu sadashiva janata aviveka
Pranavaksar ke madhaya tinonh eka
Om jai shiv omkara…

Trigun swami ki aarti jo koi nar gave
Kahata shivananda swami mana vanchita phala pave
Jai shiv omkara…

महादेव की आरती  शिव आरती हिंदी में  

भगवान शिव को भोलेनाथ से भी जाना जाता है। माता पार्वती के पति, ब्रह्मा-विष्णु-महेश के रूप में पूजे जाने वाले भगवान शिवजी एक मुख्य देवता हैं। शिव चालीसा और महादेव की आरती उनके भक्तों द्वारा प्रतिदिन करी जाती है। इस दुनिया में भगवान शिव के भक्तगण का समुदाय बहोत बड़ा है। शिवजी की आराधना भक्तों के दिलों में अपने प्रेम और भक्ति की आग भर देती है। भगवान शिव की आरती, उनके मुख्य पूजा का हिस्सा है, जो कई शिव मंदिर में सुबह और साम को पुजारी द्वारा की जाती हैं। शिव जी की आरती का प्रारंभ होता है ‘जय शिव ओंकारा’ के मंत्र से शुरुआत होती है। इस आर्टिकल में हम शिव आरती हिंदी में लिरिक्स PDF और अंग्रेजी में देखेंगे।

शिव-जी-की-आरती-हिंदी-लिरिक्स

रूद्राष्टकम्
रुद्राष्टकम् एक ऐसा स्तोत्र और स्तुति है, जो भगवान शिव की महिमा की प्रशंसा करता है। यह स्तोत्र में शिवजी के भयंकर और महाकालीय रूप का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र इस आरती का मुख्य हिस्सा है जो उनके असीम शक्तिशाली विभूतियों को प्रकट करता है।

चन्द्रशेखर अष्टकम
इस आरती में शिव जी का चंद्रशेखर रूप का वर्णन किया गया है। ऐसा मन जा रहा है की यह रूप को भगवान शिवजी को सहायक और आश्रय दाता रूप दर्शाता है।

शिव आरती हिंदी में: आत्मा की प्रेम और श्रद्धा

शिव जी की आरती भगवान शिवजी के दिव्य गुणों और शक्तियों की महिमा का परिचय करता है। इस आरती के द्वारा उनके भक्त और शिवजी का अदभुत ध्यान मिलता है, की जैसे उनके सारे भक्तों उनसे प्रसन्ना हो जाते है। यह आरती के उच्चारण से हर भक्त आतंरिक सुख का अनुभव करता है। इतना ही नहीं बल्कि वह आध्यात्मिक जीवन में आनंद, शांति, और समृद्धि की अनुभूति भी प्राप्त करता है।

हमने आपको यहाँ पर शिव जी की आरती के लिरिक्स हिंदी में पीडीऍफ़ और अंग्रेजी में प्रदान किये हुए है। जो आपने यह लिरिक्स पढ़ लिए होंगे। आप प्रतिदिन घर या ऑफिस में शिवजी के फोटो के सामने आप यह आरती प्रतिदिन कर सकते है। भगवान शिव आपकी हर मनोकामना पूर्ण करे ऐसी भावना के साथ या आर्टिकल यहाँ पर समाप्त करते है। यदि आप चाहे तो दूसरे देवी-देवताओं की आरती हमने निचे दे रखी है, जहाँ से आप पढ़ सकते है।

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Anuradha Paudwal Ganesh Aarti: गणेश जी की आरती Lyrics & PDF

गणेश जी की आरती अनुराधा पौडवाल द्वारा गाया गया है। अनुराधा पौडवाल एक प्रमुख हस्ती के रूप में खड़ी हैं जिनकी भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने लाखों लोगों के दिलों को छू लिया है। उनके सबसे पसंदीदा और श्रद्धेय कार्यों में से एक गणेश जी की आरती Lyrics, PDF Hindi है, जो हाथी के सिर वाले देवता भगवान गणेश को समर्पित एक भजन है, जो ज्ञान, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने वाले का प्रतीक है। गणेश जी की आरती Lyrics & PDF मंत्रमुग्ध कर देने वाले गायन के माध्यम से, अनुराधा पौडवाल (Anuradha Paudwal Ganesh Aarti) ने भक्ति और आध्यात्मिकता के सार को पकड़ लिया है, जिससे गणेश जी की आरती हिंदी में हिंदू अनुष्ठानों और उत्सवों का एक अनिवार्य हिस्सा बन गई है।

