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Ya Devi Sarva Bhuteshu Lyrics in Hindi: Saraswati Mantra

सरस्वती मंत्र (Saraswati Mantra) जीवन के हर क्षेत्र में ज्ञान और समृद्धि प्राप्त करने के लिए Ya Devi Sarva Bhuteshu Lyrics in Hindi में भक्तों जाप करते हैं। भारतीय संस्कृति में सरस्वती माता को ज्ञान, कला, संगीत और विद्या की देवी माना जाता है।  हम इस आर्टिकल में सरस्वती मंत्र के महत्व, जाप का तरीका, और इसके लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

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सरस्वती मंत्र का महत्व –Importance of Saraswati Mantra

यहाँ पर हमने सरस्वती मंत्र का जाप करने से मुख्य लाभ का वर्णन किया गया है:

  • सरस्वती मंत्र का जाप ज्ञान, विद्या, कला, संगीत, और उच्च शिक्षा में समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है। माँ सरस्वती का ध्यान करने से मानव बुद्धि में वृद्धि होती है और विद्या के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
  • सरस्वती मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की आर्थिक उन्नति में बढ़ोतरी होती है।
  • यह मंत्र का जाप करने से व्यक्ति का स्वार्गी विकास होता है। व्यक्ति हर दिशा में अपने कार्यों में सफलता हासिल करता है।
  • इस दुनिया में ज्ञान का होना अति आवश्यक मन जाता है। कई लोग माता सरस्वती की पूजा इसीलिए करते है, ताकि वह अपने ज्ञान में बढ़ोतरी कर सके।

 Ya Devi Sarva Bhuteshu lyrics in Hindi

 

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्य भिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु निद्रा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु छाया-रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु तृष्णा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू क्षान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू जाति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू लज्जा-रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषू कान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु व्रती-रुपेणना संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु स्मृती-रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु दया-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु भ्राँति-रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

इन्द्रियाणा मधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या |
भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः ||

चितिरुपेण या कृत्स्नम एतत व्याप्य स्थितः जगत
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

 

सरस्वती मंत्र का जाप करते समय आपको ध्यान और श्रद्धा के साथ इसे पढ़ना चाहिए। मंत्र का उच्चारण सावधानीपूर्वक और स्पष्ट रूप से करें। यहाँ पर हमने कुछ मुख्य सरस्वती मंत्र का वर्णन किया है-

  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वत्यै नमः – यह मंत्र का जाप करने से सरस्वती माता की कृपा प्राप्त और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अत्यंत अद्भुत है।
  • ॐ वागीश्वर्यै विद्महे वाग्वादिन्यै धीमहि। तन्नो वाग्यः प्रचोदयात्। – यह मंत्र का जाप करने से व्यक्ति अपनी वाणी और विद्या के लिए माता सरस्वती को वंदन किया जाता है।
  • ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै नमः – यह मंत्र बुद्धि, ज्ञान, और कला की देवी माता सरस्वती के लिए है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए यह मंत्र का जाप किया जाता है।

 

यहाँ पर आपने सरस्वती मंत्र हिंदी में, Ya Devi Sarva Bhuteshu Lyrics in Hindi में आपने पढ़ लिए। यहाँ पर हमने Saraswati Mantra अंग्रेजी में लिरिक्स दे रखे है। अगर आप चाहे तो इस मंत्र का प्रतिदिन जाप सकते हैं।

 

Ya Devi Sarvabhuteshu Lyrics in English with Meaning – या देवी सर्वभूतेषु लिरिक्स अर्थ सहित

 

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Vishnumaayeti Shabditaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Chetanety-Abhidhiiyate ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Buddhi-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Nidra-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Kssudhaa-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Chaayaa-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Shakti-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Trshnnaa-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Kshaanti-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Jaati-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Lajjaa-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Shaanti-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Shraddhaa-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devii Sarva-Bhutessu Kaanti-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Lakshmii-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Vrtti-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Smrti-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Dayaa-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Tushtti-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Maatr-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

Yaa Devi Sarva-Bhutessu Bhraanti-Ruupenna Samsthitaa ।
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ॥

 

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Siddhivinayak Aarti | Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics

Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics यह वो प्रख्यात स्तुति है जिसे हर गणपति के भक्तों ने कभी न कभी सुना या पढ़ा है। यह आरती भगवान गणेश के मंदिरों में सुबह और साम को प्रतिदिन की जाती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप से भी जाना जाता है। भगवान गणेश के भक्तों हर रोज इस आरती का पाठ अपने घर या ऑफिस के मंदिर में करते है।

जब हम गणेश चतुर्थी के दिन सिद्धिविनायक की पूजा और अर्चना करते हैं, तब यह सिद्धिविनायक आरती एक महत्वपूर्ण रूप से आप भगवान गणेश को करते है। जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति (Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics) आरती गणेश जी की महिमा, महत्व, और उनके प्रति आपकी भक्ति का अद्भुत वर्णन करती है। हम सिद्धिविनायक आरती के महत्व, पाठ की विधि, और इसके लाभों के बारे में चर्चा करेंगे।

 

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भगवान गणेश – सभी के देवता

हिन्दू धर्म वैसे तो कई सारे देवी-देवता है, जिसमें भगवान गणेश को सभी देवताओं के मुख्य माना जाता है। भगवान गणेश को उनके दूसरे नाम “विघ्नहर्ता” से जाना जाता हैं, इसका मतलब सभी कठिनाइयों और मुश्किलों को दूर करने वाले देवता से जाने जाते हैं। जब भी घर या ऑफिस और कोई प्रसंग होता है, इसमें सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है की जब आप भगवान गणेश की पूजा से अपना प्रसंग शुरू करते है, तब कार्यों पूर्ण करने में कोई अड़चन नहीं आती। व्यक्ति के कार्यों उनकी कृपा से संपन्न नहीं होता। भगवान गणेश के मुख का आकर हाथी का चिह्न होता है, यह बुद्धि और विवेक रूप का वर्णन करता है।

 

Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति 

 

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

 

सिद्धिविनायक आरती का महत्व

1. भगवान गणेश की आराधना – सिद्धिविनायक आरती का पाठ करने से हम भगवान गणेश के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा का भाव प्रगट करते हैं। यह आरती हमें गणेश जी के प्रतिरूप की ओर प्रस्तुत करती है।

2. समस्याओं का निवारण – गणेश जी को सिद्धिविनायक से भी पहचाना जाता है, और उनकी कृपा से हम अपने जीवन में हर समस्याओं का निवारण पा सकते हैं।

3. मानसिक शांति – यह आरती का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और सुख की अनुभव होती है। अगर आप यह आरती पूरे सच्चे मन से करते हो, तो गणेश जी की कृपा से मन में शांति बनी रहती है।

4. धार्मिक और आध्यात्मिक का विकास – सिद्धिविनायक आरती का पाठ करने से हम अपने आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों में विकास पा सकते हैं।

 

 

आरती का अर्थ – Shree Siddhivinayak Mantra And Lyrics Aarti by Amitabh Bachchan

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति आरती का अर्थ आप यहाँ पर लिरिक्स के साथ पढ़ सकते है। हमने यहाँ पर श्री सिद्धिविनायक मंत्र और आरती के लिरिक्स दे रखे है, यह लिरिक्स अमिताभ बच्चन द्वारा गायें हुए है। आप यह लिरिक्स अंग्रेजी में भी पढ़ सकते है। इस आरती के हर शब्द का अर्थ भगवान गणेश के लिए गए जाते है। इन शब्दों में दुःख को दूर करके हर भक्त के जीवन में एक नया उजाला लाने की बात का वर्णन किया हुआ है। प्रतिदिन आपको यह आरती भगवान गणेश के फोटो या मूर्ति के सामने पढ़नी चाहिए।

 

सिद्धिविनायक आरती की विधि
सिद्धिविनायक आरती का पाठ करने के लिए नीचे दिखाए गए विधि का पालन करें-

1. गणेश जी की मूर्ति – आरती शुरू करने से पहले आपको नहाना चाहिए। अपने शरीर को शुद्ध करें। बाद में आप शुद्ध जगह पर गणेश जी की मूर्ति या फोटो के सामने बैठें और अपने मनको शुद्ध रखिये। भगवान गणेश को पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, और मिश्री से सजाएँ।