 

 

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गणेश जी की आरती भगवान गणेश के फोटो प्रति श्रद्धा और आराधना की हार्दिक अभिव्यक्ति है। इसका जप त्योहारों, धार्मिक समारोहों और दैनिक पूजा सहित विभिन्न शुभ अवसरों पर किया जाता है। Anuradha Paudwal Ganesh Aarti,  गणेश जी की आरती Lyrics & PDF आम तौर पर भक्ति और कृतज्ञता के साथ भजन गाते हुए देवता के सामने एक जलता हुआ दीपक या कपूर लहराकर की जाती है। जैसे ही भक्त मधुर छंदों में डूब जाते हैं, वे भगवान गणेश के आशीर्वाद और सुरक्षा के साथ-साथ अपने रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को दूर करने की कामना करते हैं।

 

 

 

Anuradha Paudwal Ganesh Aarti

गणेश जी की आरती Lyrics & PDF Hindi

 

 

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी।
मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अँधे को आँख देत कोढ़िन को काया
अँधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया।
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
भक्तजन तोरे शरण कृपा राखो देवा
भक्तजन तोरे शरण कृपा राखो देवा

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

 

अनुराधा पौडवाल की श्री गणेश जी की आरती की प्रस्तुति दिव्यता से कम नहीं है। अपनी भावपूर्ण और मनमोहक आवाज के साथ, वह प्रत्येक शब्द को वास्तविक भावना और आध्यात्मिकता से भर देती है, जिससे एक अलौकिक वातावरण बनता है जो श्रोताओं को पसंद आता है। शास्त्रीय संगीत तत्वों को समकालीन शैलियों के साथ मिश्रित करने की उनकी अद्वितीय क्षमता पारंपरिक आरती में एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला स्पर्श जोड़ती है, जिससे यह जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए सुलभ और मंत्रमुग्ध हो जाती है।

 

अपने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से, अनुराधा पौडवाल अपने दर्शकों में भक्ति और शांति की भावना पैदा करती हैं। जिस तरह से वह प्रत्येक शब्दांश को स्पष्ट करती है और आरती को हार्दिक भावनाओं से भर देती है, वह इसे एक गहरा और ध्यानपूर्ण अनुभव बनाता है। उनकी सुरीली आवाज में भक्ति का रस है, जो श्रोताओं के दिलों को मंत्रमुग्ध कर देती है और परमात्मा के साथ संबंध बनाती है।

 

अनुराधा पौडवाल की गणेश आरती (Anuradha Paudwal Ganesh Aarti) ने दुनिया भर के अनगिनत भक्तों के दिलों पर अमिट प्रभाव छोड़ा है। उनकी प्रस्तुति गणेश चतुर्थी (ganesh chaturthi) समारोह का एक अभिन्न अंग बन गई है, जहां घरों और मंदिरों में आरती अत्यधिक उत्साह और भक्ति के साथ की जाती है। बहुत से लोग उनकी प्रस्तुति में सांत्वना और शक्ति पाते हैं, जीवन की चुनौतियों से उबरने और अपने प्रयासों में सफलता पाने के लिए भगवान गणेश का आशीर्वाद मांगते हैं।

 

अनुराधा पौडवाल की गणेश जी की आरती Lyrics, PDF Hindi की प्रस्तुति, आत्माओं के उत्थान, भक्ति को प्रेरित करने और परमात्मा के साथ गहरा संबंध बनाने के लिए भक्ति संगीत की शक्ति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। अपनी अद्वितीय गायन क्षमता के माध्यम से, उन्होंने इस कालजयी भजन में नई जान फूंक दी है, जिससे यह आध्यात्मिक उत्सवों और अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। चूँकि उनकी आवाज़ भक्तों के दिलों में गूंजती रहती है, अनुराधा पौडवाल की गणेश आरती भगवान गणेश के लिए एक शाश्वत भजन बनी हुई है, जो हमें उनकी याद दिलाती है।

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Om Jai Jagdish Hare Aarti: Vishnu Ji Ki Aarti Lyrics Hindi