2. मंत्र का पाठ करें – सिद्धिविनायक आरती का मंत्र उच्चारण करें, और सच्चे मन से गणेश जी को नमन करें। आरती के मंत्र को ध्यान से पढ़ें और सुनें।

3. आरती का पाठ करें – आरती का पाठ करें और गणेश जी की महिमा गाने के साथ साथ उनकी स्तुति करें।

4. प्रसाद चढ़ाएं – आरती के समापन के बाद आपको प्रसाद में फल या मिठाई भगवान गणेश जी को चढ़ाना चाहिए।

5. प्रार्थना करें – अब आप दोनों हाथों को जोड़कर गणेश जी के फोटो या मूर्ति के सामने से अपनी मांग कह सकते हैं और उनसे आशीर्वाद मांग सकते हैं।

6. आरती को फिर से पढ़ें – आरती को एक बार फिर से पढ़ने का आदत डाली जाती है, जिससे गणेश जी को पूर्ण आराधना मिलती है।

7. प्रसाद सभी को बाँटें – अगर आप कोई गणेश जी के मंदिर या घर पे आरती करते है, तो वहां पे उपस्थित सभी लोगों के साथ प्रसाद बाँटें, ऐसा करने से भगवान गणेश जी खुश होते है और आपका आशीर्वाद भी बढ़ जाता है।

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति (Jai Dev Jai Dev Jai Mangal Murti Lyrics) आरती गणेश जी को प्रतिदिन करना चाहिए। मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर में दुनियाभर से कई सारे भक्त गणेश जी का दर्शन का लाभ लेते है। इस मंदिर में भक्त अपनी श्रद्धा से भगवान गणेश की आरती में शामिल होते है। इतना ही नहीं बल्कि मुंबई में रहने वाले कई भक्तगण प्रतिदिन इस आरती में भाग लेते है।

 

Siddhivinayak Aarti Lyrics 

 

Sukh Karta Dukhharta Varta Vighnachi ।
Noorvi Poorvi Prem Krupya Jayachi ।
Sarwangi Sundar Utishendu Rachi ।
Kanthi Jhalke Maad Mukhta Padhanchi ।
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Mangal Murti ।
Darshan Matre Mann,
Kamana Purti
Jai Dev Jai Dev ॥

Ratnakhachit Phara Tujh Gaurikumra ।
Chandanaachi Uti Kumkum Ke Shara ।
Hire Jadit Mukut Shobhato Bara ।
Runjhunati Nupure Charani Ghagriya ।
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Mangal Murti ।
Darshan Matre Mann,
Kamana Purti
Jai Dev Jai Dev ॥

Lambodar Pitaambar Phanivar Vandana ।
Saral Sond Vakratunda Trinayana ।
Das Ramacha Vat Pahe Sadna ।
Sankati Pavave Nirvani Rakshave Survar Vandana ।
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Mangal Murti ।
Darshan Matre Mann,
Kamana Purti
Jai Dev Jai Dev ॥

Shri Ganeshaachi Aarti 

Shindur Laal Chadhayo Achchha Gajmukhko ।
Dondil Laal Biraje Sut Gauriharko ।
Haath Lie Gud Laddoo Saiin Survarko ।
Mahima Kahe Na Jaay Laagat Hoon Paadko ॥
Jay Dev Jay Dev..

Jay Dev Jay Dev,
Jay Jay Shri Ganraaj ।
Vidya Sukhdaata
Dhanya Tumhara Darshan
Mera Mann Ramta,
Jay Dev Jay Dev ॥

Astau Siddhi Dasi Sankatko Bairi ।
Vighnavinaashan Mangal Moorat Adhikari ।
Kotisurajprakash Aibi Chhabi Teri ।
Gandasthalamadamastak Jhoole Shashibihari ॥
Jay Dev Jay Dev..

Jay Dev Jay Dev,
Jay Jay Shri Ganraaj ।
Vidya Sukhdaata
Dhanya Tumhara Darshan
Mera Mann Ramta,
Jay Dev Jay Dev ॥

Bhavbhagat Se Koyi Sharnagat Aave ।
Santati Sampatti Sabahi Bharpur Paave ।
Aise Tum Maharaaj Moko Ati Bhaave ।
Gosavinandan Nishidin Gun Gaave ॥
Jay Dev Jay Dev..

Jay Dev Jay Dev,
Jay Jay Shri Ganraaj ।
Vidya Sukhdaata
Dhanya Tumhara Darshan
Mera Mann Ramta,
Jay Dev Jay Dev ॥

॥ Shri Shankarachi Aarti ॥
Lavathavati Vikrala Brahmandi Mala,
Vishe Kantha Kala Trinetri Jwala
Lavanya Sundara Mastaki Bala,
Tethuniya Jala Nirmala Vahe Jhulajhula ॥
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Shri Shankara ।
Aarti Ovalu,
Tuja Karpuragaura
Jai Dev Jai Dev ॥

Karpuragaura Bhola Nayani Vishala,
Ardhangi Parvati Sumananchya Mala,
Vibhutiche Udhalana Shitikantha Nila,
Aisa Shankar Shobhe Umavelhala ॥
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Shri Shankara ।
Aarti Ovalu,
Tuja Karpuragaura
Jai Dev Jai Dev ॥

Devi Daityi Sagaramanthana Pai Kele
Tyamaji Avachita Halahala Je Uthle
Te Tva Asurapane Prashan Kele,
Nilakantha Nama Prasiddh Jhale ॥
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Shri Shankara ।
Aarti Ovalu,
Tuja Karpuragaura
Jai Dev Jai Dev ॥

Vyaghrambara Phanivardharasundara Madnari,
Panchanana Manamohan Munijan Sukhkari
Shatakotiche Beej Vache Uchchari,
Raghukulatilaka Ramadasa Antari ॥
Jai Dev Jai Dev..

Jai Dev Jai Dev
Jai Shri Shankara ।
Aarti Ovalu,
Tuja Karpuragaura
Jai Dev Jai Dev ॥

 

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Durga Chalisa Lyrics in Hindi: दुर्गा चालीसा

दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa Lyrics in Hindi) एक प्राचीन भजन है जिसमें माता दुर्गा की महिमा, शक्ति, और करुणा का गुणगान किया जाता है। दुर्गा माता को शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं और उनकी पूजा पाठ का महत्व हर व्यक्ति के लिए सामान है। हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि दुर्गा चालीसा क्या है और इसका पाठ करने के क्या महत्वपूर्ण फायदे हैं।

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दुर्गा चालीसा – देवी दुर्गा का महिमा गान

दुर्गा माता को दूसरे नाम माँ अम्बा के रूप से भी जाना जाता है। माँ अम्बा देवियों की देवी है। माँ दुर्गा वैष्णो देवी मंदिर में बिराजमान है। यह मंदिर में दूर दूर से माता के भक्तों चलके इस मंदिर में आते हैं। गुजरात में अंबाजी मंदिर है, जहां पर माँ अम्बा बिराजमान है। यह मंदिर में कई सारे भक्तों की भीड़ जमा होती है। यह दोनों स्थान पर माँ दुर्गा अपने भक्तों को प्रार्थना करने का अवसर प्रदान करती है। हर कोई भक्त चाहता है की वह दुर्गा चालीसा की स्तुति उनके मंदिर में ही की जाए। प्रतिदिन आप किसी नजदीकी माँ दुर्गा के मंदिर जा के इसका पाठ पढ़ सकते है।

 

दुर्गा चालीसा का महत्व – Importance of Durga Chalisa

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपको नीचे दिखाए गए लाभ मिल सकते हैं-

शक्ति की प्राप्ति – यह चालीसा का पाठ करने से हमें देवी दुर्गा माता की शक्ति का अनुभव होता है। यह देवी शक्ति हमें अपने जीवन में साहस और समर्पण की भावना पैदा करने की ताकत देती हैं।

रोग निवारण – अगर आप इस चालीसा का पाठ प्रतिदिन करते हो, माँ दुर्गा भक्तों के रोग निवारण में मददगार होती है और भक्तों को स्वास्थ्य की रक्षा करती है।

मानसिक शांति – यह चालीसा का पाठ करने से हमारे मानसिक स्थिति में सुधार होता है और हम तनाव और चिंता से मुक्ति प्राप्त करते हैं।

कर्मफल की प्राप्ति – अगर आप जैसा कर्म करते हो वैसा फल प्राप्त करेंगे। यह चालीसा हमें कर्मफल की प्राप्ति में के लिए प्रोत्साहित करती है और हमें कर्मों को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है।

 

 

Durga Chalisa Lyrics in Hindi

 

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन र जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नरनारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। मोह मदादिक सब बिनशावें॥
शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

 

देवीदास शरण निज जानी। कहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

दुर्गा चालीसा लिरिक्स हमने यहाँ पर हिंदी में, Durga Chalisa Lyrics in Hindi में दे रखे है। आप यह चालीसा का पाठ प्रतिदिन पढ़ सकते है। आप अपने समय पर यह चालीसा का पाठ पढ़ सकते है। आप इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन भी पढ़ सकते है।

 

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Shri Krishna Chalisa Lyrics in Hindi PDF: कृष्ण चालीसा

Shri Krishna Chalisa एक चालीसा है जिसमें भगवान श्री कृष्ण की महिमा, उनके गुण गान का वर्णन किया गया है। भगवान श्री कृष्ण हिन्दू धर्म के महान अवतारों में से एक महत्वपूर्ण अवतार हैं। उनके जीवन और बाल स्वरुप की लीलाएं हमें भक्ति, प्रेम, और धर्म की महत्वपूर्ण समझदारी देती हैं। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa Lyrics in Hindi PDF) क्या है और इसका पाठ करने के क्या मुख्य फायदे हैं।

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यहाँ पर हमने कृष्ण चालीसा के लिरिक्स हिंदी और अंग्रेजी में दे रखे है। आप चाहे तब इस लिरिक्स को ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ सकते है। हमने कृष्ण चालीसा के लिरिक्स हिंदी पीडीऍफ़ फॉर्मेट में दे रखा है, जहाँ से आप हिंदी में पढ़ सकते है। अगर आप को यह चालीसा अंग्रेजी में पढ़नी है, तो आप आगे हमने अंग्रेजी में लिरिक्स दे रखे है। आप अपने समय पर जब चाहे तब यह चालीसा का पाठ पढ़ सकते है।

 

हमने यहाँ पर यह चालीसा का पाठ करने से कौन से लाभ आपको प्राप्त होते हैं इसका वर्णन दिया हुआ है:

भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि – अगर आप यह चालीसा का पाठ प्रतिदिन पढ़तें हो, तो आपको भगवान श्री कृष्ण के प्रति भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि देखने को मिल सकती हैं।

सुख और शांति में बढ़ोतरी – यह चालीसा का पाठ करने से आपके जीवन में भगवान कृष्ण आनंद, सुख और शांति का अनुभव अवश्य है।

कर्मफल की प्राप्ति – यह चालीसा का निरंतर पाठ करने से हमें अपने किए हुए कार्यों का फल अवश्य प्राप्त होता है।

धार्मिक सिख – इस चालीसा के माध्यम से हमें अपने धर्म, प्रेम, और कर्म के महत्वपूर्ण सिख मिलती हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाते हैं।

 

Shri-Krishna-Chalisa-PDF

 

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa) हमें भगवान कृष्ण की बाल लीला, उनकी महिमा को समझने और उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा की भावना को बढ़ावा देती है। कृष्ण चालीसा पाठ करने से हम अपने जीवन को आध्यात्मिक, सुखमय, सफल, और धार्मिक बना सकते हैं।

Krishna Chalisa in English

Doha 

Banshi shobhit kar madhur, nil jalaj tanu shyam.
Arun adhar janu bimba phal, nayan kamal abhiram.
Puran Indu Arvind mukh, pitambar suchi saj.
Jai Man Mohan Madan chhavi,Krishiaachandra maharaj.

Jai jai Yadunandan jag vandan. Jai Vasudev Devki nandan.
Jai Yashoda sut Nandadulare. Jai prabhu bhaktan ke rakhvare.

Jai Natanagar Nag nathaiya. Krishna Kanhaiya dhenu charaiya.
Puni nakh par Prabhu Girivar dharo. Ao dinan-kasht nivaro.

Banshi madhur adhar-dhari tero. Hove puran manorath mero.
Ao Harli puni makhan chakho. Aaj laj bhaktan ki rakho.

Gol kapol chibuk arunare. Mridu muskan mohini dare.
Rajit Rajiv nayan vishala. Mor mukut vaijantimala.

Kundal shravan pit pat achhe. Kati kinkini kachhani kachhe.
Nil jalaj sundar tan sohai. Chhavi lakhi sur nar muni man mohai.

Mastak tilak alak ghunghrale. Ao Shyam bansuriya vale.
Kari pai pan putanahin taryo. Aka-baka kagasur maryo.

Madhuvan jalat agin jab jvala. Bhe shital lakhatahin Nandaiala.
Jab surpati Brij chadhyo risai. Musar dhar bari barsai.

Lakhat lakhat Bnij chahat bahayo. Govardhan nakh dhari bachayo.
Lakhi Yashuda man bhram adhikai. Mukh mahan chaudah bhuvan dikhai.

Dusht Kansa ati udham machayo. Koti kamal kahan phul mangayo.

Nathi kaiiyahin ko tum linhyo. Charan chinh dai nirbhai kinhyo.

Kari gopin sang ras bilasa. Sab ki pur kari abhilasa.
Aganit maha asur sanharyo. Kansahi kesh pakadi dai maryo.

Matu pita ki bandi chhudayo. Ugrasen kahan raj dilayo.

Him se mritak chhahon sut layo. Matu Devakl shok mitayo.
Narkasur mur khal sanhari. Lae shatdash sahas kumari.

Dai Bhimahin tran chiri isara. Jarasindh rakshas kahan mara.
Asur vrikasur adik maryau. Nij bhaktan kar kasht nivaryau.

Din Sudama ke dukh taryo. Tandul tin muthi mukh daryo.
Duryodhan ke tyagyo meva. Kiyo Vidur ghar shak kaleva.

Lakhi prem tuhin mahima bhari. Naumi Shyam danan hitkari.
Bharat men parath-rath hanke. Liye chakra kar nahin bat thake.

Nij Gita ke gyan sunaye. Bhaktan hridai sudha sarsaye.
Mira aisi matvali. vish pi gayi bajakar tali.

Rana bheja saap pitari. Shaligram bane banvari.
Nij maya tum vidhihin dikhayo. Urte sanshai sakal mitayo.

Tav shatninda kari tatkala, jivan mukt bhayo shishupala.
Jabahin Draupadi ter lagai. Dinanath laj ab jai.

Turatahih basan bane Nandlala. Badhay chir bhe ari munh kala.
As anath ke nath Kanhaiya. Dubat bhanvar bachavahi naiya.

“Sundardas” Aas ur Dharri. Daya Drishti Keejay Banwari.
Nath sakai un kumati nivaro. chhamon vegi apradh hamaro.
Kholo pat ab darshan dijai. Bolo Krishna Kanhaiya ki jai.

Doha 

Yeh chalisa Krishna ka, path krai ur dhari,
asht siddhi nay niddhi phal, lahai padarath chari

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Lakshmi Ji Ki Aarti Lyrics Hindi PDF: लक्ष्मी जी की आरती

लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti Lyrics) करने से हमें लक्ष्मी माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता हैं और हम अपने जीवन में समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ते हैं। लक्ष्मी माता को धन, समृद्धि, और सौभाग्य की देवी से जाना जाता हैं। वह हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी के रूप में पूजी जाती हैं। इस आर्टिकल में हम लक्ष्मी माता की आरती के महत्व, मंत्र, और महत्वपूर्ण लाभ के बारे में चर्चा करेंगे।

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लक्ष्मी जी की आरती का महत्व – Importance of Lakshmi Ji Ki Aarti

लक्ष्मी जी की आरती का महत्व यह है की जब भी कोई व्यक्ति अपने सच्चे मन से इस आरती को पढ़ता है, वह अपने जीवन में आनेवाली आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है। यहाँ पर आप लक्ष्मीजी की आरती के लिरिक्स हिंदी में पढ़ सकते है। यह लिरिक्स हिंदी में हो या अंग्रेजी में, Lakshmi Ji Ki Aarti Lyrics in hindi with pdf का पाठ एक शुभ और पवित्र कार्य मन जाता है, जिससे समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति में वृद्धि होती है। जब भी आप यह आरती करें तब कुछ मुख्य बाबतें ध्यान में रखे:

(१) अपने घर या ऑफिस के मंदिर में माता लक्ष्मी का फोटो और मूर्ति जरुर स्थापित करें।
(२) आप यह फोटो और मूर्ति को लाल रंग के साफ सूफी आसन पर रखे।
(३) आप का स्थान ग्रहण करे।
(४) आपका स्थान पूरी तरह से स्वच्छ होना चाहिए।
(५) आप अपने स्थान पर आसन रखें।
(६) उस आसन पर अपना स्थान ग्रहण करें।
(७) आरती करने से पहले दिया जलाएं।
(८) आरती करने से पहले अपने दो हाथों को जोड़कर माता लक्ष्मी को प्रणाम करें।
(९) अब आप आरती के बोल का उच्चारण करें।
(१०) आरती के साथ साथ आप घंटी भी बजाएं।
(११) आरती के समापन बाद माता लक्ष्मी से आशीर्वाद प्राप्त करें।
(१२) आरती के समापन के बाद आप प्रसाद बाटें।
(१३) घर या ऑफिस में उपस्थित सब लोगों को आरती दे।

लक्ष्मी माता की आरती

लक्ष्मी माता की आरती के पाठ में कई सारे मंत्र होते हैं, जो उनकी आरती और पूजा के समय पढ़े जाते हैं। यह आरती के शुरुआत में जो बोल आते है, वह कुछ इस तरह से है:

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।

 

Lakshmi-Ji-Ki-Aarti-Lyrics-in-Hindi-with-PDF

 

लक्ष्मी माता की आरती के महत्वपूर्ण लाभ:

हमने यहाँ पर कुछ भक्तों को लक्ष्मी माता की आरती का पाठ करने से जो लाभ मिले है उसका वर्णन यहाँ पर दे रखे है:

धन प्राप्ति – अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में धन की कमी महसूस कर रहा है, तो उन्हें इस आरती का पाठ प्रतिदिन करने से उन्हें धन के संकटों से मुक्ति मिल सकती है। यह आरती मानव जीवन के हर क्षेत्र में धन की प्राप्ति करने में मददगार साबित होती है।

समृद्धि – आज के ज़माने में हर कोई अपने जीवन को उच्च बनाने में जुटा है। अगर आप थोड़ा आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों में आओगे, तब आपका जीवन समृद्धि से भर सकता है। ऐसा माना जाता है की इस आरती से कई सारे भक्तों को अपने जीवन स्तर को उच्च बनाने में मदद मिली है। अगर आप अपने घर में समृद्धि चाहते है, तो आपको अपने घर या ऑफिस को स्वच्छ रखना पड़ेगा। माता लक्ष्मी ऐसी जगह पे रूकती है, जहां पे स्वच्छता है।

सौभाग्य और फल की प्राप्ति – आज हर व्यक्ति अपने सौभाग्य से अपने जीवन का कर्म रूपी फल प्राप्त कर रहा है। “जैसी करनी वैसी भरनी” यह एक कार्य रचना है, जिसमें स्पष्ट रूप से दिखाया गया है। आप जैसा कर्म करेंगे, वैसा फल प्राप्त करेंगे। आपका सौभाग्य भी आपके अपने कर्म के आधीन है।

आनंद और खुशी में वृद्धि – माँ लक्ष्मी उन भक्तों पे प्रसन्ना होती है, जो प्रतिदिन उनकी आरती करतें है। कुछ भक्तों को यह आरती हर रोज करने से उनके जीवन में आनंद और खुशी में बढ़ोतरी देखी गयी है।

स्वास्थ्य में सुधार – अगर कोई भक्त शारीरिक पीड़ा से मुक्ति पाना चाहता है, यह आरती का पाठ करने से माता लक्ष्मी उनके सारे रोगों से मुक्ति मिलाने में मददरूप होती है। इस आरती का पाठ करने से कई भक्तों को अपने स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिला है।

लक्ष्मी जी की आरती के लिरिक्स हमने हिंदी में पीडीऍफ़ फॉर्मेट में दे रखा है। यह लिरिक्स आप अंग्रेजी में, Lakshmi Ji Ki Aarti Lyrics में भी पढ़ सकते है। आप अपने समय पे इसे ऑनलाइन या ऑफलाइन पढ़ सकते है। हमने लक्ष्मी माता के भक्तों के लिए ये खास व्यवस्था दे रखी है। हम चाहते है की माता लक्ष्मी के हर भक्तों द्वारा इस आरती के लिरिक्स को प्रतिदिन पढ़े और अपने जीवन में से सारे कष्टों का निवारण करें। अगर आप को यह आर्टिकल पसंद आया हो तो आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों या परिवार के अन्य सदस्यों से साझा करें।

 

Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics in English

 

Om Jai Lakshmi Mata, Maiya Jai Lakshmi Mata।

Tumako Nishidin Sevat, Hari Vishnu Vidhata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Uma Rama Brahmani, Tum Hi Jag-Mata।

Surya-Chandrama DhyavatNaarad Rishi Gata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Durga Roop Niranjani, Sukh Sampatti Data।

Jo Koi Tumako Dhyavat, Riddhi-Siddhi Dhan Pata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Tum Patal-Nivasini, Tum Hi Shubhdata।

Karma-Prabhav-Prakashini, Bhavanidhi Ki Trata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Jis Ghar Mein Tum Rahti, Sab Sadgun Aata।

Sab Sambhav Ho Jata, Man Nahi Ghabrata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Tum Bin Yagya Na Hote, Vastra Na Koi Pata।

Khan-Pan Ka Vaibhav, Sab Tumase Aata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Shubh-Gun Mandir Sundar, Kshirodadhi-Jata।

Ratna Chaturdash Tum Bin, Koi Nahi Pata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

 

Mahalakshmi Ji Ki Aarti, Jo Koi Jan Gata।

Ur Anand Samata, Paap Utar Jata॥

 

Om Jai Lakshmi Mata॥

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Nag Panchami Ki Puja, Vidhi in Hindi 2024: नाग पंचमी

नाग पंचमी हिन्दू धर्म का त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार में सर्पों (नागों) की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है की सर्पों की पूजा इसीलिए की जाती है क्यों की इनसे मानव जीवन को सर्पों से रक्षा मिलती है। यह पर्व श्रावण मास के पांचवें दिन को मनाया जाता है, जिसको हम नाग पंचमी के दिन से जानते है। नाग पंचमी के दिन भगवान सर्पों की पूजा करने भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। हम इस अंक में आपको नाग पंचमी की पूजा के महत्व और इसकी विधि के बारे में जानकारी देंगे, तो इसे आप नागपंचमी के दिन यह विधि कर सकते है।

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नाग पंचमी का महत्व 

Importance of Nag Panchami Ki Puja

नाग पंचमी का महत्व बहुत सदियों से परंपरागत चला आ रहा है। इस दिन सब भक्तगण शिवजी के मंदिर में दूध ले के जाते है। यह दूध नाग को चढ़ाते है। इसके आलावा सर्पों की पूजा की सामग्री भी साथ में लाते है। कई बार मंदिर में साप दूध पिने के लिए भी आते है। वह पर भक्तों सर्पों के सामने दिया भी जलाते है। ऐसा माना जाता है की जब कोई साप आप को नागपंचमी के दिन दिख जाये तो आप का दिन अच्छा जाता है। गांव में ज्यादातर खेत में सर्पों की छोटा सा मंदिर होता है, जहां पर खेत मालिक उस मंदिर में सर्पों की फोटो या मूर्ति के सामने पूजा विधि करते है। उस मंदिर में दूध का कटोरा भी रखते है। ऐसा माना जाता है की जब खेत में कोई व्यक्ति की आना जानी नहीं होती है, तब साप उस मंदिर में आके कटोरे में से दूध पिजाने के बाद मंदिर में से चला जाता है। कई सारे राज्य में नागपंचमी का त्यौहार अलग अलग रूप से मनाया जाता है।

नाग पंचमी की तारीख
नाग पंचमी वर्ष के श्रावण मास के पांचवें दिन मनाई जाती है, जो हर साल जुलाई या अगस्त महीने के आसपास आती है।