  • विष्णु आरती एक ऐसा प्राचीन आध्यात्मिक रीति-रिवाज है जो भक्तों के दिलों में अद्भुत उत्साह और आनंद उत्पन्न करती है। भारतीय संस्कृति में Om Jai Jagdish Hare Aarti भक्ति का महत्व अविरल रहा है और भगवान विष्णु (Vishnu ji ki aarti) के आराधना भाव में विशेष आदर्श है। विष्णु आरती के रहस्यमयी विश्व को विस्तार से देखेंगे और इस महान आचार की महत्वपूर्णता और अनूठी शक्ति का पता लगाएंगे।

 

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Om Jai Jagdish Hare Aarti: परिचय और महत्व

  • भगवान विष्णु को समर्पित एक प्रकार की पूजा-अर्चना है जिसमें विशेष मानसिक समर्पण और भक्ति व्यक्त की जाती है। इस आरती का पाठ भगवान विष्णु की स्तुति करने और उनसे दिव्य आशीर्वाद मांगने का एक आदर्श रूप है। विष्णु आरती एक प्रसिद्ध धार्मिक आचार है जिसे लाखों भक्तों द्वारा प्रतिदिन पाठ किया जाता है।

 

 

विष्णु आरती के पाठ का महत्व

Benefits of Vishnu Ji Ki Aarti lyrics

 

  • विष्णु आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti, Vishnu ji ki Aarti) का पाठ करने से व्यक्ति को अनेक धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं। इसके अभियान के तहत व्यक्ति का मन शांत होता है और वह भगवान विष्णु के दिव्य चरणों में अपनी पूर्ण समर्पण की भावना का अनुभव करता है।
  • दिव्य आशीर्वाद –  इस का नियमित पाठ भगवान विष्णु के दिव्य आशीर्वाद को आमंत्रित करता है। इसे पढ़ने से भगवान विष्णु अपने भक्तों को अपने अनंत कृपा से आभूषित करते हैं और उनकी समस्त व्यथाओं को हल करते हैं।
  • आंतरिक शांति – इसके पाठ से व्यक्ति का मन शांत, धीर, और स्थिर होता है। इससे व्यक्ति के आंतरिक तनाव, चिंताएं और संशय समाप्त होते हैं और वह आंतरिक शांति का अनुभव करता है।
  • भय और नकारात्मकता का नाश – इस के पाठ से भय और नकारात्मकता का नाश होता है। इसके पाठ से व्यक्ति को समस्त भय और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है और वह जीवन में आत्मविश्वास के साथ काम कर सकता है।
  • धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति – इस के पाठ से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है। इसके पाठ से व्यक्ति की धार्मिक और मानसिक संवृद्धि होती है और वह जीवन में सच्चे और नेक कार्यों में लग जाता है।
  • समृद्धि का साधन – इसके पाठ से व्यक्ति को समृद्धि के मार्ग पर चलने का साधन मिलता है। इसके पाठ से व्यक्ति का व्यावसायिक एवं आर्थिक विकास होता है और उसे आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics

 

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे, ॐ जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे, दुःखबिन से मन का
स्वामी दुःखबिन से मन का, सुख सम्पति घर आवे
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे

 

 

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा
आस करूं मैं जिसकी, ॐ जय जगदीश हरे

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर
तुम सब के स्वामी, ॐ जय जगदीश हरे

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता
मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता, ॐ जय जगदीश हरे

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय
तुमको मैं कुमति, ॐ जय जगदीश हरे

 

 

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे, ॐ जय जगदीश हरे

विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वामी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा, ॐ जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे, ॐ जय जगदीश हरे

 

 

  • विष्णु भगवान की आरती pdf (Om Jai Jagdish Hare Aarti with lyrics) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक आचार है, जिसे भगवान विष्णु की भक्ति और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रतिदिन किया जाता है। विष्णु आरती के पाठ से व्यक्ति को आंतरिक शांति, दिव्य आशीर्वाद, और आध्यात्मिक उन्नति होती है। इस महान आचार की शक्ति को व्यक्ति के जीवन में अपनाकर उसे आध्यात्मिक समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
  • विष्णु आरती एक पवित्र आचार है, इसे श्रद्धा और भक्ति से पढ़ना चाहिए।

 

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