नाग पंचमी की पूजा का महत्व – Importance of Nagula Panchami

सर्पों की रक्षा – Nagula panchami का मुख्य उद्देश्य सर्पों की रक्षा करना है। यह त्यौहार व्यक्ति को सर्प संबधित कोई समस्या हो तो इसे निवारण करने के लिए सर्पों की पूजा की जाती है।

काल सर्प दोष से मुक्ति – इस मानवजीवन में कई व्यक्तियों के जन्मकुंडली में काल सर्प दोष होता है। इस काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए आपको कोई ना कोई विधि करनी पड़ती है। अगर ऐसे व्यक्ति नाग पंचमी के दिन सर्पों की पूजा करते है और ब्राह्मण के बताये हुए नियम से विधि करते ह। तो हर व्यक्ति अपने जीवन में काल सर्प दोष से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।

आशीर्वाद और शांति – विशेष रूप से सर्पों की पूजा करने से व्यक्ति को आशीर्वाद प्राप्त होता हैं और उन्हें अपने जीवन में आनेवाली सारी मुसीबतों से मुक्ति मिलती है और वह व्यक्ति शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति को महसूस कर सकते है।

नाग पंचमी की पूजा कैसे करें – How to do Nag Panchami Pooja

पूजा स्थल की पसंदगी – सबसे पहले आपको पूजा के लिए एक शुभ स्थल को पसंद करें, जैसे कि एक मंदिर या पवित्र सरोवर। ध्यान रखे जो भी पूजा स्थल आप पसंद करते है, वह स्वच्छ होना चाहिए।

पूजा सामग्री – जब भी आप पूजा करने के लिए जाये, उसे पहले आप पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि दूध, पुष्प, फल, धूप, दीपक, कपड़ा, और नाग मूर्ति या फोटो हमेशा आपने साथ में लेके जाये।

पूजा का समय – Nag panchami puja करने का समय बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर आप यह पूजा सुबह के समय करते है तो वह समय बहोत ही शुभ माना जाता है।

मंत्रों का पाठ – पूजा के दौरान मंत्रों का पाठ करें, जैसे कि ॐ नमः शिवाय और ॐ नागाय नमः। नाग पंचमी की पूजा के दौरान भगवान सर्पों की पूजा का महत्वपूर्ण मंत्र है ॐ नागाय नमः।

गरीबों को भोजन – पूजा (Nagula panchami) के बाद गरीबों को भोजन बाटें। अगर आप किसी गरीब को इस भोजन रूपी प्रसाद के स्वरुप में आप बाटतें हो तो इसे भगवान भोलेनाथ की कृपा आप पर सदा बनी रहेगी। यह कार्य करने से भोलेनाथ अपने भक्तों पे खुश होते है, और उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते है।

Kaal Sarp Puja on Nag Panchami

 

काल सर्प पूजा आप नाग पंचमी के दिन करना चाहते है, तो हमने यहाँ पर इसका वर्णन किया है। आप यहाँ पर पढ़ सकते है:

जन्मकुंडली में काल सर्प दोष – काल सर्प दोष तब बनता है जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते है। जब किसी व्यक्ति के जन्मकुंडली में यह दोष होता है, तब व्यक्ति अपने जीवन में चुनौतियाँ, अवरोध, और मुश्किलें पाता है। हर तरह से वह नासिपास हो जाता है। नाग पंचमी के दिन को इस दोष को दूर करने और कम करने का एक अच्छा समय माना जाता है।

अगर आप काल सर्प पूजा को नाग पंचमी के दिन करना चाहते है, तो यहां हमने कुछ बातें शामिल की हैं । We will know how to do Kaal Sarp Puja on Nag Panchami.

1. ज्योतिषज्ञ से संपर्क करें – हर व्यक्ति अपनी कुंडली में क्या समस्या चल रही होती है वह नहीं जानता। इसीलिए आप अपनी जन्मकुंडली को किसी अच्छे ज्योतिशास्त्र जानने वाले व्यक्ति का समपर्क करें। उनको अपनी जन्मकुंडली दिखाए। आपको अपने कुंडली में जो भी विधि करनी होगी वह आपको बता देंगे।

2. एक मंदिर को पसंद करे – वैसे तो यह पूजा कोई नदी के किनारे भी कर सकते है। पर ज्योतिषज्ञ के अनुसार काल सर्प पूजा करने के लिए कोई अच्छा मंदिर को पसंद करे। ज्यादातर इस पूजा को भगवान शिव के मंदिरों में की जाती है, क्योंकि भगवान शिव को काल सर्प दोष के मुक्ति देने के लिए सर्व श्रेष्ठ माना जाता है।

3. पूजा सामग्री तैयार करें – इस पूजा की शुरुआत करने से पहल आप आवश्यक पूजा सामग्री जैसे कि फूल, फल, धूप, कपूर, तिल, दूध, शहद, घी, और भगवान शिव के लिए अर्पण के लिए सामग्री तैयार करें।

4. अभिषेक करें – अभिषेक यानि जो भगवान शिव के शिवलिंग दूध, दही, शहद, घी, और पानी चढ़ाना। यह पूजा आमतौर पर अभिषेक के साथ शिवलिंग पर शुरू होती है, जिसमें विधि में दिखाए गए सामग्री के साथ मंत्र उच्चारित करते हुए किया जाता है।

5. मंत्र पढ़ें – जब भी आप यह पूजा में बैठे है, तो आपको भगवान शिव के लिए और काल सर्प दोष को कम करने के लिए उनकी आशीर्वाद की याचना करने वाले मंत्रों को पढ़ना चाहिए।

Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics in Hindi by Hariharan & Anuradha Paudwal

भारतीय संस्कृति में आरती कुंज बिहारी की गीत का महत्व बहुत अधिक है। भारत के आलावा दुनिया भर में श्री कृष्णा के भक्तों का समुदय बहुत है। हम यह लेख में आपको Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics in Hindi by Hariharan & Anuradha Paudwal एक मुख्य आरती के बारे में बताएंगे। हम इसके लिरिक्स भी आपको वर्णन करेंगे, जो भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करने के लिए किया जाता है। यह आरती एक प्रकार की पूजा है जिसमें श्री कृष्णा की मूर्ति या फोटो के सामने दिया जलाकर उनकी महिमा का गुणगान किया जाता है।

 

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Krishna Aarti |  Krishna Ji Ki Aarti

आरती कुंज बिहारी की लिरिक्स (Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics) हरिहरन (Hariharan) और अनुराधा पौडवाल (Anuradha Paudwal) द्वारा गाया गया हैं। ऐसे तो यह आरती बहुत सारे गायकों द्वारा भी गाया गाया है, लेकिन इसमें यह दो गायकों द्वारा गाई गई हुई आरती ज्यादातर भक्तों द्वारा सुनी जाती है। भगवान श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म के एक मुख्य देवता हैं। उन्होंने भगवद गीता में अर्जुन को अपने धर्म का पालन करने की सलाह दी थी। विश्व भर में भगवान श्री कृष्णा अपनी बाल लीलाओं और उपदेशों के लिए प्रसिद्ध हैं। वैसे तो श्रीकृष्ण की कई सारी लीलाएं है। परंतु उन अनेक में से मुख्यत्वे में भगवान श्री कृष्णा ने वृंदावन में गोपियों के साथ रास खेलने की आनंददायक लीलाएं की और मथुरा में कंस के खिलाफ युद्ध किया।

 

Krishna aarti बहुत पुरानी आरती है जो भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर में हररोज सुबह और साम को की जाती है। श्री कृष्णा के भक्तों अपने घर या ऑफिस में भी यह आरती करते है। आरती कुंज बिहारी की आरती में भगवान श्री कृष्णा की अर्चना की जाती है और उनके लिए मंदिर में सब लोगों का जमावड़ा होता हैं। यह आरती वृंदावन के बनारसीदास जी द्वारा रची गई थी और आज भी भक्तों के द्वारा यह आरती पसंद की जाती है।

 

 

आरती कुंज बिहारी की

Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics in Hindi by Hariharan & Anuradha Paudwal

 

 

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

 

Importance of Shri Krishna Bhagwan Ji Ki Aarti

भगवान की स्तुति – Shri krishna aarti में भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति होती है, यह आरती करते हुए भक्तों का मन पवित्र और भक्ति में लीन हो जाता है।

आनंदमय भगवान – यह आरती में भगवान श्री कृष्णा की अनेक लीलाएं और खेल का वर्णन किया गया हैं, जिससे भक्तों में आनंद की बढ़ोतरी होती है।

भक्ति का अदभुत अनुभव – यह आरती का पाठ करने से भक्तों को भगवान श्री कृष्णा के साथ गहरा संबंध महसूस होता है और उनकी भक्ति में वृद्धि होती है।

समर्पण – Krishna ji ki aarti का पाठ करने से भक्तोमें के अदभुत समर्पण का भाव देखने को मिलता है। यह भक्तो की आत्मा का श्रीकृष्ण के साथ पूर्ण रूप से समर्पण का भाव प्रगट करता है।

आरती कुंज बिहारी की लिरिक्स हिंदी में आपने पढ़ लिए। Shri krishna bhagwan ji ki aarti के लिरिक्स हमने अंग्रेजी में दे रखे है। अगर आप अंग्रेजी में पढ़ना चाहते है तो यहाँ पर आप पढ़ सकते है।

 

Hariharan Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics

Aarti Kunj Bihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
Aarti Kunj Bihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥

Gale Mein Baijanti Mala,
Bajave Murali Madhur Bala ।
Shravan Mein Kundal Jhalakala,
Nand Ke Anand Nandlala ।
Gagan Sam Ang Kanti Kali,
Radhika Chamak Rahi Aali ।
Latan Mein Thadhe Banamali
Bhramar Si Alak,
Kasturi Tilak,
Chandra Si Jhalak,
Lalit Chavi Shyama Pyari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
॥ Aarti Kunj Bihari Ki…॥

Kanakmay Mor Mukut Bilse,
Devata Darsan Ko Tarse ।
Gagan So Suman Raasi Barse
Baje Murchang,
Madhur Mridang,
Gwaalin Sang
Atual Rati Gop Kumari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
॥ Aarti Kunj Bihari Ki…॥

Jahaan Te Pragat Bhayi Ganga,
Sakal Man Haarini Shri Ganga ।
Smaran Te Hot Moh Bhanga
Basi Shiv Shish,
Jataa Ke Beech,
Harei Agh Keech,
Charan Chhavi Shri Banvaari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
॥ Aarti Kunj Bihari Ki…॥

Chamakati Ujjawal Tat Renu,
Baj Rahi Vrindavan Benu।
Chahu Disi Gopi Gwaal Dhenu
Hansat Mridu Mand,
Chandani Chandra,
Katat Bhav Phand,
Ter Sun Deen Dukhari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
॥ Aarti Kunj Bihari Ki…॥

Aarti Kunj Bihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
Aarti Kunj Bihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥

 

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Nagendra Haraya Trilochanaya Lyrics in Hindi, Sanskrit, PDF

Nagendra Haraya Trilochanaya Lyrics (नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय) यह रचना भगवान भोलेनाथ के भावों को वर्णन करती है। यह रचना भगवान शिव के स्तोत्र में आता है। भोलेनाथ के भक्तों द्वारा इसे प्रतिदिन पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र प्रतिदिन पढ़ने से भोलेनाथ का भाव अपने भक्तों के प्रति बढ़ता है। यह स्तोत्र की रचना ऐसे की गई है जिसके हर शब्द में भक्तों को शिव के दिव्य स्वरूप के प्रति श्रद्धा और भक्ति का अहसास होता हैं।

दुनियाभर में शिवजी को मानने वाले भक्तों की संख्या अधिक है। अगर कोई भक्त यह स्तोत्र पुरे सच्चे मनसे पढ़ता है, तो भगवान भोलेनाथ के प्रति भक्तों को आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त होती है। भक्त अपने इसके आचरण से सीधे शिव जी के साथ एक गहरा संबंध अनुभव करने में मदद करता है। जब भी कोई भक्त यह स्तोत्र सच्चे दिल से पढ़ता है, उसका जीवन में भक्ति और श्रद्धा का वातावरण बनता है। यह स्तोत्र भक्तों और भगवान भोलेनाथ के साथ एक मजबूत कनेक्शन बनाता है। हम Nagendra Haraya के बारे में और इसके महत्व के बारे में आगे बात करेंगे, और यह स्तोत्र Hindi, Sanskrit और English में क्यों महत्वपूर्ण है वह हम देखेंगे।

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Shiva Panchakshara Stotram Benefits – Importance of Nagendra Haraya Trilochanaya Lyrics

भगवान शिव की महिमा – Shiva Panchakshara Stotra भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने के लिए पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र भगवान शिव के मुख्य गुणों की याचना करता है। इस स्तोत्र में भगवान भोलेनाथ के अदभुत रूप, शक्ति, और अनुग्रह का वर्णन किया गया है।

भक्ति का माध्यम – यह स्तोत्र शिव भक्तों और भगवान भोलेनाथ की भक्ति और श्रद्धा का माध्यम बनता है। भक्तों इसका पाठ करके भगवान शिव की पूजा, अर्चना और सेवा में मग्न रहते है।

आध्यात्मिक विकास – Shiva Panchakshara Stotram का पाठ प्रतिदिन पढ़ने से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है। यह स्तोत्र पढ़ने से भक्तों अपने आप में शांति और समृद्धि का अहसास महसूस करते है।

सुंदरता का प्रतीक –  इस स्तोत्र का पाठ भक्तों को भगवान शिव के सुंदरता के प्रति विश्वास दिलाता है। यह स्तोत्र में भगवान शिव के अनेक रूप का वर्णन किया गया है, जैसे कि नीलकंठ (नीला गला) और चंद्रमौली (चंद्रमा की झुल्ली पहने हुए) यह सब भगवान भोलेनाथ के प्रति दिव्यता का प्रतीक रूप माना जाता हैं।

मोक्ष की प्राप्ति-  ऐसा माना जाता है की जीन लोगों को मोक्ष की प्राप्ति करनी है, उनको भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी पड़ती है। इसीलिए कई भक्त इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करते है, ताकि उनको भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो और मोक्ष की प्राप्ति पाने में मदद मिले। अगर कोई भक्त शिवजी की भक्ति उनके जीवन के अंत तक करता है, तो शिव जी ऐसे भक्त पे प्रसन्ना होते है और उनके सारे कार्यों का फल देते है। मोक्ष की प्राप्ति के साथ साथ वह संसार के बंधनों से मुक्ति दिलाने में भी मदद करते है।

भगवान भोलेनाथ की स्तुति का महत्व: – भगवान भोलेनाथ को प्रसन्ना करने में यह स्तोत्र का पाठ एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह स्तुति का महत्त्व समझने के लिए आपको शिव जी के प्रति आपकी भक्ति ही आपको मानसिक और आत्मिक संबंध बनाने में मदद करता है, जो हर भक्त के आत्मिक विकास को समर्थन देने में मददगार साबित होता है।

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय के लिरिक्स हमने यहाँ पर हिंदी में दे रखे है, अगर आप इसे अंग्रेजी में, Nagendra Haraya Trilochanaya Lyrics पढ़ना चाहे तो आप नीचे स्क्रॉल करके आप इस अंग्रेजी में भी पढ़ सकते है। आप यहाँ पर इस स्तोत्र को पीडीऍफ़ स्वरुप में पा सकेंगे। अगर आप चाहे तो इसे ऑफलाइन पढ़ने के लिए डाउनलोड भी कर सकते है।

Nagendra Haraya Trilochanaya Lyrics in Hindi, Sanskrit

Nagendra-Haraya-Trilochanaya-Lyrics-PDF

Shiva Panchakshara Stotram in English

Aum namah shivaya shivaya namah aum
Aum namah shivaya shivaya namah aum

nagendraharaya trilochanaya
bhasmangaragaya mahesvaraya
nityaya suddhaya digambaraya
tasmai na karaya namah shivaya

mandakini salila chandana charchitaya
nandisvara pramathanatha mahesvaraya
mandara pushpa bahupushpa supujitaya
tasmai ma karaya namah shivaya

shivaya gauri vadanabja brnda
suryaya dakshadhvara nashakaya
sri nilakanthaya Vrshadhvajaya
tasmai shi karaya namah shivaya

vashistha kumbhodbhava gautamarya
munindra devarchita shekharaya
chandrarka vaishvanara lochanaya
tasmai va karaya namah shivaya

yagna svarupaya jatadharaya
pinaka hastaya sanatanaya
divyaya devaya digambaraya
tasmai ya karaya namah shivaya

panchaksharamidam punyam yah pathechchiva
sannidhau shivalokamavapnoti sivena saha modate

 

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Shri Ram Stuti Lyrics PDF in Hindi: श्री राम स्तुति

श्री राम स्तुति (Shri Ram Stuti) एक ऐसी मुख्य स्तुति है जो भगवान राम की महिमा और गुणों का वर्णन करती है। भगवान श्री राम को मानने वाले भक्तगण का समुदाय बहोत बड़ा है। भगवान श्री राम को हिन्दू धर्म के महान देवता से पूजा जाता हैं। इस स्तुति में अयोध्या के राजा भगवान श्री राम की महिमा और गुणगान दर्शाया गया है। ऐसा माना जाता है की यह स्तुति कई प्राचीन स्तोत्रों में से ली गई है। हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि श्री राम स्तुति अर्थ सहित का महत्व क्या है और इसके पढ़ाई के क्या लाभ होते हैं।

 

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श्री राम स्तुति का महत्व 

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भगवान राम की महिमा – यह स्तुति में भगवान राम की महिमा का निरूपण किया गया है। इसमें श्री राम भगवान के अदभुत गुणों की सराहना की गई है। ऐसा माना जाता है की कोई भक्त प्रभु श्री राम की स्तुति सच्चे मन से करता है, तो उनकी मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति में बढ़ोतरी देखनेको मिलती है। भगवान श्री राम को आदर्श माना जाता है। हर भक्त को भगवान श्री राम के पवित्र चरणों में अपने मन को समर्पित करना चाहिए।

आशीर्वाद – यह स्तुति का पाठ करने का मुख्य हेतु भगवान श्री राम के आशीर्वाद को प्राप्त करने का होता है। यह स्तुति उनके भक्तों को ध्यान, श्रद्धा, और समृद्धि में बढ़ोतरी करने में मददरूप साबित होती है।

आध्यात्मिक विकास – अगर कोई भक्त अपने जीवन में आध्यात्मिक विकास चाहता है, तो वह प्रभु श्री राम की भक्ति में लीन हो जाना चाहिए। प्रभु श्री राम के नाम से आज सारी दुनिया में आध्यात्मिक विकास का नारा गूजँता है। दुनिया के कई सारे भक्त अपने जीवन के कष्टों से मुक्ति चाहता है और उसके साथ उनके जीवन में मानसिक शांति, आत्मा की सुख-शांति की प्राप्ति करने के लिए यह स्तुति का पाठ करते है।

आदर्श जीवन – प्रभु श्री राम अपने आदर्श और सरल जीवन के लिए प्रचलित है। हर कोई भक्त अपने जीवन को प्रभु श्री राम के जैसे जीना चाहता है। ऐसा आदर्श और सरल जीवन जीने के लिए भगवान श्री राम की स्तुति प्रतिदिन पढ़ना अति आवश्यक है। यह स्तुति में प्रभु श्री राम का सरल जीवन वर्णन किया गया है। यह स्तुति उनके भक्तों को धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।

आंतरिक शांति – आज की भागदौड़ भरी जीवन में हर भक्त को आतंरिक शांति की कमी महसूस हो रही है। प्रभु श्री राम के हर भक्त अपने नजदीक के श्री राम मंदिर में जाते है और यह स्तुति के पाठ का जाप करते है। ऐसे प्रतिदिन श्री राम स्तुति पढ़ने से भक्तों को मानसिक शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति मिलने में मदद मिलती है।

 

Shri Ram Stuti Lyrics in Hindi

श्री राम स्तुति लिरिक्स इन हिंदी

 

॥दोहा॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कन्जारुणम् ॥१॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥

शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥

इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥

मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥

एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥

॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।

इसे गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है 

 

हमने यहाँ पर श्री राम स्तुति के लिरिक्स हिंदी में पीडीऍफ़ फॉर्मेट में दे रखे है, जो आपने पढ़ लिया होगा। अगर आप यह स्तुति अंग्रेजी में, Shri Ram Stuti पढ़ना चाहते है, तो हमने यहाँ पर अंग्रेजी में भी लिरिक्स दे रखे है। जिसे आप प्रतिदिन पढ़कर भगवान श्री राम को प्रसन्ना कर सकते है।

 

Shri Ram Stuti Lyrics in English

Shri Ramachandra Kripalu Bhajman Harana Bhava Bhaya Darunam
Nava-kanja-lochana Kanja-mukha Kara-kanja Pada-kanjarunam

Kandarpa Aganita Amita Chavi Nava Nila Nirada Sundaram
Pata Pita Manahu Tadita Ruchi Shuchi Naumi Janaka Suta Varam

Bhaja Dina Bandhu Dinesha Danava Daitya Vansha Nikandanam
Raghu Nanda Ananda Kanda Kosala Chanda Dasharatha Nandanam

Shira Mukuta Kundala Tilaka Charu Udara Anga Vibhushanam
Ajanu-bhuja Shara Chapa Dhara Sangrama Jita Khara Dushanam

Iti Vadati Tulasidasa Shankara Shesha Muni Mana Ranjanam
Mama Hrdaya Kanja Nivasa Kuru Kamadi Khaladala Ganjanam

 

Most Shri Ram devotees read this Stuti more than 108 times in Shri Ram Navami, Vijay Dashami, Sunderkand, Ramcharitmanas Katha, Shri Hanuman Janmotsav, and Akhand Ramayana.

Shri Ram Stuti and Shri Ramachandra Kripalu present more powerful worship towards Lord Rama.

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Ram Raksha Stotra Lyrics in Hindi, English PDF – राम रक्षा स्तोत्र

राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra Lyrics in Hindi, English with PDF) एक ऐसा महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान श्री राम का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्तों प्रतिदिन पढ़ते है। अयोध्या के राजा श्री राम हिन्दू धर्म में पूजा की जाने वाले महान भगवान है। यह स्तोत्र को भगवान श्री राम को एक मानवता के अवतार के रूप में पूजा जाता है। श्री राम के भक्तों द्वारा उनके गुणों की महिमा को गाने के लिए एक प्राचीन स्तोत्र रूप से माना जाता हैं। यह आर्टिकल में हम जानेंगे कि यह स्तोत्र का महत्व क्या है और इसके जाप के कोनसे लाभ होते हैं। श्री राम रक्षा स्तोत्र पाठ संस्कृत और हिंदी में भी लिखा गया है।

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राम रक्षा स्तोत्र का महत्व और चमत्कार 

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राम की रक्षा – यह स्तोत्र का मुख्य उद्देश्य भगवान श्री राम की रक्षा करना है। यह स्तोत्र भगवान राम के भक्तों द्वारा प्रतिदिन उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए पढ़ते है। ऐसा माना जाता है की प्राचीन समय में जब यह स्तोत्र लिखा गया था, जिसमे प्रभु श्री राम की आध्यात्मिक शक्तियों का वर्णन किया गया है।

आशीर्वाद – यह स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करके भक्त भगवान श्री राम के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं। अगर कोई भक्त इसे सच्चे मन से यह स्तोत्र का पाठ करते है, तो उनके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।

आध्यात्मिक विकास – यह स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करने से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है। इस भागदौड़ भरी जीवन में व्यक्ति का आध्यात्मिक की ओर जाना अति आवश्यक है। प्रभु श्री राम के हर भक्त इस स्तोत्र का पाठ करके अपने जीवन को आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाने में मददरूप होता है।

कष्टों, मुसकेलियों और बुराइयों से मुक्ति – इस जीवन में हर व्यक्ति को कोई ना कोई कष्ट ओर मुसकेलिया होती है। इस स्तोत्र का इतिहास ऐसा है की कोई भक्त यह स्तोत्र का पाठ हर दिन करता है, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली सारी कष्टों, मुसकेलियों और बुराइयों से मुक्ति प्राप्त करने में मदद मिलती है।

मानसिक शांति, सुख, और समृद्धि – प्रभु श्री राम को अपने सरल ओर आदर्श जीवन के लिए उनकी पूजा ओर अर्चना की जाती है। अगर कोई मानसिक शांति, सुख, और समृद्धि पाना चाहता है, तो वह भगवान श्री राम रक्षा स्तोत्र के पाठ का जाप कर सकते है।

राम रक्षा स्तोत्र इन हिंदी

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Ram Raksha Stotra Lyrics in English

Viniyogah

Asya Shree Raama Rakshaa Stotra Mantrasya Budhakaushika Rishih Shree Seetaa Raamachandro Devataa Anushtup Chhandah Seetaa Shaktih Shreemaan Hanumaan Keelakam Shree Raamachandra Preetyarthe Raama Rakshaa Stotra Jape Viniyogah ।

Dhyaanam

Dhyaayedaa Jaanubaahum Dhritashara Dhanusham Baddha Padmaasanastham
Peetam Vaaso Vasaanam Nava Kamaladala Spardhinetram Prasannam ।
Vaamaankaarudha Seetaa Mukhakamala Milallochanam Neeradaabham
Naanaalankaara Deeptam Dadhatamuru Jataamandalam Raamachandram ।

Stotram

Charitam Raghunaathasya Shatakoti Pravistaram ।
Ekaikamaksharam Punsaam Mahaapaataka Naashanam ॥1॥

Dhyaatvaa Neelotpala Shyaamam Raamam Raajeeva Lochanam ।
Jaanakee Lakshmanopetam Jataamukuta Manditam ॥2॥

Saasituna Dhanurbaana Paanim Naktam Charaantakam ।
Svaleelayaa Jagattraatumaa Virbhutamajam Vibhum ॥3॥

Raamarakshaam Pathetpraagyah Paapaghneem Sarva Kaamadaam ।
Shiro Me Raaghavah Paatu Bhaalam Dasharathaatmajah ॥4॥

Kausalyeyo Drishau Paatu Vishvaamitra Priyah Shrutee ।
Ghraanam Paatu Makhatraataa Mukham Saumitri Vatsalah ॥5॥

Jihvaam Vidyaanidhih Paatu Kantham Bharata Vanditah ।
Skandhau Divyaayudhah Paatu Bhujau Bhagnesha Kaarmukah ॥6॥

Karau Seetaapatih Paatu Hridayam Jaamadagnyajit ।
Madhyam Paatu Kharadhvansee Naabhim Jaambavadaashrayah ॥7॥

Sugreeveshah Katee Paatu Sakthinee Hanumatprabhuh ।
Uru Raghuttamah Paatu Rakshah Kulavinaasha Krit ॥8॥

Jaanunee Setukritpaatu Janghe Dashamukhaantakah ।
Paadau Vibheeshana Shreedah Paatu Raamoakhilam Vapuh ॥9॥

Etaam Raamabalo Petaam Rakshaam Yah Sukritee Pathet ।
Sa Chiraayuh Sukhee Putree Vijayee Vinayee Bhavet ॥10॥

Paataala Bhutalavyoma Chaarinashchhadma Chaarinah ।
Na Drashtumapi Shaktaaste Rakshitam Raama Naamabhih ॥11॥

Raameti Raamabhadreti Raamachandreti Vaa Smaran ।
Naro Na Lipyate Paapairbhuktim Muktim Cha Vindati ॥12॥

Jagajjaitraika Mantrena Raama Naamnaabhi Rakshitam ।
Yah Kanthe Dhaarayettasya Karasthaah Sarva Siddhayah ॥13॥

Vajrapanjara Naamedam Yo Raama Kavacham Smaret ।
Avyaahataagyah Sarvatra Labhate Jayamangalam ॥14॥

Aadishta Vaanyathaa Svapne Raama Rakshaa Mimaam Harah ।
Tathaa Likhita Vaanpraatah Prabuddho Budhakaushikah ॥15॥

Aaraamah Kalpa Vrikshaanaam Viraamah Sakalaa Padaam ।
Abhiraamastri Lokaanaam Raamah Shreemaansa Nah Prabhuh ॥16॥

Tarunau Rupa Sampannau Sukumaarau Mahaabalau ।
Pundareeka Vishaalaakshau Cheera Krishnaa Jinaambarau ॥17॥

Phalamulaashinau Daantau Taapasau Brahmachaarinau ।
Putrau Dasharatha Syaitau Bhraatarau Raama Lakshmanau ॥18॥

Sharanyau Sarva Sattvaanaam Shreshthau Sarva Dhanushmataam ।
Rakshah Kula Nihantaarau Traayetaam No Raghuttamau ॥19॥

Aattasajja Dhanushaa Vishusprishaa
Vakshayaa Shuganishanga Sanginau ।
Rakshanaaya Mama Raama Lakshmanaa
Vagratah Pathi Sadaiva Gachchhataam ॥20॥

Sannaddhah Kavachee Khadgee Chaapa Baanadharo Yuvaa ।
Gachchhan Manorathaannashcha Raamah Paatu Salakshmanah ॥21॥

Raamo Daasharathih Shuro Lakshmanaa Nucharo Balee ।
Kaakutsthah Purushah Purnah Kausalyeyo Raghuttamah ॥22॥

Vedaanta Vedyo Yagyeshah Puraana Purushottamah ।
Jaanakee Vallabhah Shreemaana Prameya Paraakramah ॥23॥

Ityetaani Japannityam Madbhaktah Shraddhayaanvitah ।
Ashvamedhaa Dhikam Punyam Sampraapnoti Na Sanshayah ॥24॥

Raamam Durvaadala Shyaamam Padmaaksham Peeta Vaasasam ।
Stuvanti Naama Bhirdivyairna Te Sansaarino Naraah ॥25॥

Raamam Lakshmana Purvajam Raghuvaram Seetaapatim Sundaram
Kaakutstham Karunaarnavam Gunanidhim Viprapriyam Dhaarmikam ।
Raajendram Satyasandham Dasharatha Tanayam Shyaamalam Shaanta Murtim
Vande Lokaabhiraamam Raghukula Tilakam Raaghavam Raavanaarim ॥26॥

Raamaaya Raamabhadraaya Raamachandraaya Vedhase ।
Raghunaathaaya Naathaaya Seetaayaah Pataye Namah ॥27॥

Shree Raama Raama Raghunandana Raama Raama
Shree Raama Raama Bharataagraja Raama Raama ।
Shree Raama Raama Ranakarkasha Raama Raama
Shree Raama Raama Sharanam Bhava Raama Raama ॥28॥

Shree Raama Chandra Charanau Manasaa Smaraami
Shree Raama Chandra Charanau Vachasaa Grinaami ।
Shree Raama Chandra Charanau Shirasaa Namaami
Shree Raama Chandra Charanau Sharanam Prapadye ॥29॥

Maataa Raamo Matpitaa Raama Chandrah
Svaamee Raamo Matsakhaa Raama Chandrah ।
Sarvasvam Me Raama Chandro Dayaalurnaanyam
Jaane Naiva Jaane Na Jaane ॥30॥

Dakshine Lakshmano Yasya Vaame Cha Janakaatmajaa ।
Purato Maarutiryasya Tam Vande Raghunandanam ॥31॥

Lokaabhiraamam Rana Rangadheeram
Raajeeva Netram Raghuvansha Naatham ।
Kaarunya Rupam Karunaakaram Tam
Shree Raama Chandram Sharanam Prapadye ॥32॥

Manojavam Maaruta Tulyavegam
Jitendriyam Buddhimataam Varishtham ।
Vaataatmajam Vaanara Yutha Mukhyam
Shree Raama Dutam Sharanam Prapadye ॥33॥

Kujantam Raama Raameti Madhuram Madhuraaksharam ।
Aaruhya Kavitaa Shaakhaam Vande Vaalmeeki Kokilam ॥34॥

Aapadaama Pahartaaram Daataaram Sarva Sampadaam ।
Lokaabhiraamam Shree Raamam Bhuyo Bhuyo Namaamyaham ॥35॥

Bharjanam Bhava Beejaanaa Marjanam Sukha Sampadaam ।
Tarjanam Yamadutaanaam Raama Raameti Garjanam ॥36॥

Raamo Raajamanih Sadaa Vijayate Raamam Ramesham Bhaje
Raamenaa Bhihataa Nishaachara Chamu Raamaaya Tasmai Namah ।
Raamaannaasti Paraayanam Parataram Raamasya Daasoasmyaham
Raame Chittalayah Sadaa Bhavatu Me Bho Raama Maamuddhara ॥37॥

Raama Raameti Raameti Rame Raame Manorame ।
Sahasranaama Tattulyam Raama Naama Varaanane ॥38॥

Ram Raksha Stotra Lyrics in English Completed ॥

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